क्रिकेट के खेल को भरी अनिश्तिताओं का खेल कहा जाता है। दुनिया की सबसे बड़ी लीग आईपीएल भी इससे अछूती नहीं है। आईपीएल में कोई भी टीम किसी को भी हरा सकती है और बड़ी से बड़ी टीम को मैच जीतने के लिए संघर्ष भी करना पड़ता है। आईपीएल के इतिहास में ऐसा कई बार देखा गया है जब कागज पर बेहद मजबूत नजर आने वाली टीम को मैदान पर मुंह की खानी पड़ी है। हालांकि आईपीएल में एक ऐसी टीम भी है जो सबसे ज्यादा बदकिस्मत है। इस टीम में हर खिलाड़ी स्टार है और शायद दुनिया के सबसे बड़े और खतरनाक खिलाड़ी इसी टीम में हैं। लेकिन इसके बावजूद ये टीम अब तक एक बार भी खिताब नहीं जीत सकी है। हमें उम्मीद है कि आप समझ गए होंगे कि हम किस टीम की बात कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं विराट कोहली की कप्तानी वाली रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू की। आइए आपको बताते हैं कि कैसे बेंगलुरू की टीम सबसे ज्यादा बदकिस्मत है।
सितारों से सजी है टीम: बेंगलुरू की टीम में एक से बढ़कर एक धुरंधर हैं जो अकेले दम पर मैच का पासा पलटने का माद्दा रखते हैं। लगभग हर सीजन में टीम के पास दुनिया के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं लेकिन ये खिलाड़ी अपने नाम के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सके और इसका खामियाजा टीम को भुगतना पड़ा। टीम अब तक एक बार भी आईपीएल खिताब नहीं जीत सकी है।
साल 2008 (लीग स्टेज से बाहर): साल 2008 में बेंगलुरी की टीम से हर किसी को ढेरों उम्मीदें थी लेकिन टीम ने फैंस की उम्मीदों को तोड़ दिया और पहले राउंड से ही बाहर हो गई।
साल 2009 (फाइनल में पहुंची): साल 2009 टीम के लिए खुशिया लेकर आया और टीम ने पहले लीग मैचों और फिर क्वालीफायर्स में शानदार खेल दिखाया। अच्छे प्रदर्शन के कारण टीम ने फाइनल में जगह बना ली। लेकिन टीम के खिताब जीतने का सपना पूरा नहीं हो सका और टीम फाइनल में हार गई।
साल 2010 (सेमीफाइल): 2010 में फिर से बेंगलुरू ने नये सिरे से शुरुआत की। इस बार भी बेंगलुरू ने टूर्नामेंट की शुरुआत बेहतरीन तरीके से की और लीग मैचों में धमाकेदार प्रदर्शन किया। हालांकि टीम सेमीफाइनल से आगे नहीं बढ़ सकी।
साल 2011 (फाइनल में पहुंची): 2011 में टीम के फैंस को विराट एंड कंपनी से ढेरों उम्मीदें थीं। हर किसी को लग रहा था कि इस बार तो टीम जरूर खिताब जीतेगी। टीम ने अच्छा प्रदर्शन भी किया। लेकिन फाइनल में आकर बेंगलुरू का सफर खत्म हो गया और पहली बार खिताब जीतने का मौका हाथ से फिर निकल गया।
साल 2012, 2013, 2014 (लीग स्टेज से बाहर): 2011 के बाद तो मानो कि टीम को किसी की नजर ही लग गई। सितारों से सजी टीम का प्रदर्शन हर सीजन में गिरता चला गया। 2012, 2013 और 2014 में टीम लीग स्टेज से आगे नहीं बढ़ सकी।
साल 2015 (प्ले ऑफ्स): 2015 में टीम फिर से नई शुरुआत करने के इरादे से मैदान पर उतरी। माना जाने लगा कि इस बार टीम जरूर जीतेगी। लेकिन बदकिस्मती ने टीम का साथ नहीं छोड़ा और टीम का सफर प्ले ऑफ्स से आगे नहीं बढ़ सका।
साल 2016 (फाइनल में पहुंची): बेंगलुरू की टीम 2016 में फिर से विराट कोहली की कप्तानी में जलवा दिखाने को बेकरार थे। टीम ने आगाज शानदार तरीके से किया और लगने लगा कि इस बार तो टीम खिताब जीतकर ही दम लेगी। टीम फाइनल तक पहुंची भी। लेकिन एक बार फिर से टीम को फाइनल में हार झेलनी पड़ी।
साल 2017 (लीग स्टेज): 2017 में भी टीम की किस्मत बदली नहीं और टीम लीग स्टेज से ही बाहर हो गई। किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था कि टीम में इतने बेहतरीन खिलाड़ियों के होने के बावजूद कैसे हर बार टीम के हाथ से खिताब निकल जाता है।
2018 में बेंगलुरू का स्क्वॉड: विराट कोहली, मोईन अली, कोरे एंडरसन, मुरुगन अश्विन, युजवेंद्र चहल, अनिकेत चौधरी, कॉलिन डी ग्रैंडहोम, क्विंटन डी कॉक, पवन देशपांडे, एबी डी विलियर्स, अनिरुद्ध जोशी, शरफराज खान, कुलवंत खेजरोलिया, ब्रैंडन मैक्कलम, मनदीप सिंह, मोहम्मद सिराज, पवन नेगी, पार्थिव पटेल, नवदीप सैनी, टिम साऊदी, मनन वोरा, वॉशिंगटन सुंदर, क्रिस वोक्स, उमेश यादव।
बेंगलुरू टीम के प्रदर्शन को देखने के बाद इतना तो कह सकते हैं कि क्रिकेट के खेल में स्टार खिलाड़ी नहीं बल्कि प्रदर्शन जिताता है। जो भी टीम मैदान पर अच्छा करेगी जीत उसी को मिलती है।