नयी दिल्ली: IPL-2018 के लिए हुई नीलामी के बाद चेन्नई सुपर किंग्स की काफी आलोचना हुई थी, वजह थी उसका खिलाड़ियों का चुनाव. ट्रोलर्स ने चेन्नई को पापा जी की टीम का नाम दिया था. दरअसल चेन्नई की टीम में ज़्यादा उम्र के खिलाड़ी काफी थे और इसीलिए उसकी आलोचना हो रही थी. लोगों को लगा कि टी-20 खेल जवानों का है और धोनी तथा चीफ कोच स्टीफ़न फ़्लेमिंग ने ग़लत चुनाव किया है. लेकिन धोनी ने इसी कमज़ोरी को अपनी ताक़त बनाकर ख़िताब जीत लिया.
36 साल के शैन वॉटसन उन तमाम खिलाड़ियों में से थे जो तीस के ऊपर थे. लेकिन वॉटसन ने जो पारी फ़ाइनल में खेली वो क्रिकेट प्रेमियों को बरसों याद रहेगी. वॉटसन ने नाबाद सेंचुरी बनाई और अपनी टीम को 8 विकेट से जीत दिलाई. धोनी ख़ुद दो महीने के बाद 37 साल के हो जाएंगे और उनका कहना है कि जिस तरह से उन्होंने अनुभवी खिलाड़ियों को मैनेज किया वो उनकी सफलता का राज़ है.
धोनी ने कहा, "मुझे लगता है कि हम उम्र के बारे कुछ ज़्यादा ही बात करते हैं लेकिन महत्वपूर्ण होती है फ़िटनेस. अंबाती रायडू 33 साल के हैं लेकिन वह आउट फ़ील्ड में बहुत अच्छी फ़ील्डिंग करते हैं. अगर वह कुछ मैच खेल भी लें तो लौटकर ये नहीं कहेंगे कि मेरा बदन अकड़ गया है. तो उम्र से ज़्यादा फ़िटनेस मायने रखती है. हमारी फ़िटनेस बेहतर हुई है. ज़्यादातर कप्तान ऐसे खिलाड़ी चाहते हैं जो मैदान में तेज़ी से मूव करें.''
धोनी के अनुसार, "इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि कौन किस साल पैदा हुआ है, आपको फ़िट और चुस्त होना चाहिए. हमें अपनी कमियां मालूम थीं. अगर मैं चाहूं कि वॉटसन सिंगल रन रोके तो हो सकता है कि उनकी हैमस्ट्रिंग में दिक़्क़त हो जाए और मैच के लिए उपलब्ध न हों. आप नहीं चाहेंगे कि वॉटसन या ब्रावो को चोट लगे क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो बहुत से खिलाड़ियों को ऊपर नीचे करना पड़ेगा. उम्र तो बस एक नंबर है."