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IPL-2018, CSK vs MI: ग्रेट फ़िनिशर धोनी ने ही डुबा दी अपनी टीम की लुटिया

चेन्नई ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए शानदार शुरुआत की और पहले दस ओवरों में 91 रन बनाए. इस हिसाब से उसे 200 के आसा पास का आंकड़ा छूना चाहिए था लेकिन ऐसा हुआ नही. कौन ज़िम्मेदार है इसका...? धोनी..? शायद हां...

Written by: India TV Sports Desk
Published : April 29, 2018 9:10 IST
Rohit, Dhoni
Rohit, Dhoni

नयी दिल्ली: शनिवार रात मुंबई इंडियंस ने आख़िरकार IPL-2018 में अपनी हार का सिलसिला तोड़ते हुए चेन्नई सुपर किंग्स जैसी मज़बूत टीम को 8 विकेट से हरा दिया. इस जीत में कप्तान रोहित शर्मा का बड़ा योगदान रहा जिन्होंने 56 रन की नाबाद पारी खेली. चेन्नई ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए शानदार शुरुआत की और पहले दस ओवरों में 91 रन बनाए. इस हिसाब से उसे 200 के आसा पास का आंकड़ा छूना चाहिए था लेकिन ऐसा हुआ नही. चेन्नई ने आख़िर के दस ओवरों में महज़ 78 रन बनाए जबकि उसके ज़्यादा विकेट नहीं गिरे थे. तो ऐसा क्या हुआ कि रनों की रफ़़्तार पर ब्रेक लग गया? कौन ज़िम्मेदार है इसका...? धोनी..? शायद हां...

अंबाती रायडू के आउट होने के बाद रोहित शर्मा ने जसप्रीत बूमरा को 13वां ओवर दिया. इसके पहले बूमराह ने पहले दस ओवर के दौरान सिर्फ़ एक ओवर डाला था. उस समय धोनी क्रीज़ पर आए ही थे. धोनी ने पहली बॉल जाने दी और फिर तीन रक्षात्मक स्ट्रोक खेले जिस पर कोई रन नहीं मिला. इस ओवर में बूमराह ने बस एक रन दिया. उन चार गेंदों ने दरअसल चेन्नई सुपर किंग्स की रफ़्तार पर ब्रेक लगा दिए. धोनी ने जमने में समय लगाया और अपनी पहली दस गेंदों पर सिर्फ़ चार रन बनाए. चेन्नई ने 11 से 14 ओवर के बीच महज़ 15 रन बनाए और डेथ ओवर्स में इसकी भरपाई नहीं कर सकी. 

बूमराह के ख़िलाफ़ धोनी हुए अति-रक्षात्मक

धोनी की पारी को देखकर लगा कि उन्होंने तय कर रखा था कि बूमराह पर संभलकर खेला जाए और उनका कोटा पूरा होने दिया जाए. रोहित ने बूमराह के ओवर मिडल और डेथ ओवर के लिए रोक रखे थे. रोहित की रणनीति काम कर गई और जब चेन्नई ने मिशेल मैक्लेनघेन पर रन बटोरने की कोशिश की तो उसके विकेट गिरने लगे और इस तरह अंत में उसे 15-20 रन कम पड़ गए. 

धोनी पारी की शुरुआत में संघर्ष करते नज़र आए. विकेट में दोहरी रफ़्तार थी यानी गेंद कभी तेज़ी से निकलती थी तो कभी धीमे से. शायद इसलीलिए संघर्ष कर रहे थे. धोनी ने मैच के बाद कहा भी कि स्कोर करना मुश्किल हो रहा था क्योंकि मुंबई के तेंज़ गेंदबाज़ बहुत तेज़ गति से ब़लिंग कर रहे थे लेकिन बॉल बैट पर आ नही रही थी. आंकड़ो पर नज़र डालें तो धोनी का कहना सही है. दोनों पारियों में तेंज़ गेंदबाज़ों की 49 शॉर्ट और शॉर्ट ऑफ़ गुड लेंथ गेंदों पर 51 रन ही बने. अमूमन तेज़ खेलने वाले लुइस भी तेज़ी से रन बनाने में नाकाम रहे.

ब्रावो से 19वां ओवर न फिकवाना धोनी का ग़लत फ़ैसला था?

इन दिनों कप्तान तनावभरे मैच में अपने सबसे बेहतर डेथ बॉलर को अंतिम ओवर के लिए कम ही बचाकर रखते हैं. वे उनसे अमूमन उससे 19वां ओवर करवाते हैं ताकि अंतिम ओवर में विरोधी टीम के लिए बड़ा टारगेट रख सकें. मुंबई को अंतिम 12 गेंदों पर 22 रनों की दरकार थी लेकिन धोनी ने 19वां ओवर ड्वान ब्रावो की जगह शार्दुल ठाकुर को दे दिया जबकि ब्रावो टी-20 क्रिकेट में सबसे अनुभवी डेत बॉलर हैं. धोनी का ये फ़ैसला ग़लत साबित हुआ और ठाकुर ने इस ओवर में 17 रन दे डाले यानी मुंबई को अंतिम 6 गेंदों में अब सिर्फ 5 रन बनाने थे. धोनी के इस फ़ैसले के पीछे हो सकता है कि ये वजह रही हो कि शायद बल्लेबाज़ ब्रावो की गेंदबाज़ी के आदी हो चुके होंगे क्योंकि उन्होंने एक छोर से लगातार तीन ओवर किए थे. लेकिन ब्रावो ने उन तीन ओवरों में सिर्फ 21 रन ही दिए थे और उनसे 109वां करवाने की तुक बनती थी. यूं भी धोनी ने ब्रावो से 20वां ओवर नहीं करवाय. इमरान ताहिर ने डाला अंतिम ओवर.

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