नयी दिल्ली: कावेरी जल विवाद को लेकर तमिलनाडु में जारी विरोध-प्रदर्शन की वजह से IPL 2018 के चेन्नई सुपर किंग्स के मैच अब दूसरे शहरों में शिफ़्ट हो सकते हैं. बता दें कि चेन्नई ने कल मंगलवार को अपने घर में लीग का दूसरा मैच कोलकता नाइट नाइट राइडर्स के ख़िलाफ़ खेला था. स्टोडियम में तो कोई गड़बड़ी नही हुई लेकिन बाहर विरोध-प्रदर्शन चल रहा था.सूत्रों के अनुसार IPL के अधिकारी बिना जोख़िम लिए चेन्नई के मैच दूसरी जगह शिफ़्ट करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. चेन्नई का ये दूसरा मैच था. पहला मैच उसने मुंबई में खेला था. बता दें कि मैच फिक्सिंग की वजह से चेन्नई सुपर किंग्स दो साल के बैन के बाद इस साल लीग में लौटी है.
इसके पहले दक्षिण भारत के सुपरस्टार और नेता रजनीकांत ने IPL के शुरु होने के पहले कहा था कि ये समय IPL का नही है और चेन्नई सुपर किंग्स को काली पट्टी बांधकर मैच खेलने चाहिए. राज्य में और कई राजनीतिक दलों ने भी IPL का बहिष्कार करने की अपील की है. तमिझगा वाजवुरीमई काची पार्टी के नेता टी. वेलमुर्गन ने लोगों से मैच का बहिष्कार करने की अपील की है. AIADMK से निकलकर अम्मा मक्कल मुनेत्र कषगम पार्टी बनाने वाले टीटीवी दिनकरन ने भी यह मांग उठाई है. उन्होंने कहा है कि क्रिकेट के ऊपर किसानों की परेशानी को रखना चाहिए. उनका कहना है कि राज्य में किसान पानी की कमी झेल रहे हैं और उनकी परेशानियां कम नहीं हो रहीं और ऐसे में आईपीएल का समर्थन कैसे किया जा सकता है.
कल मैच के पहले प्रदर्शनकारियों ने विरोध दर्ज करने के लिए काले गुब्बारे उड़ाए। पुलिस ने क्रिकेट स्टेडियम की घेराबंदी करने का प्रयास करने वाले कुछ प्रदर्शनकारियों को भी हिरासत में लिया. पुलिस ने स्टेडियम में प्रवेश करने से पहले सभी दर्शकों की टटोल कर तलाशी ली थी. तमिल फिल्म निर्माता भारतीराजा जैसी अन्य हस्तियों ने तमिलनाडु के साथ साथ कर्नाटक के लिए न्याय की मांग करते हुए सड़कों की ओर रुख किया था.
विवाद कावेरी नदी के पानी को लेकर है जिसका उद्गम स्थल कर्नाटक के कोडागु जिले में है. कर्नाटक का कहना है कि बारिश कम होने की वजह से कावेरी में जल स्तर घट गया है और इसीलिए वो तमिलनाडु को पानी नहीं दे सकता है. इसके खिलाफ तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. तमिलनाडु का कहना है कि उसे हर हाल में पानी चाहिए, वरना उसके लाखों किसान बर्बाद हो जाएंगे. दूसरी तरफ कर्नाटक के अपने तर्क है. सूखे की मार झेल रहे कर्नाटक का कहना है कि कावेरी का ज्यादातर पानी बेंगलूरू और अन्य शहरों में पीने के लिए इस्तेमाल हो रहा है. सिंचाई के लिए पानी बच ही नहीं रहा है.
1991 में न्यायाधिकरण ने एक अंतरिम आदेश पारित किया जिसमें कहा गया था कि कर्नाटक कावेरी जल का एक तय हिस्सा तमिल नाडु को देगा. हर महीने कितना पानी छोड़ा जाएगा, ये भी तय किया गया. लेकिन इसपर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ. इस बीच तमिलनाडु इस अंतरिम आदेश को लागू करने के लिए ज़ोर देने लगा. इस आदेश को लागू करने के लिए एक याचिका भी उसने उच्चतम न्यायालय में दाखिल की. पर इस सबसे मामला और पेचीदा ही होता गया.