Subroto Banerjee Selector: भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) की तरफ से पिछले हफ्ते पुरुषों की नई राष्ट्रीय चयन समिति के गठन की घोषणा की जा चुकी है। बीसीसीआई की तरफ से जारी की गई विज्ञप्ति में लगातार दूसरी बार पूर्व क्रिकेटर चेतन शर्मा को अध्यक्ष के रूप में चुने जाने की पुष्टि की गई। हालांकि इस बार शर्मा की टीम में चार नए चेहरों को जगह दी गई जो अपने-अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे। इनमें एक नाम ऐसे पूर्व क्रिकेटर का है, जिसका करियर शानदार शुरुआत के बावजूद लंबा नहीं खिंच पाया। हम बात कर रहे हैं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू करने वाले पूर्व तेज गेंदबाज सुब्रतो बनर्जी की, जो अब भारतीय क्रिकेट टीम की चयन समिति का हिस्सा बन चुके हैं।
बिहार की राजधानी पटना में जन्मे और बिहार के अलावा बंगाल से घरेलू क्रिकेट खेलने वाले सुब्रतो बनर्जी को चेतन शर्मा की अगुआई वाली चयन समिति के सदस्य के रूप में चुना गया है और अब वह भारतीय खिलाड़ियों के चयन में अहम भूमिका निभाएंगे। बनर्जी ने हालांकि पिछली बार भी आवेदन किया था लेकिन तब वह देबाशीष मोहंती से हार गए थे।
उमेश यादव के गेंदबाजी कोच
बनर्जी के बारे में बात करें तो वह एक प्रतिष्ठित गेंदबाजी कोच रह चुके हैं और वर्तमान में भारतीय तेज गेंदबाज उमेश यादव के निजी कोच भी हैं। वह विदर्भ की रणजी ट्रॉफी विजेता टीम के गेंदबाजी कोच भी थे और फिर बिहार के कोच बने। लेकिन इन सबसे अलग उनका क्रिकेट करियर बेहद यादगार रहा था।
वनडे डेब्यू में लारा को बनाया पहला शिकार
53 साल के सुब्रतो ने सबसे पहले दिसंबर 1991 को पर्थ में वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे में अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया। दोनों तरफ से स्विंग गेंदबाजी कराने में माहिर सुब्रतो ने अपना सबसे पहला शिकार महान ब्रायन लारा को बनाया। उन्होंने लारा को 14 के स्कोर पर विकेट के पीछे किरण मोरे के हाथों कैच कराया। इसके बाद बनर्जी ने मैल्कम मार्शल और फिर डेविड विलियम्स को चलता किया। उस मैच में उन्होंने 10 ओवर की गेंदबाजी में 2 मेडेन के साथ 30 रन दिए और 3 विकेट हासिल किए। इसके बाद वह अपने वनडे करियर में 5 और मैच खेले और सिर्फ 2 विकेट ही ले पाए।
टेस्ट डेब्यू में बरपाया कहर
सुब्रतो ने अपने वनडे डेब्यू के कुछ महीने बाद ही अगले साल जनवरी 1992 में सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया। उन्होंने सबसे पहले एक जबरदस्त इनस्विंग गेंद से ऑस्ट्रेलियाई ओपनर ज्योफ मार्श को बोल्ड किया और अपना पहला शिकार बनाया। इसके बाद उन्होंने दूसरे ओपनर मार्क टेलर और फिर मार्क वॉ को आउटस्विंग से चकमा देते हुए उनका विकेट भी हासिल किया। हालांकि पहली पारी में तीन विकेट लेने के बावजूद उस समय के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने उन्हें दूसरी पारी में 84 ओवर की गेंदबाजी में एक ओवर भी नहीं डलवाया और मैच ड्रॉ के साथ खत्म हुआ। सुब्रतो का यह मैच भी आखिरी साबित हुआ और शानदार आगाज के बावजूद उन्हें दोबारा कभी टेस्ट में मौका नहीं मिला।