गौतम गंभीर। अक्सर जब भी इस खिलाड़ी का नाम सामने आता है तो बात की जाती है कि भारत की दो वर्ल्ड कप जीतों के लिए गंभीर को शायद उतना क्रेडिट नहीं मिला जितने के वे हकदार थे। लेकिन किसी ने बहुत खूब कहा है कि इंसान जो कमाता है वो भी अपने कर्मों के चलते ही कमाता है और जो गंवाता है वो भी कर्मों के चलते ही। आपने भी जरूर ये देखा या सुना होगा कि गंभीर की तुलना में महेंद्र सिंह धोनी को हर मामले में इज्जत ज्यादा मिलती आई है। लेकिन वो इज्जत कभी धोनी को सामने से नहीं मांगनी पड़ी। चाहे खिलाड़ी हों या फैंस धोनी को हमेशा गंभीर से ऊपर ही रखा गया। सवाल आता है क्यों? तो इसका जवाब है गंभीर और धोनी के बर्ताव में जमीन-आसमान का अंतर।
अपने खराब बर्ताव के लिए पूरी दुनिया में प्रचलित गंभीर ने इसका एक नमूना हाल ही में एक आईपीएल मैच में भी दिखाया। लखनऊ के सामने थी आरसीबी की टीम। लखनऊ के तेज गेंदबाज नवीन उल हक के साथ विराट कोहली का कुछ विवाद हुआ। कुछ नया नहीं था। 22 खिलाड़ी जीतने के लिए लड़ेंगे तो विवाद और बहस आम है। पहले भी देखा गया है। लेकिन इस सब के बीच में जिस तरह गौतम गंभीर कूदे वो ना तो उनके जितने बड़े कद के खिलाड़ी को शोभा देता और ना ही किसी टीम के मेंटोर को। विराट के साथ गंभीर इस तरह भिड़े जैसे दोनों के बीच पुरानी कोई रंजिश है। इस लड़ाई के बाद फैंस भी बंट गए। कोई गंभीर के लिए खड़ा हुआ तो किसी ने कोहली के लिए आवाज उठाई। लेकिन इंडिया टीवी को सूत्रों से जो खबर मिली है अगर आप वो जानेंगे तो इस झड़प की पूरी कहानी आपके सामने साफ हो जाएगी।
कोहली के साथ हुई बड़ी नाइंसाफी!
इस झड़प के बाद मैच रेफरी ने विराट और गंभीर के ऊपर 100 प्रतिशत मैच फीस का जुर्माना ठोका। वहीं नवीन के ऊपर भी 50 परसेंट का जुर्माना लगाया गया। लेकिन इंडिया टीवी को पता चला है कि इस मामले में मैच रेफरी ने अपना काम ठीक से किया ही नहीं। दरअसल मैच रेफरी का काम होता है मामले की पूरी तह तक पहुंचकर कोई फैसला लेना। इसमें दोनों पक्षों से सफाई लेना भी जरूरी होता है। लेकिन ऐसा हुआ ही नहीं। इस मैच के रेफरी प्रकाश भट्ट ने इस पूरी लड़ाई पर कोहली का पक्ष सुने बिना ही उन्हें इतनी बड़ी सजा दे डाली। इतना ही नहीं, इस रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि उस दिन पूरी झड़प में विराट का कोई मेन रोल ही नहीं था।
कैसे शुरू हुआ सब?
बता दें कि लखनऊ की पारी का 17वां ओवर मोहम्मद सिराज लेकर आए। सामने नवीन उल हक थे। तभी विराट ने सिराज को कहा कि 'बाउंसर डालकर देखले।' सिराज ने इसी में नवीन को स्लेज करने का एक मौका खोज लिया। उन्होंने नवीन से कहा कि ऊपर डालूं या नीचे? इस पर नवीन ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि यहां नीचे आकर बैठ जा। क्रिकेट के खेल में ऐसे बैंटर होते रहते हैं और पहले भी देखे गए हैं। लेकिन ये बैंटर मैच के साथ खत्म हो जाएं तो बेहतर रहते हैं। इसी उम्मीद के साथ कोहली मैच के बाद नवीन से हाथ मिलाने गए। खबर ये है कि विराट ने नवीन को ये भी कहा कि जो हुआ उसे भूल जाओ और स्पोर्ट्समैन स्पिरिट के साथ हाथ मिलाओ। लेकिन नवीन ने यहां पूरे गुस्से के साथ ना सिर्फ कोहली के हाथ को झटका, बल्कि उन्हें गालियां भी दीं।
अब लखनऊ के एक दूसरे खिलाड़ी काइल मेयर्स कोहली के पास पहुंचते हैं और हुआ क्या ये पूछते हैं। कोहली उन्हें सफाई दे रहे थे। तभी गंभीर वहां पहुंचते हैं और मेयर्स का हाथ खींचकर कहते हैं कि चलो इससे बात करने की कोई जरूरत नहीं। ये वीडियो में पूरी दुनिया ने देखा ही है। गंभीर यहां रुके नहीं। वापस आए। कोहली पर जमकर चिल्लाए। उनसे ये तक कहा कि तू गाली नहीं देता क्या? इसपर विराट चुप रहे और गंभीर को समझाने की ही कोशिश की। आरसीबी के खिलाड़ी ग्लेन मैक्सवेल ने भी ये साफ किया कि उस दिन विराट ने एक भी शब्द ऐसा नहीं कहा जिसपर गंभीर इतने भड़क उठे।
ऐसे ही नहीं कमाई जाती इज्जत
ये तो हुई पूरी विवाद की बात। शायद आपने जो बातें सुनी या पढ़ीं उससे एकदम अलग। लेकिन सवाल ये आता है कि उस दिन मैच में हुए छोटे से बैंटर में गंभीर को कूदने की जरूरत थी? मेयर्स का हाथ पकड़ उन्हें विराट से दूर ले जाना गंभीर जैसे दिग्गज को शोभा देता है? ये बचकानी हरकत नहीं है तो क्या? दुनियाभर के स्टार खिलाड़ियों के बीच खत्म हुए एक मुकाबले को गंभीर की एक छोटी से गलती ने पूरी तरह से एक गली का मैच बना दिया। वैसे तो ये बताने की जरूरत नहीं है, लेकिन एक मेंटोर का काम टीम के खिलाड़ियों को संभालना, उन्हें तैयार करना और उन्हें मेंटल सपोर्ट देना होता है। लेकिन गंभीर ने सपोर्ट के नाम पर क्या किया वो आप सभी ने देखा। विराट देश के स्टार हैं। तमाम ऐसे काम कर चुके हैं जिससे देश का झंडा ऊपर गया। लेकिन एक 22 साल के अफगान खिलाड़ी के सामने गंभीर ने उन्हें बेइज्जत करने से पहले उन्होंने एक बार भी सोचा? नहीं, कतई नहीं।
आखिर किस बात को लेकर है इतनी चिढ़न?
विराट आज जो कुछ हैं अपने दम पर हैं। ना तो किसी बड़े गुट के दम पर उन्हें कुछ मिला और ना ही खैरात में। कोई ऐसे ही तो उनकी तुलना सचिन तेंदुलकर से नहीं करता। कुछ तो अचीव किया ही होगा। 76 इंटरनेशनल शतक हैं। कई खिलाड़ियों के सपने में भी इतनी कामयाबी नहीं आती होगी जितनी विराट ने सिर्फ अपने बल्ले के दम पर कमाई है। तो फिर गंभीर को उनसे इतनी दिक्कत क्यों? क्या गंभीर के खाते से विराट ने शतक ले लिए? या गंभीर को हर उस खिलाड़ी से दिक्कत है जो उनसे बेहतर है? मौजूदा हालात तो यही कहते हैं। कभी धोनी तो कभी कोहली। जिस भी खिलाड़ी ने लोग कमाए उनसे गंभीर की दिक्कत शुरू हो जाती।
चलिए मान लेते हैं आपको ना धोनी पसंद ना कोहली। कोई बात नहीं, ह्यूमन नेचर है। गंभीर वैसे भी इसकी टसक लाइव शोज में कोहली को नीचा दिखाकर कई बार निकाल लेते हैं। तो क्या वो काफी नहीं है? अगर उन्हें सच में ये लगता है कि मैदान पर अपने ही साथी खिलाड़ी को गाली देकर फैन और इज्जत बढ़ जाएगी तो ये गलत है। जैसा कि इस रिपोर्ट के शुरू में हमने कहा था इज्जत आप कमाते भी अपने कर्मों से हैं और गंवाते भी उन्हीं से।