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विराट कोहली आखिर कब तक फॉर्म की तलाश में करेंगे टीम का नुकसान

विराट कोहली इंग्लैंड के खिलाफ पांचवे टेस्ट में हुए फेल।

Written By: Rajeev Rai @@Rajeev_Bharat
Published on: July 06, 2022 0:07 IST
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Image Source : GETTY Virat Kohli

भारतीय टीम के हाथ से इंग्लैंड में पांच मैचों की टेस्ट सीरीज जीतने का सुनहरा मौका निकल चुका है। इंग्लैंड के खिलाफ एजबेस्टन में खेले गए पांचवें और आखिरी टेस्ट में टीम इंडिया के लिए तेजी से चीजें बदलीं और देखते-देखते जीती हुई बाजी हाथ से निकल गई। पिछले साल शुरू हुई टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम 2-1 से आगे थी और उसे सीरीज जीतने के लिए मैच को या तो ड्रॉ करवाना था और या फिर जीतना था, लेकिन वह दोनों ही चीजें नहीं कर पाई। जबकि मैच के तीसरे दिन तक मेहमान टीम जीत की दावेदार मानी जा रही थी। भारत की इस हार के लिए वैसे तो पूरी टीम जिम्मेदार है लेकिन विराट कोहली की बात करना भी जरूरी है। 

पूर्व कप्तान और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बीस हजार से अधिक रन बना चुके विराट एक बार फिर से फ्लॉप रहे। वह मैच में कुल मिलाकर सिर्फ 31 रन ही बना पाए। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब विराट से टीम को कोई योगदान नहीं मिला है। बल्कि पिछले करीब तीन साल से उनके साथ यही स्थिति बनी हुई है। टीम में चयन का पैमाना अगर प्रदर्शन है तो विराट को इस आधार पर बहुत पहले ही बाहर हो जाना चाहिए था। ऐसा इसलिए भी क्योंकि वह खुद भी दूसरे खिलाड़ियों के साथ ऐसा ही करते रहे हैं। 

तीन साल से नहीं लगा पाए अंतरराष्ट्रीय शतक

कोहली हमेशा से कहते रहे हैं कि वे खुद को बेस्ट मानकर क्रिकेट खेलते हैं। अपने प्रदर्शन से उन्होंने लंबे समय इस बात को साबित भी किया है। लेकिन 23 नवंबर 2019 के बाद से उनका प्रदर्शन लगातार गिरता ही रहा है। इस तारीख के बाद से वह एक भी अंतरराष्ट्रीय शतक नहीं लगा पाए हैं और उनके प्रदर्शन में भी गिरावट देखने को मिली है। उसके बाद से उन्होंने 18 टेस्ट मैचों में 27.25 की औसत से सिर्फ 872 रन बनाए हैं और इस दौरान उनके बल्ले से एक भी शतक नहीं निकला है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर विराट खुद कप्तान होते तो क्या इतने साधारण प्रदर्शन के बाद खुद को प्लेइंग-11 में शामिल करते? शायद नहीं और ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने इसी आधार पर अन्य खिलाड़ियों का टीम में चयन किया है।

प्लेइंग XI में प्रदर्शन के आधार पर करते रहे बदलाव

विराट ने 68 टेस्ट मैचों में टीम इंडिया की कमान संभाली और 64 में उन्होंने प्लेइंग-11 में बदलाव किए। उनकी कप्तानी में 41 खिलाड़ियों ने टेस्ट मैच खेला। इनमें से चार को सिर्फ एक-एक टेस्ट में मौका मिला। जबकि पांच खिलाड़ी दो-दो टेस्ट ही खेल पाए। 9 खिलाड़ी ऐसे रहे जिन्हें सिर्फ 3 से 5 टेस्ट में ही मौका मिला। कप्तान विराट इन बदलावों के पीछे टीम की हित की दलील देते थे। करूण नायर के साथ तो विराट ने और भी बुरा किया था। उन्होंने करूण को टेस्ट मैच में तिहरा शतक लगाने के बाद प्लेइंग से बाहर कर दिया। नायर ने 16 दिसंबर 2016 को तिहरा शतक लगाया और फिर अगले साल और आखिरी बार मार्च 2017 में खेले। इसके बाद से वह टीम से बाहर ही रहे। 

कप्तानी में बेहतर बल्लेबाज

विराट के रिकॉर्ड को देखें तो यह साफ हो जाता है कि बतौर बल्लेबाज वह तभी सफल थे जब वे टीम के कप्तान थे। उस समय उन्होंने कप्तान के तौर पर 68 टेस्ट की 113 पारियों में 54.80 की औसत से 5864 रन बनाए। लेकिन कप्तानी से हटने के बाद बतौर खिलाड़ी उन्होंने अब तक 34 टेस्ट खेले हैं और 60 पारियों में 39.46 की औसत से महज 2210 रन बनाए हैं। 

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