आईपीएल 2023 में आरसीबी के ओपनर और स्टार खिलाड़ी विराट कोहली ने रन तो काफी बनाए हैं लेकिन उनकी धीमी बल्लेबाजी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। पिछले मैच में दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ उन्होंने 55 रनों की पारी जरूर खेली लेकिन उन्होंने इसके लिए 46 गेंदें भी ली। इसके लिए पूर्व कप्तान की आलोचना हुई। इसको लेकर अब टीम इंडिया के पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री का बयान सामने आया है। उन्होंने विराट को सीधी सलाह दी है कि, उन्हें अपनी लय पर ध्यान देना चाहिए ना कि दूसरे बल्लेबाजों की चिंता करनी चाहिए। वहीं शास्त्री ने रोहित शर्मा की कप्तानी और उनके फॉर्म पर भी अपने विचार रखे हैं।
शास्त्री का विराट को गुरुमंत्र
भारत के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने सोमवार को ईएसपीएनक्रिकइन्फो’ के एक कार्यक्रम में पूछा गया कि क्या आरसीबी की लचर बल्लेबाजी के कारण कोहली आखिर ओवरों तक बल्लेबाजी के लिए मजबूर हो रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि, एक बार जब आप लय हासिल कर लेते हैं, तो अपने खेल को नहीं बदलना चाहिए, दूसरों की चिंता नहीं करनी चाहिए। विराट के लिए यही मेरा संदेश होगा कि उन्हें (दूसरे बल्लेबाजों) अपना काम करने दें। टी20 मैच में आपको इतने बल्लेबाजों की जरूरत नहीं होती। अगर आप फॉर्म में है तो अपने तरीके से बल्लेबाजी जारी रखें।
उन्होंने आगे दिल्ली के बल्लेबाज फिल साल्ट का उदाहरण देते हुए कहा कि, आपने देखा कि उसने (साल्ट ने) किस तरह से बल्लेबाजी की। एक बार जब उसने लय हासिल कर ली तो फिर उसे जाने नहीं दिया। इससे अन्य बल्लेबाजों पर से दबाव हट गया। चाहे मार्श हो या रूसो, वे भी पूरी आजादी के साथ आक्रामक बल्लेबाजी रहे थे। विराट को भी कुछ ऐसा ही दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। अगर उन्होंने लय हासिल कर ली है तो अपनी गति न बदलें। विराट कोहली ने इस सीजन अभी तक 10 मैचों में 6 अर्धशतकों की बदौलत 419 रन बनाए हैं। उनका स्ट्राइक रेट 135 का रहा है। उन्होंने पहले मैच में मुंबई के खिलाफ 49 गेंदों पर 81 रन ठोके थे। उसके बाद से उनका स्ट्राइक रेट ठीकठाक रहा है। समस्या रही है कि, वह शुरुआत अच्छी करते हैं लेकिन अंत में उनकी गति धीमी हो जाती है।
रोहित के फॉर्म का कप्तानी पर भी असर...
मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा ने 10 मैच में सिर्फ 184 रन बनाए हैं। उनकी फॉर्म के बारे में पूछे जाने पर रवि शास्त्री ने कहा कि, बल्ले से योगदान नहीं देने का असर उनकी कप्तानी पर भी पड़ रहा है। अगर आप रन बना रहे हैं तो एक कप्तान के रूप में काम बहुत आसान हो जाता है। जब आपका बल्ला चल रहा होता है तो मैदान पर हाव भाव बदल जाता है, मैदान पर अलग स्तर की ऊर्जा होती है। इसके उलट जब आप रन नहीं बना पाते है तो उत्साह में कमी होती है। एक कप्तान के तौर पर यह ज़रूरी है कि आपका निजी प्रदर्शन भी अच्छा हो। यही टीम आने वाले दो तीन वर्षों में एक मजबूत टीम बन सकती है, लेकिन इन्हें सही तरह से संयोजित करने की जिम्मेदारी कप्तान की ही है।