विराट कोहली की गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्लेयर्स में होती है। उन्होंने अपने दम पर टीम इंडिया को कई मैच जिताए हैं। कोहली भारतीय क्रिकेट में उस सूर्य की तरह हैं, जिन्होंने अपनी चमक से दूसरे खिलाड़ियों को प्रेरित किया है। उन्हें खेलता देखकर कई युवा खिलाड़ियों ने क्रिकेट के मैदान पर कदम रखा। कोहली ही वह खिलाड़ी हैं जो सचिन तेंदुलकर के पहाड़ जैसे रिकॉर्ड के बराबर पहुंच पाए और जब सारी दुनिया ये मान चुकी थी कि कोहली ही सचिन के 100 शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं, तभी उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया गया।
प्लेइंग इलेवन से निकाला बाहर
विराट कोहली ने भारत के लिए साल 2008 में वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया था। डेब्यू के बाद से ही वह टीम इंडिया के बैटिंग ऑर्डर की अहम रीढ़ बन गए। उन्होंने वनडे क्रिकेट में बल्लेबाजी की नई परिभाषा गढ़ी। चेज करते हुए मैच जिताने की काबिलियत ने ही उन्हें चेज मास्टर बना दिया। वह सचिन तेंदुलकर के बाद क्रिकेट फैंस के लिए नए भगवान बन गए। क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में वह टीम की जरूरत बने। दुनिया का कोई भी मैदान हो कोहली ने वहां परचम लहराया। टीम इंडिया कितनी भी मुश्किल परिस्थिति में रही हो। अगर कोहली क्रीज पर हैं, तो फैंस को उम्मीद रहती है कि वह मैच जिता देंगे और उन्होंने भारतीय टीम को जिताकर उस उम्मीद को कायम भी रखा।
विराट कोहली साल 2020 तक क्रिकेट के शिखर पर थे। उनके आस-पास भी दुनिया का कोई बल्लेबाज नहीं था। फैंस को यह उम्मीद थी कि कोहली ही सचिन तेंदुलकर के 100 शतकों का रिकॉर्ड तोड़ेंगे, लेकिन अब ऐसा होता मुमकिन नहीं दिखा रहा है। कोहली कोच राहुल द्रविड़ के एक्सपेरिमेंट का शिकार बन गए हैं और प्लेइंग इलेवन में ही शामिल नहीं हैं, तो किस तरह से सचिन के महारिकॉर्ड को तोड़ेंगे।
एक्सपेरिमेंट का बने शिकार
वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सीरीज के पहले मैच में वह प्लेइंग इलेवन में शामिल थे, लेकिन उन्हें बल्लेबाजी करने का मौका ही नहीं मिला। फिर दूसरे और तीसरे वनडे मैच से उन्हें रेस्ट दे दिया गया। ये सब एक्सपेरिमेंट उस समय हो रहे हैं, जब वर्ल्ड कप सिर पर खड़ा है और टीम में लगातार बदलाव हो रहे हैं। पता नहीं कोच राहुल द्रविड़ किस तरह की टीम बनाना चाहते हैं, जिसकी प्लेइंग इलेवन में कोहली जैसे सुपरस्टार बल्लेबाज ही शामिल नहीं है। वर्ल्ड कप से ठीक पहले उन्हें बाहर करने का कोई तुक ही नहीं है। अगर कोच द्रविड़ को उन्हें प्लेइंग इलेवन में नहीं रखना था, तो वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सीरीज से उन्हें रेस्ट दे दिया जाता, लेकिन नहीं। पहले टीम में चुना और फिर प्लेइंग इलेवन में नहीं रखा। ये किसी भी टीम के कोच की अच्छी रणनीति नहीं है। वह भी तब जब टीम इंडिया पिछले 10 सालों से एक भी आईसीसी टूर्नामेंट नहीं जीत पाई है।
विराट कोहली ने फैंस को जो उम्मीद दी थी कि वह सचिन का रिकॉर्ड तोड़ेंगे और वर्ल्ड कप की अच्छी तैयारी के साथ जाएंगे, जब कोहली प्लेइंग इलेवन में खेलेंगे ही नहीं, तो रिकॉर्ड कहां से टूटेगा। कोच राहुल द्रविड़ को क्या हक था कि वह करोड़ों फैंस की उम्मीद चकनाचूर करें। द्रविड़ के एक्सपेरिमेंट के चक्कर में ही टीम इंडिया को वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे वनडे में 6 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने एक्सपेरिमेंट की वह लैब बनाई, जो कोई नतीजा नहीं दे पा रही है। द्रविड़ स्टार कोहली के साथ ठीक वैसा ही कर रहे हैं, जैसे रोटी सिंकने वाली हो और आप गैस बंद कर दें। सभी क्रिकेट पंडित ये मानते हैं कि नंबर तीन के लिए विराट कोहली से बेहतर बल्लेबाज टीम इंडिया के पास नहीं है। फिर भी वर्ल्ड कप से ठीक पहले इस पोजीशन पर उनकी जगह किसी और को आजमाया जा रहा है। कोहली इस समय 34 साल 269 दिन के हो चुके हैं और शायद वह वनडे वर्ल्ड कप 2023 उनका आखिरी हो। फैंस भी यह चाहते हैं कि वह सचिन तेंदुलकर की तरह वर्ल्ड कप जीतकर विदाई लें और वर्ल्ड कप में खूब रन बनाएं।
नहीं मिल रहा खेलने का मौका
विराट कोहली ने साल 2020 के 8 मैचों में 368 रन, 2021 के 3 मैचों में 129 रन, 2022 के 8 मैचों में 175 रन, 2023 के 427 रन बनाए हैं। इस साल उन्होंने 2 शतक भी लगाए हैं। वह शानदार फॉर्म में चल रहे हैं फिर भी उन्हें खेलने का मौका नहीं दिया जा रहा है। वह इकलौते ऐसे भारतीय बल्लेबाज हैं, जिन्होंने टेस्ट, वनडे और टी20 तीनों फॉर्मेट में 100 से ज्यादा मुकाबले खेले हैं। उनके क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में 76 शतक दर्ज हैं और वह सिर्फ सचिन तेंदुलकर से पीछे हैं। एक क्रिकेट फैंस के नाते कोच द्रविड़ से यही दरखास्त है कि अगर टीम में एक्सपेरिमेंट करें, तो उसका नतीजा भी दें। अब वर्ल्ड कप के साल में क्रिकेट फैंस एक और हार बर्दाश्त नहीं सकते हैं।