आईपीएल 2023 के 43वें मुकाबले के बाद लखनऊ के इकाना स्टेडियम में भीषण घमासान देखने को मिला। दूसरी पारी के 17वें ओवर से शुरू हुई लड़ाई ने मैच के बाद हैंडशेक तक भीषण रूप ले लिया था। इस मामले के कई वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं। बोर्ड ने भी आईपीएल के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन करने के लिए सजा का भी ऐलान किया है। अब मैदान पर हुई इस कलह के बाद विराट कोहली का पहला रिएक्शन सामने आया है। उन्होंने अपनी ऑफिशियल इंस्टाग्राम स्टोरी में और आरसीबी के वीडियो में कुछ ऐसा कहा, जिससे इशारों-इशारों में ही उन्होंने गंभीर पर वार कर दिया।
विराट कोहली ने आरसीबी द्वारा शेयर किए गए वीडियो में कहा कि, अगर आप कुछ कहते हैं तो सुनना भी पड़ेगा। उन्होंने हालांकि, इसे अंग्रेज में बोला लेकिन इसका मतलब यही था। फिर इंस्टाग्राम स्टोरी में विराट ने एक पोस्टर शेयर किया जिसमें मैसेज लिखा था कि, हम जो भी सुनते हैं वो सिर्फ विचार होते हैं ना कि कोई तथ्य। हम जो देखते हैं वो अपना नजरिया होता है, लेकिन सच कुछ और होता है। इन दोनों रिएक्शन से साफ पता चल रहा है कि, विराट ने कल रात हुए वाकिये पर ही अपना पक्ष रखा है और इशारों-इशारों में अपने विरोधियों पर वार कर दिया।
मैच के बाद हुई भीषण लड़ाई
लखनऊ की बल्लेबाजी के समय जब मोहम्मद सिराज पारी का 17वां ओवर फेंक रहे थे उस समय यह विवाद शुरू हुआ था। इस ओवर में सिराज और नवीन के बीच कहासुनी हुई। ओवर खत्म होने के बाद विराट कोहली भी इस मामले में कूद पड़े। विराट और नवीन के बीच यह कहासुनी मैच खत्म होने के बाद तक चली। जब सभी खिलाड़ी हाथ मिला रहे थे, उस वक्त भी जब विराट और नवीन का सामना हुआ तो दोनों में कुछ बातचीत हुई। इसके बाद नवीन ने विराट का हाथ झटक दिया और वहां से मामला और बढ़ गया। इस दौरान गौतम गंभीर अंपायर से गुस्से में कुछ बात करते नजर आए। उसके बाद गौतम गंभीर और विराट कोहली के बीच ऐसी कहासुनी शुरू हुई कि मैदान का नजारा एक गैंगवार जैसा लगने लगा।
BCCI ने सुनाई सजा
इस पूरे मामले में बीसीसीआई ने विराट कोहली, गौतम गंभीर और नवीन उल हक को आईपीएल के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन करने का दोषी पाया। विराट और गंभीर पर बोर्ड ने मैच फीस का 100 प्रतिशत जुर्माना लगाया। जबकि अफगान खिलाड़ी नवीन उल हक पर उनकी मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया। इन तीनों ही खिलाड़ियों ने अपनी गलतियों को स्वीकार किया था। जिसके बाद इस मामले में आगे की सुनवाई की जरूरत नहीं पड़ी।