हमेशा किस्मत ही खराब नहीं होती, कभी-कभी फैसले भी गलत होते हैं। ये बात रोहित शर्मा पर आज भले ही फिट बैठ रही हो लेकिन जब जून 2024 में टीम इंडिया ने साउथ अफ्रीका को हराकर T20 वर्ल्ड कप का खिताब जीता, तब उनकी किस्मत भी साथ दे रही थी और उनके साहसिक फैसले भी सही साबित हो रहे थे। यही वजह है कि रोहित शर्मा द्वारा फाइनल में हार्दिक पांड्या को आखिरी ओवर देने के फैसले की आज भी मिसाल दी जाती है। लेकिन किस्मत और भारतीय क्रिकेट फैंस का मूड हमेशा एक जैसे नहीं रहता। टीम इंडिया को वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाला कप्तान 6 महीने से भी कम समय में चौतरफा आलोचना झेलने को मजबूर है। जिस कप्तान की तारीफ में कुछ महीने पहले तक कसीदे पढ़े जा रहे थे, उस हिटमैन को ना केवल कप्तानी से हटाए जाने के सुर तेज हो गए हैं बल्कि टीम से बाहर करने की वकालत हो रही है क्योंकि भारतीय कप्तान के ना तो फैसले सही साबित हो रहे हैं और ना ही उनके बल्ले से रन निकल रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया में जब टीम इंडिया ने कदम रखा था तो रोहित शर्मा टीम के साथ नहीं थे। पिता बनने की वजह से वह टीम इंडिया से देर में जुड़े। तब तक टीम इंडिया ने पर्थ टेस्ट बड़े अंतर से अपने नाम कर चुकी थी। इसके बाद लगा कि टीम इंडिया एडिलेड में डे-नाइट टेस्ट मैच में भी पर्थ की सफलता को दोहराने में कामयाब होगी कि लेकिन हुआ उसका उल्टा। ऑस्ट्रेलिया ने दूसरे टेस्ट में शानदार कमबैक करते हुए रोहित की अगुवाई वाली टीम इंडिया को 10 विकेट से मात दे दी। इस मैच में ना रोहित की कप्तानी चली और ना ही बल्ला। एडिलेड में फ्लॉप होने के बाद गाबा में रोहित से बड़ी पारी की उम्मीद थी लेकिन एक बार फिर बल्ले ने धोखा दे दिया और सिर्फ 10 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। और फिर उठने लगे बड़े सवाल। यही कि आखिर कब तक रोहित की बल्लेबाजी पर पर्दा डाला जाएगा और कब तक उनकी कप्तानी पर भरोसा जताया जाएगा।
T20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद सभी को लग रहा था कि टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा का अगला बड़ा टारगेट 2025 में खेले जाने वाले वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशि (WTC) 2023-25 जीतना होगा लेकिन वक्त ने ऐसी करवट ली कि टीम इंडिया के लिए खिताब जीतना तो दूर की बात, न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में क्लीन स्वीप का सामना करने के बाद WTC फाइनल में पहुंचने के लाले पड़े गए। पिछले साल तक रोहित शर्मा का बल्ल वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में जमकर रन उगल रहा था। क्रिकेट के जानकार भी उनकी कप्तानी की तारीफ करते नहीं थक रहे थे। साल 2023 में वह विराट कोहली के बाद टेस्ट में दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे। उन्होंने 7 टेस्ट मैचों में लगभग 50 के औसत से 540 रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने 2 शतक और 2 अर्धशतक जड़े। ऐसा नहीं है कि रोहित के लिए मुश्किलें इस साल से ही शुरू हुईं। पिछले साल के आखिर से ही उनका बल्ला शांत होता चला गया और कप्तानी की धार भी कम होती चली गई।
न्यूजीलैंड के खिलाफ खुली कमजोर कप्तानी की कलई
पिछले साल के आखिरी महीने में साउथ अफ्रीका दौरे पर गई टीम इंडिया भले ही 2 मैचों की सीरीज 1-1 से बराबर करने में सफल रही लेकिन कप्तान रोहित का बल्ला एक अर्धशतक के लिए तरस गया। इसके बाद नए साल में रोहित ने इंग्लैंड के खिलाफ 5 मैचों की टेस्ट सीरीज में 2 शतक जड़े लेकिन पूरी तरह से लय में नजर नहीं आए। इस बीच T20 वर्ल्ड कप की ऐतिहासिक जीत के साथ ही दिग्गज राहुल द्रविड़ की विदाई हो गई और कप्तान को तेजतर्रार गौतम गंभीर का साथ मिला। गंभीर की कोचिंग में रोहित की कप्तानी आक्रामक तो नजर आई लेकिन इसकी झलक सिर्फ बांग्लादेश जैसी कमजोर टीम के खिलाफ तक ही दिखी। रोहित के लिए इस साल असली दिक्कत तब शुरू हुई जब टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड को अपने घर में हल्के में लेने की बड़ी गलती की। न्यूजीलैंड की टीम पहले ही टेस्ट मैच से टीम इंडिया पर हावी नजर आई जिसका नतीजा ये हुआ कि मेजबान भारत को साल की दूसरी बड़ी हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले टीम इंडिया ने इंग्लैंड के खिलाफ हार से साल 2024 की शुरूआत की थी लेकिन फिर कमबैक करते हुए लगातार 4 टेस्ट में जीत के साथ सीरीज पर कब्जा किया।
रोहित की कप्तानी में सबसे बड़ी हार
न्यूजीलैंड से मिली पहली हार को रोहिंत एंड कंपनी अभी सही से पचा भी नहीं पाई थी कि कीवी टीम ने केन विलियमसन जैसे दिग्गज बल्लेबाज के बिना ही भारतीय टीम को दिन में तारे दिखा दिए और पहली बार भारतीय सरजमीं पर टेस्ट सीरीज जीतने का नया इतिहास रच दिया। इस सीरीज के पहले 2 मैचों में लगा ही नहीं कि न्यूजीलैंड के सामने वही टीम इंडिया खेल रही है जिसको उसी के घर में हराने की हिम्मत किसी टीम में नहीं होती है। लगातार 2 टेस्ट हारने के बाद भी रोहित ने कोई सबक नहीं लिया जिसका नतीजा ये हुआ कि टीम इंडिया का पहली बार किसी टीम ने 3 या उससे ज्यादा मैचों की सीरीज में सूपड़ा साफ कर दिया। इस करारी शिकस्त से एक बात तो साफ हो गई कि रोहित शर्मा की कप्तानी में शुरुआत से ही एक कमजोर कड़ी थी जिसकी कलई आखिरकार न्यूजीलैंड के सामने खुली। इस हार से सबसे ज्यादा टीम इंडिया के वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जाने की उम्मीदों को झटका लगा जो इस सीरीज से पहले तक लगभग तय माना जा रहा था।
रोहित शर्मा का करियर ढलान पर
T20 वर्ल्ड कप का खिताब जीतने के बाद रोहित शर्मा की टीम और उनकी कप्तानी 6 महीने के भीतर सबसे निचले स्तर तक आ पहुंची। फैंस की तारीफें अब आलोचना में बदल गई थी। हर तरफ से रोहित शर्मा की कप्तानी पर सवाल उठने लगे जिनका जवाब देने का उनके पास बस एक ही तरीका था कि वे ऑस्ट्रेलिया जाकर खुद को साबित करें लेकिन अब तक ऐसा होता नहीं दिख रहा है और टीम इंडिया 3 मैचों में सिर्फ 1 मैच जीतकर WTC के खिताबी मुकाबले की दौड़ से बाहर होती नजर आ रही है।
रोहित शर्मा 37 साल के हो चुके हैं और क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट को पहले ही अलविदा कह चुके हैं लेकिन टेस्ट और वनडे में अपनी कुर्सी बचाने के लिए उन्हें सबसे पहले खुद के प्रदर्शन में सुधार करना होगा वरना उनका सौरव गांगुली जैसा हाल होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी जिनकी कप्तानी जाते ही टीम से छुट्टी हो गई थी।