T20 World Cup 2022: टी20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया ने खेल के ज्यादातर डिपार्टमेंट में बेहतरीन प्रदर्शन किया। अब उसे जिम्बाब्वे के खिलाफ रविवार को अपना आखिरी लीग मैच खेलना है। इसके बाद कप्तान रोहित शर्मा और टीम मैनेजमेंट को इस ग्लोबल टूर्नामेंट के आखिरी हफ्ते के लिए अपने कमजोर पक्ष पर योजना बनाने का वक्त मिलेगा। टीम इंडिया पावरप्ले में अपनी बल्लेबाजी को दुरुस्त करने पर जरूर चर्चा करना चाहेगी।
पहली गेंद से आक्रमण की रणनीति हुई फेल
रोहित शर्मा की कप्तानी में टीम इंडिया ने टी20 वर्ल्ड कप की तैयारी के दौरान पहली गेंद से आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी करने की रणनीति तैयार की। ओपनर्स को पहली गेंद से एग्रेसिव एप्रोच के साथ बैटिंग करने की जिम्मेदारी मिली। इस रणनीति के पीछे टीम की सोच थी कि इसकी कमी के चलते ही भारत को पिछले साल यूएई में हुए टी20 वर्ल्ड कप से बाहर होना पड़ा था।
इस रणनीति के बावजूद ऑस्ट्रेलिया की सर्द-गीली हवा में भारतीय ओपनर्स टीम को किसी भी मैच में तेज शुरुआत दिलाने में नाकाम रहे। इस दौरान विराट कोहली सबसे ज्यादा फायदे में रहे। उन्होंने एशिया कप के दौरान भारत की रणनीति से अलग अपनी सोच साफ कर दी थी।
विराट कोहली की रणनीति ने किया कमाल
कोहली ने कहा था, “मैं गेंद के साथ अपना वक्त लूंगा इसके बाद बड़े शॉट लगाना शुरू करूंगा। मैं पहले ऐसे काम करने की कोशिश कर रहा था जो मेरे खेल का हिस्सा नहीं है। मैं जरूरत होने पर छक्के लगा सकता हूं पर फील्ड में गैप ढूंढकर बाउंड्री लगाना मेरे लिए ज्यादा अच्छा है।”
कोहली ने मौजूदा टी20 वर्ल्ड कप में चार पारियों में कुल 220 रन बनाए हैं और सिर्फ एक बार आउट हुए। उन्होंने जिन तीन पारियों में अर्धशतक लगाए उन तीनों में भारतीय टीम को जीत मिली। विराट ने ये रन 144.73 के स्ट्राइक रेट से बनाए है। यानी इंतजार करने के बाद आक्रामक रुख अख्तियार करने की उनकी सोच काफी प्रभावी साबित हुई है।
नाकाम हुई कप्तान-उपकप्तान की रणनीति
क्या टी20 वर्ल्ड कप में मैच के शुरुआत 6 ओवर्स में लगातार संघर्ष करते दिख रहे रोहित शर्मा और केएल को भी कोहली के एप्रोच से सीखना चाहिए? वर्ल्ड कप में रोहित और राहुल महज 18.50 और 18.00 के स्ट्राइक रेट से रन जोड़ने में कामयाब हुए हैं। इन दोनों ही बल्लेबाजों के स्ट्राइक रेट बेहद कम 110 से नीचे के हैं। तस्वीर साफ है, ऑस्ट्रेलिया की मौजूदा कंडीशन में पावरप्ले में बड़ा कमाल करने की उम्मीद को छोड़कर शुरुआत में विकेट बचाना और बाद में प्रहार करना टीम इंडिया के लिए बेहतर रणनीति हो सकती है।