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विराट हटे, 5 IPL जीतने वाले रोहित आए! लेकिन ICC ट्रॉफी का क्या?

बाइलेटरल सीरीज तो रोहित से पहले कोहली भी जीत ही रहे थे।

Written By: Deepesh Sharma
Published : Nov 18, 2022 19:59 IST, Updated : Nov 18, 2022 20:41 IST
Virat Kohli Rohit Sharma Rahul Dravid
Image Source : GETTY रोहित शर्मा, राहुल द्रविड़, विराट कोहली

अंधा भरोसा। शब्द मात्र दो, मतलब बहुत बड़ा। ये दो शब्द उनके लिए अक्सर यूज किए जाते हैं जिनके ऊपर इंसान खुद से भी ज्यादा विश्वास करता है। इंडियन क्रिकेट में भी दो इंसान ऐसे हैं जिनके ऊपर पिछले एक साल से अंधा भरोसा किया जा रहा था। भरोसा 9 साल बाद घर आईसीसी ट्रॉफी लाने का। भरोसा ऑस्ट्रेलिया की धरती पर टी20 वर्ल्ड कप जीतने का। अबतक आप समझ ही गए होंगे कि बात हो किसकी रही है। लेकिन फिर भी बता देता हूं। निशाना साधा जा रहा है टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ पर। वर्ल्ड कप तो आया नहीं, भरोसा बराबर टूटा। सिर्फ मेरा ही नहीं, 100 करोड़ से ऊपर क्रिकेट फैंस का। खैर, मैं इस भरोसे की गाथा को यहीं रोककर आपको थोड़ा सा फ्लैसबैक में लेकर जाना चाहूंगा। तो आईए....

साल 2021 और महीना था नवंबर का। यूएई की धरती पर खेले जा रहे वर्ल्ड कप में भारतीय टीम सुपर-12 में ही बाहर हो चुकी थी। निशाने पर आ गए मौजूदा कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री। सवाल उठे। सिर्फ कोहली और शास्त्री पर। टीम में 14 खिलाड़ी और साथ मेंटोर महेंद्र सिंह धोनी भी थे। लेकिन जमकर धोया गया कोहली और शास्त्री को। ज्यादातर सवालों में से एक चीज बड़ी ही कॉमन सी सुनने को मिली कि जब रोहित ने पांच बार आईपीएल का खिताब जीता है तो उन्हें पहले ही कप्तान क्यों नहीं चुना गया। वहीं से कोहली ने टी20 टीम की कप्तानी छोड़ी और शास्त्री ने अपना कोच पद। चीजें बदलीं। कप्तान बदला और कोच भी। अब पावर आई रोहित और द्रविड़ के हाथों में। यहीं से जन्म लिया उस अंधे भरोसे ने जिसकी ऊपर मैं इतनी देर से बात कर रहा था। 

रोहित और द्रविड़ के आते ही टी20 क्रिकेट में टीम ने बवाल मचाना शुरू कर दिया। एक बार में सबसे ज्यादा जीतों का रिकॉर्ड बना डाला। इस फॉर्मेट में जो भी टीम भारत के सामने आई, सबको बराबर कूटा गया। लगातार एक्सपेरिमेंट होते रहे। मजे-मजे में कुछ ही महीनों में 7 नए कप्तान भी मिले। यहां तक कि कुछ ऐसे बल्लेबाज भी टीम में आए जिनको विराट से भी बेहतर माना जाने लगा। अब लोगों का भरोसा एकदम पीक पर था। फिर आता है टी20 वर्ल्ड कप। ग्रुप स्टेज से जैसे-तैसे पार पाकर टीम पहुंची सेमीफाइनल। वहां इंग्लैंड ने 10 विकेट से धो डाला। फिर? फिर क्या, आधे खिलाड़ी अपने घर आ गए और आधे पहुंचे न्यूजीलैंड में नया भरोसा पाने। वर्ल्ड कप तो अगले साल भी है ना।

विराट-सूर्या के भरोसे वर्ल्ड कप लाने गए थे क्या?

अब जरा बात कर लेते हैं कि वर्ल्ड कप में क्या 'अच्छे फैसले' लिए गए। पूरे साल जिस युजवेंद्र चहल को ऑस्ट्रेलिया में कमाल दिखाने के लिए तैयार किया जा रहा था उसे पूरा वर्ल्ड कप बेंच पर दिखाया गया। ये जानते हुए भी कि पाकिस्तान के शादाब खान और इंग्लैंड के आदिल रशीद लगातार इस टूर्नामेंट में अच्छा कर रहे हैं, रोहित और द्रविड़ ने किसी की ना सुनी। चहल का रोल पूरे वर्ल्ड कप में बहुत ही सिंपल रहा। कभी बीच मैच में कैमरा वाले भइया को पोज दे दिए, तो कभी अंपायरों से ही मजे ले लिए।

रोहित और द्रविड़ को दिक्कत नहीं थी। दिक्कत क्यों होगी, जीत तो मिल ही रही थी। भले ही जोर सारा विराट और सूर्या लगा रहे थे, लेकिन जीत मिलने के टाइम तो बात पूरी टीम की होगी ना। क्योंकि जब तक निशाना विराट ना हों, 'क्रिकेट इज आ टीम गेम।' 

यही नहीं, अभी और सुनिए...

द्रविड़ और रोहित के अलावा एक और शख्स टीम में ऐसा था जोकि तारीफ का बराबर हकदार है। नाम केएल राहुल। रोल सिंपल था। ओपनिंग करने जाओ, मैच को 19 ओवर का बनाओ। टीम को दवाब में डालकर वापस आजाओ। सर, टीम के वाइस कैप्टन भी थे। फैन लोग ने इनको भी खूब धोया। लेकिन बाज तो ये फैंस भी अपनी हरकतों से नहीं आने वाले। अभी अगले साल आईपीएल आएगा। केएल साहब हर मैच की आधे से ज्यादा गेंद खेलकर खूब रन बना डालेंगे। ट्विटर पर #klisback जैसे ट्रेंड देखने को मिलेंगे। टीम में फिर उनकी वापसी भी हो ही जाएगी। और लोग पिछला सब भुलाकर फिर भरोसा कर बैठेंगे। 

बाइलेटरल तो कोहली भी जीत ही रहे थे

दो ही महीनों के भीतर इतना कुछ हो गया। पांच आईपीएल लाने वाले रोहित कुछ नहीं कर पाए और आइस कूल कोच द्रविड़ भी। अब सवाल उठाने की बारी आती है मेरी। क्या उखाड़ लिया रोहित को कप्तान और द्रविड़ को कोच बनाकर? बाइलेटरल सीरीज में तो कोहली-शास्त्री की जोड़ी भी अच्छा कर ही रही थी। वो भी हर फॉर्मेट में। लेकिन नहीं, हम तो कोहली हेटर हैं, जबतक उनके लिए चार-पांच गाली नहीं निकाल लेंगे हमारी रोटी नहीं पचेगी। आधे कहते हैं कि कोहली में हद से ज्यादा एटीट्यूड है। तो मेरे भाई 18 साल का होने के बाद जब एक लड़का KTM मोटरसाइकिल खरीद लेता है तो वो इंसान को इंसान नहीं समझता, विराट तो फिर भी 71 इंटरनेशनल शतक ठोक चुके हैं। विराट की एग्रेसिव अप्रोच से कब टीम को नुकसान हुआ? बल्कि जिस ऑस्ट्रेलियाई टीम से खेलने में भी पूरी दुनिया डरती थी, कोहली ने उन्हें जमीन पर ला दिया। फिर दिक्कत है क्या? कतई सिंपल... 'जे करेगा तरक्की पुत हेट ता मिलुगी ही।'

वर्ल्ड कप खत्म। जल्द टीम इंडिया को एक नया कप्तान भी मिल सकता है। शायद हार्दिक पांड्या को ही ये जिम्मेदारी मिले। और हम आने वाले समय में कुछ और बाइलेटरल सीरीज में बवाल काट दें। फिर उम्मीद की जाएगी, अंधा भरोसा होगा और आईसीसी खिताब के सपने देखे जाएंगे। जिंदगी है, ऐसे ही चलती रहेगी। मेरी भी, खिलाड़ियों की भी, फैंस की भी और कोहली हेटर्स की भी। तो फिर खाओ, पीयो, ऐश करों मित्रों...

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