Highlights
- सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई पर की तीखी टिप्पणी
- कोर्ट ने बीसीसीआई के सिर्फ क्रिकेट को बढ़ावा देने के दावे को बताया गलत
- कोर्ट ने ईएसआई अधिनियम के तहत बीसीआई के व्यवसाय को बताया 'दुकान'
Supreme Court on BCCI: सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पर तीखी टिप्पणी की है। भारत की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि बीसीसीआई के काम करने का तरीका व्यावसायिक है। लिहाजा इसे कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) अधिनियम के प्रावधानों के नजरिए से ‘दुकान’ कहा जा सकता है।
BCCI के काम करने का तरीका किसी ‘दुकान’ जैसा- सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ईएसआई अधिनियम केंद्र का बनाया कल्याणकारी कानून है और इस अधिनियम में इस्तेमाल किए गए शब्दों से गलत या छोटे अर्थ को नहीं जोड़ा जाना चाहिए। इसके तहत आने वाले प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों का उनके जीवन, स्वास्थ्य आदि से जुड़े जोखिमों के लिए बीमा होता है।
ESI अधिनियम के तहत BCCI को एक ‘दुकान’- सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि ईएसआई न्यायालय और उच्च न्यायालय ने ईएसआई अधिनियम के तहत बीसीसीआई को ‘दुकान’ मानकर कोई गलती नहीं की। पीठ ने कहा,‘‘ बीसीसीआई की व्यवस्थित गतिविधियों, खासकर उसके द्वारा क्रिकेट मैचों के टिकटों की बिक्री, मनोरंजन प्रदान करना, अपनी सेवाओं के लिए कीमत वसूल करना, अंतरराष्ट्रीय दौरों और इंडियन प्रीमियर लीग से आय प्राप्त करने को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायालय ने सही निष्कर्ष निकाला है कि बीसीसीआई व्यवस्थित आर्थिक वाणिज्यिक गतिविधियों को अंजाम दे रहा है और इसलिए उसे ईएसआई अधिनियम के प्रावधानों के तहत ‘दुकान’ कहा जा सकता है।’’
BCCI के लिए ‘दुकान’ शब्द की पारंपरिक व्याख्या सही नहीं- सुप्रीम कोर्ट
दरअसल देश की सबसे बड़ी अदालत से पूछा गया था कि क्या बीसीसीआई को 18 सितंबर, 1978 की अधिसूचना के अनुसार ‘दुकान’ कहा जा सकता है, और क्या ईएसआई अधिनियम के प्रावधान बीसीसीआई पर लागू होंगे। बंबई उच्च न्यायालय ने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी 18 सितंबर, 1978 की अधिसूचना के अनुसार बीसीसीआई ‘दुकान’ के अर्थ के अंतर्गत आता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘दुकान’ शब्द की पारंपरिक अर्थों में व्याख्या नहीं की जानी चाहिए क्योंकि इससे यह ईएसआई अधिनियम के उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि ईएसआई अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ‘दुकान’ शब्द को व्यापक अर्थों में लिया जाना चाहिए।
सिर्फ क्रिकेट और खेल को बढ़ावा देने का दावा गलत- सुप्रीम कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि बीसीसीआई का अपने हलफनामे में यह कहने का कोई मतलब नहीं है कि उसकी प्रमुख गतिविधि क्रिकेट और खेल को बढ़ावा देना है और इसलिए उसे ईएसआई अधिनियम के तहत दुकान के अर्थों के अंतर्गत नहीं लाया जाना चाहिए।