Highlights
- सौरव गांगुली ने ग्रेग चैपल को टीचर्स डे पर किया विश
- ग्रेग चैपल ने ही छीनी थी गांगुली की कप्तानी
- सौरव गांगुली ने पुराने दिनों को किया याद
Sourav Ganguly: सोमवार को टीम इंडिया के पूर्व खलाड़ी और बीसीसीआई के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने टीचर्स डे के मौके पर अपने सभी क्रिकेटिंग कोच को याद करते हुए सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया। साथ ही उन्होंने विवादों से घिरे रहे भारतीय टीम के पूर्व कोच ग्रेग चैपल (Greg Chappell) को भी शुभकामनाएं दी। ग्रेग चैपल को साल 2005 में जॉन राइट का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद भारतीय टीम का कोच नियुक्त किया गया था। सौरव गांगुली जब खराब फॉर्म से गुजर रहे थे तब ग्रेग चैपल ने ही उन्हें ऑस्ट्रेलिया में कोचिंग दी थी। उस दौरान सौरव गांगुली और ग्रेग चैपल के बीच करीबियां बढ़ गईं थी। जिसके बाद ग्रेग चैपल को भारतीय टीम का कोच बनाने के लिए सौरव गांगुली ने जोर दिया था। मगर किसी को क्या ही पता था कि आगे चल कर गांगुली का करियर तबाह करने में चैपल का सबसे बड़ा हाथ होगा।
चैपल के कोच बनते ही छीन गई कप्तानी
चैपल के कोच बनते ही गांगुली के हाथों से उनकी कप्तानी छीन गई। यहां तक की गांगुली को टीम से बाहर का दिया गया। इन सब के बावजूद गांगुली ने हार नहीं मानी और दिसंबर 2006 में उन्होंने टेस्ट टीम में वापसी की और 2007 वर्ल्ड कप से ठीक पहले उन्होंने वनडे टीम में भी अपनी जगह बना ली। टीचर डे के मौके पर एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान गांगुली ने कहा कि साल 2003 में हुए विश्व कप में भारतीय टीम ट्रॉफी से सिर्फ एक कदम दूर रह गई थी। जिसके बाद हमें नया कोच मिला। 2007 का वनडे विश्व कप हमारे लिए बेहद खास था। हमने 2003 विश्व कप के बाद कई नामों पर चर्चा की मगर अंत में हमने ग्रेग चैपल को टीम का दारोमदार सौपा।
मैंने बल्ले से दिया जवाब - गांगुली
इंटरव्यू के दौरान गांगुली ने कहा कि 'टीम में अपनी जगह बनाने के लिए मुझे लड़ना पड़ा। मुझे कभी टीम में शामिल किया जाता तो कभी मुझे टीम से बाहर कर दिया जाता। मगर मैंने टीम में वापसी करी और उस दौरान मैंने सौरव से दादा बनने तक का सफर तय किया। इन सभी चीजों ने मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाया है। इसके बाद साल 2007 में मैंने पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए टेस्ट मैच में 239 रनों की पारी खेली। मेरे लिए यह सीरीज बहुत अच्छी थी। इस सीरीज के बाद मैं एक बेहतर खिलाड़ी के रूप में वापस घर लौटा।' उन्होंने आगे कहा कि 'मैंने खुद को समझाया कि अभी भी मेरे अंदर टीम को आगे ले जाने की क्षमता है। मैंने कभी भी हार नहीं मानी और लोगों को बल्ले से जवाब दिया।'
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