भारतीय टीम ने सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में बांग्लादेश के खिलाफ हैदराबाद के मैदान पर खेले गए टी20 सीरीज के तीसरे मुकाबले को 133 रनों से जीतने के साथ 3-0 से ये सीरीज अपने नाम करने में कामयाब रहे। इस मैच में टीम इंडिया के बल्लेबाजों का जबरदस्त प्रदर्शन देखने को मिला जिसमें 20 ओवर्स में भारतीय टीम ने 6 विकेट के नुकसान पर 297 रनों का बड़ा स्कोर बनाया था, जिसमें संजू सैमसन के बल्ले से बेहतरीन 111 रनों की शतकीय पारी देखने को मिली थी। सैमसन का ये टी20 इंटरनेशनल में पहला शतक था, जिसे उन्होंने सिर्फ 40 गेंदों में पूरा कर लिया था। वहीं सैमसन ने मैच के बाद ये भी खुलासा किया कि वह शतक को छक्का लगाकर पूरा करना चाहते थे लेकिन फिर कप्तान सूर्यकुमार यादव जो उस समय उनके साथ बल्लेबाजी कर रहे थे उन्होंने ऐसा नहीं करने की सलाह दी।
मैं 96 पर था और उड़ाकर छक्का लगाना चाहता था
संजू सैमसन और सूर्यकुमार यादव की बातचीत का एक वीडियो बीसीसीआई की तरफ से हैदराबाद टी20 मैच के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया जिसमें संजू ने बताया कि जब मैं जब 96 रन पर बल्लेबाजी कर रहा था तो मैंने सूर्या से कहा कि मैं छक्का लगाकर इसे पूरा करना चाहता था लेकिन फिर सूर्या ने मुझे सलाह दी कि मैंने इसे कमाया है और मुझे थोड़ा टाइम लेकर इसे पूरा करना चाहिए। वहीं इसी बातचीत में कप्तान सूर्यकुमार यादव ने कहा कि मैं सच में चाहता था कि तुम अपना शतक पूरा करो क्योंकि उस समय तक टीम का गोल पूरा हो चुका था और तुम अपने शतक को पूरा करने के बारे में सोच सकते थे। तुमने टीम के हित को आगे रखते हुए बल्लेबाजी की और जब यहां तक पहुंच गए हो तो इसे पूरा करो। ये पल तुम्हारे और तुम्हारे परिवार के लिए काफी अहम है। मैंने इस शतक का पूरी तरह से आनंद लिया जिसमें ये उन खास शतकों में से एक था जिसे मैंने अब तक देखा है।
मैं दिखाना चाहता था कि क्या करने में सक्षम हूं
इस मुकाबले में बेहतरीन शतकीय पारी खेलने के लिए संजू सैमसन को प्लेयर ऑफ द मैच का खिताब भी मिला जिसमें उन्होंने अपने इस प्रदर्शन को लेकर कहा कि मैं बहुत बार असफल हुआ हूं, इसलिए मुझे पता है कि अपने दिमाग को उसी हिसाब से कैसे मैनेज करना है। मैं खुद से कहता रहता हूं कि मुझे बस प्रोसेस पर ध्यान देने की जरूरत है। अपनी ट्रेनिंग जारी रखनी है, खुद पर विश्वास रखना है और एक दिन यह जल्द ही आएगा। देश के लिए खेलते हुए, आप बहुत दबाव के साथ आते हैं। वह दबाव था, मैं अच्छा प्रदर्शन करना चाहता था और मैं दिखाना चाहता था कि मैं क्या करने में सक्षम हूं। मैं खुद को याद दिलाता रहा कि मुझे इसे जितना संभव हो उतना सरल रखना है, एक समय में एक गेंद पर ध्यान केंद्रित करना है, अपने शॉट खेलना है। पिछली सीरीज में मैं दो बार शून्य पर आउट हो गया था और केरल वापस चला गया था, यह सोचकर कि "क्या होगा भाई, लेकिन मुझे इस सीरीज में फिर से मौका मिला और मैं बहुत खुश हूं कि मैंने अपने कप्तान और कोच को मुस्कुराने के लिए कुछ दिया।
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