क्या आपको याद है भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 2020 में खेला गया वो टी20 इंटरनेशनल मैच जिसमें टीम इंडिया ने कनकशन सब्स्टीट्यूट का इस्तेमाल किया था? वही मैच जिसमें गेंद रवींद्र जडेजा के सिर पर लगी थी और उनके रिप्लेसमेंट के तौर पर आए युजवेंद्र चहल ने टीम इंडिया के हाथों से फिसलते हुए मैच को अपनी फिरकी से भारत की झोली में डाल दिया था। दरअसल उस मैच में जडेजा की जगह चहल को कनकशन सब्सटीट्यूट के तौर पर लाने का फैसला आप भी सोच रहे होंगे तत्कालीन कप्तान विराट कोहली या फिर तत्कालीन हेड कोच रवि शास्त्री का होगा। पर नहीं उस फैसले के पीछे दिमाग था आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स को उपविजेता बनाने वाले संजू सैमसन का।
संजू सैमसन उस मुकाबले में टीम इंडिया की प्लेइंग 11 का हिस्सा थे। उन्होंने बल्ले से 15 गेंदों पर 23 रनों का योगदान भी दिया था। उनकी इस पारी में 1-1 चौका व छक्का शामिल था। वह चौथे नंबर पर इस मैच में बल्लेबाजी करने आए थे। भारतीय टीम ने इस मैच में पहले खेलते हुए 161 रन ही सिर्फ बनाए थे। जवाब में ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 50 पार था और भारत को कोई विकेट नहीं मिला था। तभी इस मैच में बतौर कनकशन सब्स्टीट्यूट आए चहल ने बाजी पलटी और ऑस्ट्रेलियाई कप्तान आरोन फिंच को पवेलियन भेज दिया। यहीं से बाजी पलटना शुरू हुई और भारत ने आखिरकार यह मैच 11 रनों से जीत लिया। युजवेंद्र चहल ने 4 ओवर में 25 रन देकर 3 विकेट लिए और वह प्लेयर ऑफ द मैच बने। पर भारत की इस जीत का असली श्रेय जाना चाहिए संजू सैमसन को क्योंकि चहल को लाने का आइडिया कप्तान या कोच का नहीं बल्कि सैमसन का था।
जब सैमसन के अंदर दिखा एक लीडर...
इस कहानी का पूरा वाकिया बताया है टीम इंडिया के पूर्व फील्डिंग कोच आर श्रीधर ने अपनी किताब, ‘कोचिंग बियोंड: माय डेज विद इंडियन क्रिकेट टीम’ में। श्रीधर ने अपनी किताब में लिखा कि, मैं डगआउट में बैठा था और पहली पारी के बाद फील्डिंग के ऊपर विचार कर रहा था। तब ही मेरे करीब बैठे संजू सैमसन ने मुझसे कहा, 'सर बॉल जड्डू (जडेजा) के हेल्मेट पर लगी है। क्यों नहीं हम उनकी जगह कनकशन सब्स्टीट्यूट लेकर एक गेंदबाज बढ़ा सकते हैं।' किताब में इसके बाद श्रीधर ने लिखा कि, वहीं से मुझे युवा संजू सैमसन के अंदर एक लीडर नजर आया। इसके बाद मेरे कहने पर संजू ने रवि शास्त्री से यह बात कही जिसमें उन्हें भी लॉजिक दिखा। इसके बाद ड्रेसिंग रूम में आ रहे जडेजा को रवि ने कहा कि, जाओ अपने सिर पर बर्फ का पैक लगाओ और शांति से बैठकर आराम करो।
श्रीधर ने इसी बात को बढ़ाते हुए आगे लिखा कि, संजू की इस सोच के बाद ही चहल की टीम में एंट्री हुई और वो वाकिया हमेशा मेरी जिंदगी पर मेरे साथ ही रहेगा। यहीं से संजू के अंदर एक कप्तान दिखा। यहीं से पता चला कि उनके अंदर एक ऐसा लीडर छिपा है जो खेल के बारे में सोचता है। वो अपनी बल्लेबाजी या वो खुद कैसे आउट हुए इस बारे में नहीं सोच रहे थे लेकिन वो टीम के लिए सोच रहे थे। ऐसे ही लम्हे खिलाड़ी के कैरेक्टर को बताते हैं। ना ही रवि और ना ही विराट ने ऐसा कुछ सोचा था। लेकिन संजू ने ऐसा सोचा और बिना किसी डर के अपने विचारों को बताया। वो एक बहुत बड़ा लम्हा मेरे लिए था।