Highlights
- तेंदुलकर की लोगों से खास अपील
- इस शख्स की मौत से लगा था सदमा
- लोगों को जागरुक करते हैं तेंदुलकर
Sachin Tendulkar: क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर अपने रिटायरमेंट के सालों बाद भी लोगों के दिल पर राज करते हैं। सचिन अब क्रिकेट के मैदान पर तो ज्यादा नजर नहीं आते, लेकिन वो लोगों को तमाम मुद्दों के बारे में जागरुक करते रहते हैं। खास रोड सेफ्टी को लेकर सचिन काफी एक्टिव रहते हैं। सड़क पर चलते वक्त हेलमेट पहनने और सीट बेल्ट लगाने के लिए सचिन अक्सर लोगों को टोकते रहते हैं। लेकिन सचिन इन कानूनों को लेकर इतने एक्टिव क्यों हैं उसपर उन्होंने एक बड़ा राज खोला है।
सचिन ने इस नियम को बताया अहम
देश के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कार में बैठने वाले हर व्यक्ति के अनिवार्य रूप से सीट बेल्ट पहनने के प्रावधान के पालन पर सरकार की ओर से जोर दिए जाने का रविवार को स्वागत किया और यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से इसे "अच्छा और जरूरी कदम" बताया। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के पालघर जिले में चार सितंबर को सड़क दुर्घटना में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री (54) की मौत से कुछ ही दिन पहले उन्होंने इत्तेफाक से एक इंटरव्यू में सवारियों की सुरक्षा के तकनीकी उपाय के रूप में सीट बेल्ट को सर्वश्रेष्ठ करार दिया था।
तेंदुलकर को इस बात से पहुंचा था सदमा
तेंदुलकर ने इंदौर में चुनिंदा रिपोर्टर्स के साथ बातचीत के दौरान कहा, ‘‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सड़क हादसे में मिस्त्री को अपनी जान गंवानी पड़ी। लेकिन यह एक संयोग है कि उनकी मौत के पूर्व कोई ढाई हफ्ते पहले जब एक इंटरव्यू में मुझसे पूछा गया कि अलग-अलग तकनीकी नवाचारों के कारण कारों में हो रहे बदलाव को लेकर मैं किस पहलू को बेहतरीन करार दूंगा, इस पर मैंने जवाब दिया था कि (सवारियों की सुरक्षा के मामले में) सीट बेल्ट का कोई मुकाबला नहीं है।" उन्होंने कहा कि यह अच्छा और जरूरी कदम है कि सरकार कार की अगली और पिछली सीटों पर बैठने वाले हर व्यक्ति के अनिवार्य रूप से सीट बेल्ट पहनने के प्रावधान के पालन पर जोर दे रही है। तेंदुलकर ने कहा, ‘‘आमतौर पर देखा जाता है कि कई लोग कार में सीट बेल्ट नहीं पहनते। मैं खुद काफी कार चलाता हूं और जैसे ही गाड़ी में बैठता हूं, तो पहला काम सीट बेल्ट लगाने का ही करता हूं। वरना मुझे लगता है कि कहीं न कहीं कोई कमी है।"
लोगों से की ये अपील
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपने साथी खिलाड़ियों से हमेशा कहता हूं कि जब हम सीमा रेखा की रस्सी लांघ कर मैदान में प्रवेश करते हैं, तो हमें खेलते वक्त याद रखना चाहिए कि लोगों की उम्मीदें हमसे जुड़ी होती हैं। इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि हम हमेशा उम्दा प्रदर्शन करेंगे। लेकिन इसकी गारंटी ली जा सकती है कि हम उम्दा प्रदर्शन के लिए अपनी ओर से पूरा प्रयास करेंगे।’’ इंदौर शहर से जुड़ी अपनी यादों के बारे में तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मैं उस लम्हे को कभी भूल नहीं सकता, जब मैं सौरव गांगुली और अन्य साथी खिलाड़ियों के संग 13 साल की उम्र में एक प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेने इंदौर आया था। तब महान बल्लेबाज मुश्ताक अली ने अभ्यास के दौरान हमसे गेंदे फिंकवा कर कुछ देर के लिए बल्लेबाजी की थी। बाद में हमें उनके साथ रात के भोजन का सौभाग्य भी हासिल हुआ था।"