भारतीय टीम ने 2013 चैंपियंस ट्रॉफी के बाद से कोई भी आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीती है। यह इंतजार अब तकरीबन एक दशक का हो गया है। वहीं अगर अन्य मल्टी नेशन्स टूर्नामेंट की बात करें तो वहां भी पिछले कुछ सालों से टीम इंडिया के हाथ असफलता ही लगी है। उसका जीता-जागता उदाहरण है एशिया कप 2022 में टीम का प्रदर्शन। पिछले एक-दो सालों में भारतीय क्रिकेट में कई बदलाव हुए। विराट से कप्तानी रोहित के हाथों में आई। वहीं रवि शास्त्री की गद्दी राहुल द्रविड़ ने संभाली लेकिन अंतर कुछ नहीं नजर आया। बीसीसीआई अध्यक्ष भी बदल गए पर अभी भी शायद इस गुत्थी का हल नहीं मिल पा रहा है कि, आखिर दिक्कत कहां हो रही है?
इसी को लेकर अब टीम इंडिया के एक पूर्व खिलाड़ी ने अपना बयान जारी किया है। अगर सीधी भाषा में बोले तो इस खिलाड़ी ने भारतीय क्रिकेट टीम की पोल खोल दी है। दरअसल इस खिलाड़ी का मानना है कि टीम के अंदर मौजूद खिलाड़ी अपनी जगह को लेकर सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं। यानी उन्हें डर लगा रहता है कि कभी भी वह टीम से बाहर हो सकते हैं। यही कारण है कि टीम इंडिया लगातार बड़े टूर्नामेंट्स में फेल हो रही है। यह बयान दिया है पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा ने जिन्होंने पिछले साल ही इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायरमेंट की घोषणा की थी।
उथप्पा ने जमकर निकाली भड़ास
रॉबिन उथप्पा का मानना है कि, नेशनल टीम में जगह को लेकर खिलाड़ियों में असुरक्षा की भावना बड़े टूर्नामेंटों के अहम मैचों में टीम के लिए घातक साबित हो रही है। गौरतलब है कि भारत ने अपना पिछला विश्व कप 2011 (एकदिवसीय) जबकि आईसीसी का अपना आखिरी टूर्नामेंट 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी के रूप में जीता था। टीम इसके बाद कई बार एकदिवसीय विश्व कप और टी20 विश्व कप के नॉकआउट चरण में पहुंचने के बाद टूर्नामेंट से बाहर हो गई है। टी20 वर्ल्ड कप 2022 के सेमीफाइनल में भी भारत को इंग्लैंड ने बुरी तरह हराया था।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उथप्पा इन दिनों इंटरनेशनल लीग टी20 में दुबई कैपिटल्स को अपनी सेवाएं दे रहे है। उथप्पा ने पीटीआई-भाषा को दिए एक खास इंटरव्यू में कहा कि, मुझे लगता है कि खिलाड़ियों में टीम में अपनी जगह को लेकर सुरक्षा की भावना की कमी है। पिछले काफी समय से टीम में लगातार बदलाव हो रहे हैं। जब एक खिलाड़ी सुरक्षित महसूस नहीं करता तो वह हमेशा अपनी जगह बचाने की मानसिकता के साथ रहता है। इसके उलट जब वह जगह को लेकर आश्वस्त रहता है तो अपने प्रदर्शन पर बेहतर तरीके से ध्यान दे सकता है।
IPL का दिया उदाहरण
भारत की टी20 विश्व कप विजेता टीम (2007) का हिस्सा रहे उथप्पा ने आईपीएल का उदाहरण देते हुए आगे कहा कि, आप आईपीएल को ही देख लीजिए, ज्यादातर बार ऐसी टीमों ने खिताब जीते है जिसने अंतिम एकादश में कम बदलाव किए हैं। चेन्नई (सुपर किंग्स) और मुंबई (इंडियन्स) की सफलता भी इस बात पर मुहर लगाती है। आईपीएल खिताब को जीतने वाली टीमों का तीन बार हिस्सा रहे उथप्पा ने यह भी कहा कि, मुझे लगता है कि खिलाड़ियों में सुरक्षा की भावना देना जरूरी है। पिछले कुछ समय से भारतीय टीम में जो हो रहा उससे खिलाड़ी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे और अहम मौकों पर उनका प्रदर्शन उभर कर नहीं आता।
कुलदीप यादव को बाहर करने से गया गलत संदेश
भारत लिए 46 एकदिवसीय और 13 टी20 अंतरराष्ट्रीय खेलने वाले उथप्पा ने अच्छा प्रदर्शन करने के बाद अगले मैच में खिलाड़ियों को टीम से बाहर करने की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि, बांग्लादेश टेस्ट सीरीज में मैन ऑफ द मैच बनने के बाद कुलदीप को टीम से बाहर करने से एक अच्छा संदेश नहीं गया है। आप कुलदीप को एक बार समझा सकते हैं लेकिन टीम को क्या संदेश जाता है? इससे युवा खिलाड़ियों में एक गलत संदेश जाता है कि मैन ऑफ द मैच लेने के बाद भी टीम में आपकी जगह पक्की नहीं है। टीम में अंदर क्या हो रहा मुझे इसकी जानकारी नहीं है लेकिन बाहर से मुझे ऐसा ही लगता है। यह जरूर है कि हमारे पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है लेकिन टीम में जगह को लेकर उन्हें भरोसा होना चाहिए।
हालांकि, उथप्पा का यह बयान कई मायनों में हम सही भी मान सकते हैं। पिछले कुछ समय से भारतीय क्रिकेट टीम के बैलेंस में कई बदलाव देखने को मिले। इसका सबसे बड़ा कारण है एक से बढ़कर एक खिलाड़ियों की उपलब्धता। आज के समय में ही देखिए शिखर धवन जैसे खिलाड़ी ड्रॉप हैं। संजू सैमसन बेहतर आंकड़ों के बावजूद टीम में जगह नहीं बना पा रहे। ईशान किशन दोहरा शतक लगाने के बाद भी टीम से बाहर बैठे रहे। तो यही सब कहीं ना कहीं इस बयान को बल देता है। शायद खिलाड़ियों के अंदर असुरक्षा का भाव है कि आप दोहरा शतक लगाकर या प्लेयर ऑफ द मैच बनकर भी टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर सकते हैं।