देश में आज गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन जीवन में गुरु के महत्व के बारे में बताया गया है, जिसमें खेल जगत में भी एक गुरु की भूमिका काफी अहम होती है जो अपने शिष्य की प्रतिभा को निखारने के साथ उसके खेल को बेहतर बनाने में काफी कड़ी मेहनत भी करते हैं ताकि वह बड़े स्तर पर खुद को सफल कर सके। इसी में देश में कई ऐसे खिलाड़ी हुए जिनके गुरु का जीवन में काफी अहम रोल रहा है यदि वह उनकी प्रतिभा को नहीं पहचानते तो शायद खेलों की दुनिया में वह महान खिलाड़ी के सफर में आगे नहीं बढ़ पाते। इसी में हम आपको कुछ ऐसे कोच के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपने शिष्य को महान खिलाड़ी बनाने में काफी कड़ी मेहनत भी उनके साथ की है।
सचिन तेंदुलकर के गुरु रमाकांत आचरेकर
क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले महान भारतीय खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी प्रतिभा की पूरी दुनिया कायल है। भले ही वह अब संन्यास ले चुके हैं लेकिन आज भी उनकी फैन फॉलोविंग जबरदस्त देखने को मिलती है। सचिन को महान खिलाड़ी बनाने में उनके गुरु रमाकांत आचरेकर की अहम भूमिका रही है जिन्होंने बचपन में सचिन को ऐसी कड़ी ट्रेनिंग दी कि वह क्रिकेट की दुनिया में लगातार ऐसे रिकॉर्ड बनाते चले गए जिनको तोड़ पाना किसी भी खिलाड़ी के लिए आसान आज भी नहीं है। सचिन ने अपनी आत्मकथा में भी गुरु रमाकांत आचरेकर का जिक्र किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि 11 साल की उम्र में उनके भाई अजीत उन्हें रमाकांत सर के पास लेकर गए थे और उसी के बाद उन्होंने टेनिस बॉल को छोड़कर क्रिकेट सीजन बॉल से खेलना शुरू किया था।
विराट कोहली के कोच राजकुमार शर्मा
वर्ल्ड क्रिकेट में मौजूदा समय में अपनी बल्लेबाजी प्रतिभा से लोहा मनवाने वाले विराट कोहली के फैन पूरे क्रिकेट जगत में देखने को मिल जाएंगे। क्रिकेट के तीनों ही फॉर्मेट में कोहली ने जबरदस्त प्रदर्शन अब तक किया है, जिसमें वनडे में वह सचिन तेंदुलकर के 50 शतकों के रिकॉर्ड को भी तोड़ने में कामयाब हुए। कोहली ने जब पहली बार क्रिकेट सीखना शुरू किया था तो उस समय उनके पहले कोच राजकुमार शर्मा थे जिन्होंने कोहली को इस खेल की बारीकी के बारे में बेहतर तरह सिखाया ताकि वह एक महान खिलाड़ी बनने के सफर में निकल सके।
रोहित शर्मा के गुरु दिनेश लाड
भारतीय क्रिकेट टीम को 11 साल के बाद अपनी कप्तानी आईसीसी ट्रॉफी जिताने वाले और वनडे में तीन दोहरे शतक लगाने वाले रोहित शर्मा की बल्लेबाजी देखकर सभी उनके फैन हो गए थे। रोहित की इस प्रतिभा को पहचानने के साथ उसे निखारने में उनके गुरु और कोच दिनेश लाड ने काफी अहम भूमिका निभाई थी।
पीवी सिंधु के कोच पुलेला गोपीचंद
बैडमिंटन के द्रोणाचार्य के नाम से पहचान बनाने वाले पुलेला गोपीचंद ने 1996 से लेकर 2000 तक लगातार पांच बार नेशनल चैंपियनशिप जीती। 2001 में गोपीचंद ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाले दूसरे भारतीय बने थे। वहीं उन्होंने बैडमिंटन में अन्य युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए अकेडमी भी खेली जिसमें देश को ओलंपिक में बैडमिंटन में पहला सिल्वर मेडल दिलाने वाली पीवी सिंधु का नाम प्रमुख है। साइना नेहवाल और पीवी सिंधु के अलावा भारत के कई और शानदार खिलाड़ी गोपीचंद की अकेडमी का हिस्सा रहे हैं। इसमें किदांबी श्रीकांत, पी कश्यप, गुरुसाई दत्त, तरुण कोना जैसे बैडमिंटन खिलाड़ी का नाम शामिल है।
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