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धर्मशाला की यात्रा और युवराज सिंह के प्रभाव से क्रिकेटर बने राज बावा

इंग्लैंड के खिलाफ अंडर-19 विश्व कप फाइनल में भारत की चार विकेट से जीत के हीरो रहे राज अंगद बावा 13 साल की उम्र तक सामान्य जीवन जी रहे थे। वह स्कूल में अच्छे अंक प्राप्त कर रहे थे और उन्हें भांगड़ा करना पसंद था। 

Edited by: Bhasha
Published : February 06, 2022 14:17 IST
U19 Indian Cricketer Raj Bawa
Image Source : PTI U19 Indian Cricketer Raj Bawa

Highlights

  • राज बावा के पिता सुखविंदर सिंह डीएवी चंडीगढ़ के क्रिकेट कोच रहे हैं
  • टीम इंडिया की अंडर 19 विश्व कप जीत में राज बावा का बड़ा योगदान
  • भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह को भी कोचिंग दे चुके हैं सुखविंदर

इंग्लैंड के खिलाफ अंडर-19 विश्व कप फाइनल में भारत की चार विकेट से जीत के हीरो रहे राज अंगद बावा 13 साल की उम्र तक सामान्य जीवन जी रहे थे। वह स्कूल में अच्छे अंक प्राप्त कर रहे थे और उन्हें भांगड़ा करना पसंद था। उसी समय धर्मशाल में एक अंतरराष्ट्रीय मैच का आयोजन हुआ और डीएवी चंडीगढ़ के क्रिकेट कोच सुखविंदर सिंह बावा ने अपने किशोर बेटे को वह मैच दिखाने के लिए ले जाने का फैसला किया। वह मैच राज में बदलाव लेकर आया और पिता के रूप में सुखविंदर ने भांप लिया कि उनके बेटे ने क्रिकेटर बनने की ओर पहला कदम बढ़ा दिया है। इसका नतीजा सभी के सामने है। इस युवा के आलराउंड प्रदर्शन से भारत अंडर-19 विश्व कप में इंग्लैंड को हराकर पांचवीं बार चैंपियन बना। 

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सुखविंदर ने चंडीगढ़ से पीटीआई को बताया कि उसने 11 या 12 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया। इससे पहले उसकी इसमें कोई रुचि नहीं थी। उसे टीवी पर पंजाबी गाने सुनना और नाचना पसंद था। उन्होंने कहा कि वह मेरे साथ दौरे पर धर्मशाला गया और उसने कई कड़े मुकाबले देखे। इसके बाद उसने टीम बैठक में मेरे साथ जाना शुरू किया और वहां से उसकी क्रिकेट में रुचि जागी। इसके बाद उसने गंभीरता से खेलना शुरू किया। राज ने फाइनल में 31 रन पर पांच विकेट चटकाने के अलावा 54 गेंद में 35 रन की उपयोगी पारी भी खेली। सुखविंदर का जब जन्म भी नहीं हुआ था तब उनके पिता तरलोचन सिंह बावा ने बलबीर सिंह सीनियर, लेस्ली क्लॉडियस और केशव दत्त जैसे दिग्गजों के साथ खेलते हुए 1948 लंदन खेलों के दौरान स्वतंत्र भारत का पहला ओलंपिक हॉकी स्वर्ण पदक जीता था। खेल इस परिवार की रगों में दौड़ता है, लेकिन जब राज ने परिवार पर क्रिकेट को तरजीह देने का फैसला किया तो सुखविंदर के अंदर का कोच काफी खुश हुआ। 

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सुखविंदर ने कहा कि वह स्कूल में टॉपर था। नौवीं कक्षा में वह स्कूल में दूसरे नंबर पर आया था। राज ने इसके बाद अपने पिता के साथ अकादमी जाना शुरू किया जहां उन्होंने सैकड़ों खिलाड़ियों के कौशल को निखारा था। इसमें से एक खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत नाम कमाया और वह खिलाड़ी था युवराज सिंह। बचपन में राज अपने पसंदीदा खिलाड़ी युवराज को अपने पिता के साथ पूरे दिन कड़ी मेहनत करते हुए देखते थे और इसी तरह राज को एक नया आदर्श मिला। युवराज की तरह 12 नंबर की जर्सी पहनने वाले राज ने कहा कि मेरे पिता ने युवराज सिंह को ट्रेनिंग दी। जब मैं बच्चा था तो उन्हें खेलते हुए देखता था। मैं बल्लेबाजी में युवराज सिंह को दोहराने की कोशिश करता था। मैंने उनकी बल्लेबाजी के वीडियो देखे। वह मेरे आदर्श हैं। राज पर युवराज का इतना अधिक प्रभाव था कि नैसर्गिक रूप से दाएं हाथ का होने के बावजूद वह कल्पना ही नहीं कर सकता था कि वह बाएं हाथ से बल्लेबाजी नहीं करे क्योंकि उनका हीरो बाएं हाथ का बल्लेबाज था। 

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सुखविंदर ने कहा कि जब वह बच्चा था तो युवराज को देखता रहता था जो नेट अभ्यास के लिए अकादमी में आता था और बच्चों पर उनके पहले हीरो का गहरा प्रभाव होता है। उन्होंने कहा कि इसलिए जब राज ने बल्ला उठाया तो बाएं हाथ से उठाया लेकिन इसके अलावा वह गेंदबाजी, थ्रो सभी कुछ दाएं हाथ से करता है। सुखविंदर ने कहा कि मैंने इसमें सुधार का प्रयास किया लेकिन जब मैं उसे नहीं देखता तो वह फिर बाएं हाथ से बल्लेबाजी शुरू कर देता। इसलिए मैंने इसे जाने दिया। राज ने जब बल्लेबाजी शुरू की और पंजाब की सब जूनियर टीम में जगह बनाई तब उनके पिता ने फैसला किया कि उनके बेटे में अच्छा तेज गेंदबाज बनने का भी कौशल है। सुखविंदर ने कहा कि शुरुआत में गेंदबाजी के प्रति उसका रुझान अधिक था क्योंकि मैं भी तेज गेंदबाजी आलराउंडर हुआ करता था। लेकिन मैं इसमें संतुलन चाहता था। इसलिए शुरुआत में मैंने उसे गेंदबाजी से रोक दिया। उन्होंने कहा कि मैंने उसकी बल्लेबाजी पर अधिक ध्यान दिया, उसे बल्लेबाज के रूप में तैयार किया। मैं चाहता था कि वह मुश्किल लम्हों में अच्छा प्रदर्शन करे। मैं नहीं चाहता था कि वह ऐसा गेंदबाज बने जो बल्लेबाजी कर सकता हो। मैं चाहता था कि वह बल्लेबाजी में युवराज की तरह और गेंदबाज में कपिल देव की तरह बने।

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