Sourav Ganguly: साल 2019 में पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष बने थे। उनके इस पद पर चुने जाने पर तमाम फैंस और पूर्व और मौजूदा क्रिकेटर्स ने खुशियां जाहिर की थी। 2022 में उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया। उन्होंने एकबार फिर से अध्यक्ष बनने की अपनी मंशा भी जाहिर की पर भारतीय बोर्ड ने कहा कि इस दफ्तर में बोर्ड प्रेसिडेंट को रिपीट करने की कोई परंपरा नहीं है लिहाजा उन्हें बीसीसीआई से जाना होगा। उनकी जगह पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज और 1983 विश्व विजेता टीम के सदस्य रोजर बिन्नी को बीसीसीआई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। लोगों ने इसका भी स्वागत किया पर उन्हें दादा के जाने का दुख शायद ज्यादा हुआ। इसी कड़ी में गांगुली के भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाने के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है। इस जनहित याचिका को अधिवक्ता रामप्रसाद सरकार ने दायर किया है जिस पर मंगलवार को सुनवाई होने की संभावना है।
गांगुली को BCCI अध्यक्ष पद से हटाए जाने के खिलाफ PIL दायर
पीआईएल दायर करने वाले सरकार का तर्क है कि गांगुली को बीसीसीआई प्रमुख के पद से हटा दिया गया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश था कि वह उस कुर्सी पर और तीन साल तक बने रह सकते हैं। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने जय शाह के लिए 2025 तक तीन साल और बीसीसीआई सचिव के रूप में बने रहने का रास्ता साफ कर दिया। हालांकि, शाह की अपनी कुर्सी पर बने रहने के बावजूद, गांगुली को हटा दिया गया।"
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और बंगाल टीम के पूर्व खिलाड़ी होने के नाते गांगुली बंगाल का गौरव हैं। उन्होंने कहा, "यह राज्य का अपमान है। उनको हटाए जाने के पीछे निश्चित रूप से कुछ राजनीतिक साजिश है।"
गांगुली को हटाए जाने पर जमके हुई सियासत
गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद पश्चिम बंगाल में जबरदस्त राजनीतिक बवाल हुआ था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अलावा कई नेताओं ने उनके पक्ष में बयान दिया था और उनके हटाए जाने को राजनीतिक साजिश और उनके साथ अन्याय बताया था। सीएम ममता ने कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गांगुली को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल का चीफ बनाने के लिए कहेंगी। हालांकि, ऐसा भी नहीं हुआ।
बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद गांगुली ने घोषणा की थी कि वह बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) के अध्यक्ष बनने के लिए चुनाव लड़ेंगे लेकिन अंतिम समय में वह पीछे हट गए। उन्होंने बाद में इस पद के लिए अपने बड़े भाई, स्नेहासिस गांगुली का समर्थन करने की बात कही।