Highlights
- कोविड के कहर के बीच इंग्लैंड रोटेश पॉलिसी का इस्तेमाल कर रहा है
- नासिर हुसैन का कहना है कि यह नीति टीम पर भारी पड़ रही है
- भारत के खिलाफ इंग्लैंड ने सबसे पहले इन नीति पर अमल किया था
कोविड-19 महामारी के बीच इंग्लैंड ने खिलाड़ियों के वर्कलोड को ध्यान में रखते हुए रोटेशन पॉलिसी अपनाई थी, मगर यह पॉलिसी अब टीम पर भारी पड़ते हुए दिखाई दे रही है। इंग्लैंड ने भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान इस नीति को लागू किया था जिसके बाद टीम का निराशाजनक प्रदर्शन रहा है। अब इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन का कहना है कि इंग्लैंड को हर टेस्ट मैच को उतना ही महत्व देना होगा जितना कि एशेज सीरीज का निर्णायक या विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल होता है।
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बता दें, मौजूदा एशेज सीरीज के पहले तीन मैच हारकर इंग्लैंड सीरीज 0-3 से गंवा चुकी है। सीरीज का चौथी मुकाबला सिडनी में 5 जनवरी से खेला जाना है। इससे पहले पिछले साल नौ टेस्ट मैचों में भी हार का सामना करना पड़ा था, जो टीम के लिए एक रिकॉर्ड है।
डेली मेल में हुसैन ने लिखा, "इंग्लैंड को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से इस कोरोना महामारी में अपने खिलाड़ियों की देखभाल करनी पड़ी है, लेकिन उनकी दीर्घकालिक योजना और रोटेशन नीति के कारण हार का मुंह भी देखना पड़ा है।"
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उन्होंने कहा कि इंग्लैंड के खिलाड़ियों को हर टेस्ट मैच को उतना ही महत्व देना होगा जितना कि एशेज सीरीज का निर्णायक या विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल होता है। ऐसे ही ऑस्ट्रेलिया को चुनौती दी जा सकती है।
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच चौथा एशेज टेस्ट 5 जनवरी से सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर शुरू होगा। ऑस्ट्रेलिया पहले ही सीरीज में 3-0 की बढ़त बना चुका है।
(With IANS Inputs)