जेम्स एंडरसन ने हाल ही में 41 साल की उम्र में क्रिकेट को अलविदा कहा। क्रिकेट जगत में ऐसे बहुत ही कम गेंदबाज हुए हैं जिन्होंने 40 साल की उम्र तक इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी गेंदबाजी का जलवा बिखेरा हो। यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया के धाकड़ गेंदबाज मिचेल स्टार्क ने कबूला है कि एंडरसन की तरह उनके लिए 40 साल की उम्र तक खेलना बेहद मुश्किल होगा। मिशेल स्टार्क ने वजह भी बताई है कि वह जेम्स एंडरसन की तरह 40 की उम्र तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट क्यों नहीं खेल पाएंगे?
स्टार्क ने हमेशा अपने देश के लिए खेलने को प्राथमिकता दी है और कभी-कभार ही फ्रेंचाइजी लीग में खेलते दिखाई दिए हैं। स्टार्क ने इंटरनेशनल क्रिकेट में कई बड़े खिताब अपनी टीम के साथ जीते हैं, इसके बावजूद जीत के प्रति उनकी भूख में कोई कमी नहीं आई है। अब उनकी नजर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी, चैंपियंस ट्रॉफी और एशेज पर लगी हैं।
रिटायरमेंट का अभी कोई इरादा नहीं
बाएं हाथ के गेंदबाज ने कहा कि टेस्ट क्रिकेट खेलना उनकी पहली पसंद है और उन्होंने खुलासा किया कि फिलहाल किसी भी फॉर्मेट से संन्यास लेने की फिलहाल कोई खास योजना नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि आधुनिक क्रिकेट के व्यस्त कार्यक्रम के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह चीज उनके शरीर पर भारी पड़ रही है।
स्टार्क ने सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड को बताया कि वह बहुत भाग्यशाली रहे हैं कि उन्हें बहुत लंबे समय तक तीनों प्रारूपों में खेलने का मौका मिला। उन्हें नहीं पता कि वह कब तक खेलना जारी खेंगे। उन्होंने स्वीकार किया कि तीनों प्रारूपों का शेड्यूल कठिन होता जा रहा है और अपने शरीर की देखभाल के लिए समय निकालना मुश्किल होता जा रहा है।
स्टार्क को समर का बेसब्री से इंतजार
उन्होंने आगे कहा कि टेस्ट अभी भी निश्चित रूप से उनके लिए पहली प्राथमिकता है और उन्हें लगता है कि जब भी समय आएगा उनका शरीर रिटायरमेंट का फैसला लेने में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि वह जिमी जैसे व्यक्ति नहीं हैं जो 40 की उम्र तक खेले और उसके पास दोनों तरफ स्विंग करने का स्किल था। उन्होंने कहा कि कभी भी वह ऐसे गेंदबाज नहीं रहे हैं और वह इस समर का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
मिचेल स्टार्क भारत के खिलाफ होने वाली बॉर्डर गावस्कर ट्राफी को लेकर भी बेहद उत्साहित हैं और उन्होंने इस ट्रॉफी की तुलना एशेज से की। उन्होंने कहा कि तीन दशक में पहली बार पांच टेस्ट मैच खेले जाएंगे जिससे यह सीरीज उनकी टीम के लिए प्रतिष्ठित एशेज के बराबर अहम हो गई है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच नवंबर में शुरू होने वाली महत्वपूर्ण सीरीज में 1991-92 के बाद पहली बार पांच टेस्ट मैच खेले जाएंगे।