Highlights
- लिसा स्थालेकर आईसीसी के हॉल ऑफ फेम का हिस्सा
- अपनी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को बनाया विश्व विजेता
- भारत में हुआ था जन्म
Lisa Sthalekar, B'day Spl: एक कहावत है कि किसी को समय से पहले और किस्मत से ज्यादा कुछ नहीं मिलता और यह भी सच है कि नियति में जो लिखा है, वह होकर रहता है। यह दोनों ही बातें भारतीय मूल की पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान और दिग्गज महिला क्रिकेटर लिसा स्थालेकर की जिंदगी पर पूरी तरह से लागू होती है। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) के हॉल ऑफ फेम में शामिल लिसा आज अपना 43वां जन्मदिन मना रही हैं। ऐसे में हम आपको आज उनके जन्मदिन पर उनकी जन्म से लेकर दुनिया की सफल क्रिकेटर बनने की एक ऐसी कहानी बता रहे हैं, जो बेहद रोमांचक और उतार-चढ़ाव भरी रही है।
अनाथालय में छोड़ गए थे माता-पिता
लिसा मूल रूप से भारतीय हैं, लेकिन उनके असली मां-बाप कौन हैं, यह कोई नहीं जानता, ऐसा इसलिए क्योंकि लिसा के जन्म के बाद ही उनके माता-पिता उन्हें महाराष्ट्र के पुणे शहर में स्थित ‘श्रीवत्स अनाथालय' में छोड़ गए थे। जी हां, सही पढ़ा आपने, लीसा का जन्म 13 अगस्त 1979 को शहर के एक अनजान कोने में हुआ था, लेकिन उनके मां-बाप उन्हें अनाथालय में छोड़ गए और यहां उनका नाम ‘लैला’ रखा गया। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था और लैला की किस्मत भी बदलने वाली थी।
अमेरिकी जोड़े ने गोद लिया
उन दिनों डॉ हरेन और सू नाम का एक अमेरिकी जोड़ा भारत घूमने आया था। उनके परिवार में पहले से ही एक लड़की थी, भारत आने का उनका मकसद एक लड़के को गोद लेना था। वे एक सुंदर लड़के की तलाश में इस आश्रम में आए। उन्हें हालांकि यहां लड़का नहीं मिला, लेकिन सू की नजर लैला पर पड़ी और लड़की की चमकीली भूरी आँखों और मासूम चेहरे को देखकर उन्हें उससे प्यार हो गया। कानूनी कार्रवाई करने के बाद, लड़की को गोद ले लिया गया और फिर कुछ हफ्तों बाद सभी अमेरिका चले गए। वहां 'सू' ने 'लैला’ का नाम बदलकर 'लिज' कर दिया। कुछ वर्षों के बाद, यह पूरा परिवार सिडनी में स्थायी रूप से बस गया।
पिता ने पढ़ाया क्रिकेट का पाठ
पिता हरेन ने बेटी लिसा को क्रिकेट खेलना सिखाया, जिसके बाद घर के पार्क से शुरू होकर गली के लड़कों के साथ खेलने तक का यह सफर चला। लिसा का क्रिकेट के प्रति जुनून अपार था, लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई भी साथ में ही पूरी की। लिसा ने 22 साल की उम्र में 2001 में ऑस्ट्रेलिया के लिए अपना वनडे डेब्यू किया। इसके बाद उन्होंने 2003 में टेस्ट और फिर 2005 में टी20I में पदार्पण किया।
1000 रन और 100 विकेट लेने वाली पहली महिला क्रिकेटर बनीं
लिसा एक ऑलराउंडर के तौर पर खेलीं और बल्ले के साथ-साथ गेंद से कमाल किया। वह 1000 रन और 100 विकेट लेने वाली पहली महिला क्रिकेटर बनीं। जब आईसीसी की रैंकिंग प्रणाली शुरू हुई तो वह दुनिया की नंबर एक ऑलराउंडर थीं।
12 साल का रहा क्रिकेट करियर
लिसा ने अपने 12 साल के क्रिकेट करियर में 187 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले और इस दौरान तीनों फॉर्मेट में मिलाकर 3913 रन बनाए। इसके साथ ही उन्होंने 229 विकेट भी अपने नाम किए। लिसा के करियर को आंकड़ों में समझें तो उन्होंने आठ टेस्ट मैच में एक शतक और दो अर्धशतक की मदद से 416 रन बनाए। उन्होंने 125 वनडे में दो शतक और 16 अर्धशतक की मदद से 2728 रन बनाए। जबकि 54 टी20 मैचों में उन्होंने एक अर्धशतकीय पारी की मदद से 769 रन बनाए।
ऑस्ट्रेलिया को बनाया विश्व विजेता
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने ODI और T-20 के चार विश्व कप में भाग लिया। उनकी टीम ने 2013 में क्रिकेट विश्व कप जीता और फिर उसके अगले दिन इस खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया।