Highlights
- झूलन गोस्वामी रिटायरमेंट को तैयार
- लंबे करियर के बाद भी इस बात का मलाल
- खुद किया आखिरी मैच से पहले खुलासा
Jhulan Goswami: दिग्गज तेज गेंदबाज झूलने गोस्वामी के लंबे करियर का अंत अब होने वाला है। भारत और इंग्लैंड के बीच होने वाला तीसरा वनडे ही झूलन का आखिरी इंटरनेशनल मुकाबला होगा। इस दिग्गज गेंदबाज ने रिकॉर्ड्स के मामले में सब कुछ अपने नाम के साथ जोड़ा है। लेकिन झूलन को इतने शानदार करियर के बाद भी एक बात का मलाल हमेशा रहेगा। बता दें कि ये खिलाड़ी अपने जीवन में एक भी बार वर्ल्ड कप जीतने में कामयाब नहीं हो पाई।
झूलन को रहेगा इस बात का मलाल
भारत की महान तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी ने अपने अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच से पहले कहा कि दो दशक के करियर में उन्हें सिर्फ वनडे विश्व कप खिताब को नहीं जीत पाने का ‘पछतावा’ है। झूलन शनिवार को ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान में इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे वनडे के बाद खेल से संन्यास ले लेंगी। मीडिया के बातचीत के दौरान झूलन ने भावुक होकर कहा कि वह इस खेल के प्रति शुक्रगुजार है, जिसने उन्हें इतनी शोहरत और प्रतिष्ठा दी। उन्होंने कहा कि वनडे विश्व कप के 2005 और 2017 सत्र में टीम के उपविजेता रहने का मलाल उन्हें हमेशा रहेगा।
खेल चुकी हैं दो वर्ल्ड कप फाइनल
दाएं हाथ की 39 साल की इस गेंदबाज ने कहा, ‘‘मैंने दो विश्व कप फाइनल खेले हैं लेकिन एक भी ट्रॉफी नहीं जीत सकी। अगर हम दो में से एक में भी चैंपियन बनते तो यह मेरे और टीम के लिए शानदार होता।’’ झूलन ने कहा, ‘‘मुझे बस इसका ही मलाल हैं क्योंकि आप चार साल तक विश्व कप की तैयारी करते हैं। बहुत मेहनत होती है। किसी भी क्रिकेटर के लिए विश्व कप जीतना एक सपने के सच होने जैसा होता है। लेकिन जहां से मैच चीजों को देख रही हूं वहां से महिला क्रिकेट का स्तर और लोकप्रियता सिर्फ ऊपर की ओर ही जाएगा।’’
कभी नहीं सोचा था ऐसा- झूलन
इस दिग्गज गेंदबाज ने कहा, ‘‘जब मैंने शुरुआत की थी तो इतने लंबे समय तक खेलने के बारे में कभी नहीं सोचा था। मैं खुद को भाग्यशाली समझती हूं कि इस खेल को खेल सकी। ईमानदारी से कहूँ तो बेहद साधारण परिवार और चकदा (पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में) जैसे एक छोटे से शहर से होने के कारण मुझे महिला या पेशेवर क्रिकेट के बारे में कुछ भी पता नहीं था।’’ उन्होंने कहा, ''मैं अपने परिवार के लोगों, अभिभावकों की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने हमेशा मेरा समर्थन किया।’’ झूलन ने कहा कि भारतीय टीम की कैप (पदार्पण करना) प्राप्त करना उनकी क्रिकेट यात्रा का सबसे यादगार क्षण था। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सबसे अच्छी याद तब है जब मुझे भारत के लिए खेलने का मौका मिला और मैंने पहला ओवर फेंका क्योंकि मैंने कभी नहीं सोचा था (कि मैं भारत के लिए खेलूंगी)। मेरी क्रिकेट यात्रा कठिन रही है क्योंकि अभ्यास के लिए मुझे लोकल ट्रेन से ढाई घंटे की यात्रा करनी पड़ती थी।’’
1997 फाइनल देखकर मिली थी प्रेरणा
उन्होंने कहा कि वह 1997 विश्व कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के मैच को देखने के लिए मैदान में 90,000 दर्शकों मौजूद थे। यही से उन्होंने क्रिकेट को करियर बनाने का फैसला किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं 1997 में ‘बॉल गर्ल’ (मैदान के बाहर की गेंद को वापस करने वाली) थी। विश्व कप फाइनल को देखने के बाद ही मैंने भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखा था।’’ झूलन जब अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को खत्म करने की तरफ बढ़ रही है तब भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) इंडियन प्रीमियर लीग की तर्ज पर महिलाओं की टी20 लीग शुरू करने की तैयारी कर रहा है।