भारत में इन दिनों टी20 लीग आईपीएल 2023 का जलवा देखने को मिल रहा है। वहीं सबसे बड़ी परेशानी सट्टेबाजी का काला साया अब भारतीय क्रिकेट बोर्ड के सामने खड़ा हो गया है। शनिवार 8 अप्रैल को मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच एक बड़ा मुकाबला मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया। इस मैच के दौरान सट्टेबाजी के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। इस मैच में सट्टेबाजी करते हुए पुणे पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया। वहीं इससे पहले दिल्ली में भी 4 अप्रैल को गुजरात टाइटंस और दिल्ली कैपिटल्स के मैच के दौरान कई बुकीज गिरफ्तार किए गए थे।
पीटीआई/भाषा की जानकारी के मुताबिक पुणे पुलिस ने सट्टेबाजी के एक गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के मैचों पर सट्टा लगाने के आरोप में नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर अपराध शाखा ने शनिवार को कोंढवा इलाके में छापेमारी की, जहां नौ लोगों को आईपीएल मैचों पर सट्टा लगाते हुए पाया गया। अधिकारी ने कहा कि, पुलिस ने आरोपियों के पास से 18 मोबाइल फोन, तीन लैपटॉप, एक कंप्यूटर और 92,000 रुपए नकद जब्त किए हैं।
दिल्ली में भी गिरोह का हुआ था भंडाफोड़
उन्होंने आगे बताया कि, अपराध शाखा को मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच आईपीएल क्रिकेट मैच के दौरान चल रहे जुए के अड्डे के बारे में सूचना मिली थी। अधिकारी ने कहा कि बंबई जुआ रोकथाम अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत कोंढवा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। इससे पहले 4 अप्रैल को दिल्ली के अरुण जेठली स्टेडियम में दिल्ली और गुजरात के मैच के दौरान दिल्ली पुलिस ने भी धर पकड़ की थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 25 से ज्यादा बुकीज को गिरफ्तार किया गया था। यह भी पता चला था कि, सट्टेबाजी का यह पूरा धंधा और नेटवर्क दुबई से ऑपरेट हो रहा था।
आईपीएल 2013 में स्पॉट फिक्सिंग का मामला सामने आ चुका है। इसमें राजस्थान रॉयल्स के एस. श्रीसंत और अजीत चंडीला को दोषी पाते हुए बैन लगाया था। फिर 2016 और 2017 में भी ऐसी ही कुछ मामलों के लिए चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स की फ्रेंचाइजी पर दो सीजन के लिए बैन लगा था। उसके बाद हालांकि, ऐसे मामले सुनने में नहीं आए थे। अभी भी यह मामले फ्रेंचाइजीज और खिलाड़ियों से फिलहाल दूर हैं। लेकिन जो धरपकड़ हुई है उसमें आगे पूछताछ और जांच के बाद ही सामने आएगा कि इस नेटवर्क के तार कहां-कहां तक जुड़े हैं।