KL Rahul Aggressive IND vs BAN: केएल राहुल ने बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज के शुरू होने से पहले कहा था कि बतौर कप्तान पहले मैच में उनका एप्रोच एग्रेसिव रहेगा। वह लगभग उसी अंदाज में खेलेंगे जिस तरीके से मौजूदा वक्त में इंग्लैंड की टीम खेलती है। इसके बाद, फैंस को उम्मीद थी कि चटोग्राम में जारी पहले टेस्ट की पहली पारी में भारतीय टीम धुंआधार खेल दिखाएगी, चौके छक्के बरसेंगे और कप्तान राहुल ‘इंडियन बैजबॉल’ की अगुवाई करेंगे। केएल राहुल ने जो बातें कही, सबको कुछ बेहतर का भरोसा दिलाया था, खेल के पहले दिन, पहले सेशन में ही उसकी हवा निकल गई। भारतीय टीम ने लंच तक तीन विकेट गंवा दिए और वह आक्रामक तो किसी लिहाज से किसी भी वक्त नजर नहीं आई।
केएल राहुल ने अपनी कही बात पर नहीं किया अमल
केएल राहुल ने आक्रामक क्रिकेट की बात कही थी जिसका सीधा संबंध रनों के तेज रफ्तार से था। इसके उलट, टीम इंडिया ने जिस गति से स्कोरबोर्ड को आगे बढ़ाया वह उसके औसत रनरेट से भी कम थी। बात कप्तान और सबको बैजबॉल का चश्मा पहनाने वाले केएल राहुल से शुरू करते हैं। वह ओपनिंग करने आए और 54 गेंदों में 40.74 के स्ट्राइक रेट से 22 रन बनाकर आउट हो गए। उनकी पारी में सिर्फ 3 चौके शामिल हैं। यह फिगर बताता है कि उन्होंने कभी भी खुद अपनी कही बातों पर अमल नहीं किया। नेशनल टीम की कप्तानी कर रहे राहुल ने इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर अपनी बात को सच साबित करने की कभी कोशिश नहीं की।
केएल राहुल नहीं दिखा सके ‘बैजबॉल’ जैसा एप्रोच
पहले सेशन में सबसे बढ़िया स्ट्राइक रेट शुभमन गिल का रहा। राहुल के साथ ओपनिंग करने आए गिल ने 50 के स्ट्राइक रेट से 40 गेंदों में 20 रन बनाए। यानी कप्तान ने उन्हें कभी नए और एग्रेसिव एप्रोच के साथ बल्लेबाजी करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया। तीसरे नंबर पर बैटिंग करने आए चेतेश्वर पुजारा हमेशा से सुस्त रफ्तार से रन बनाने के लिए मशहूर रहे हैं। ऐसे में, उनके 50 के आसपास के स्ट्राइक रेट से ज्यादा शिकायत की गुंजाइश नहीं बचती। रही बात विराट कोहली की, तो वह सिर्फ 5 गेंदों तक ही क्रीज पर टिक सके लिहाजा उनपर भी सुस्त गति से रन बनाने का इल्जाम नहीं लगाया जा सकता।
यकीनन एक कप्तान के रूप में केएल राहुल ने पहली गेंद से अपनी खेली आखिरी गेंद तक, या कहें तो उसके बाद भी, टीम को आक्रामक रूख के साथ खेलने के लिए कभी प्रोत्साहित नहीं किया। उन्होंने प्री-मैच प्रेस कॉन्फ्रेंस में बेशक बैजबॉल का शिगूफा छोड़ा, लेकिन इसे आगे बढ़ाने और लागू करने के लिए शायद जरूरी यंत्र नहीं जुटा सके।