भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के क्रिकेट बोर्ड के साथ मिलकर ICC तीन बड़े देशों के बीच ज्यादा सीरीज आयोजित करने के लिए टू-टियर टेस्ट सिस्टम की संभावना तलाश रहा है। कई बार मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसी खबरें आ चुकी हैं कि ICC बड़े देशों के लिए टेस्ट में एक अलग डिविजन बनाने के सिस्टम के बारें में सोच रहा हैं। हालांकि अब खबर आई है कि टेस्ट क्रिकेट में दो डिवीजनों के बदलाव की कोई भी योजना 2027 में मौजूदा फ्यूचर्स टूर्स यानी FTP की समाप्ति के बाद शुरू होगी। रिपोर्ट के अनुसार, अगर टू-टियर सिस्टम अपना लिया जाता है तो ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और भारत को वर्तमान प्रारूप के अनुसार हर चार साल में एक बार के बजाय हर तीन साल में दो बार एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा।
ऑस्ट्रेलिया के न्यूजपेपर ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि ICC चेयरमैन जय शाह इस महीने के आखिर में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के चेयरमैन माइक बेयर्ड और इंग्लैंड के उनके समकक्ष रिचर्ड थॉम्पसन से मिलकर इस पर चर्चा करेंगे। द एज ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि टेस्ट क्रिकेट में दो डिवीजनों के बदलाव की कोई भी योजना फ्यूचर टूर्स प्रोग्राम (FTP) के खत्म होने के बाद ही शुरू होगी। BCCI फिलहाल 12 जनवरी को मुंबई में अपनी विशेष आम बैठक (AGM) की तैयारी कर रहा है, जिसमें अंतरिम सचिव देवजीत सैकिया को पूर्णकालिक भूमिका मिलने की उम्मीद है। पिछले महीने शाह के ICC चेयरमैन बनने के लिए पद छोड़ने के बाद सैकिया को अंतरिम भूमिका में नियुक्त किया गया था।
8 साल पहले आया था विचार
BCCI के एक ऑफिशियल ने संकेत दिया कि 2016 में ICC के गलियारों में इस पर चर्चा हुई थी, यह पहली बार था जब टू-टियर टेस्ट प्रणाली पर गंभीरता से विचार किया गया था। बीसीसीआई के एक सूत्र ने पीटीआई को बताया कि अभी तक हमारे पास इस तरह के किसी कदम की कोई जानकारी नहीं है। फिलहाल एसजीएम की तैयारियां की जा रही हैं और हाल ही में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भी चर्चा की जानी है। कुछ समय पहले भी इस तरह का कदम उठाया गया था, लेकिन उसके बाद से हमें इस बारे में कुछ नहीं सुनने को मिला।
छोटे बोर्ड कर चुके हैं विरोध
बता दें, जब पहली बार टेस्ट क्रिकेट में दो डिवीजनों के विचार पर चर्चा हुई थी तब बीसीसीआई और जिम्बाब्वे तथा बांग्लादेश के क्रिकेट बोर्ड ने रेवेन्यू में कमी की संभावना का हवाला देते हुए इस कदम का विरोध किया। उन्होंने यह भी तर्क दिया था कि अगर ऐसा सिस्टम अस्तित्व में आता है तो छोटे देश शीर्ष टीमों के खिलाफ खेलने का मौका खो देंगे। अगर भविष्य में टेस्ट क्रिकेट में इस सिस्टम को लाया जाता है तो डिवीजन-1 में साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, भारत, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी टीमों को शामिल किया जा सकता है।
(Input- PTI)