ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड और विवादों का मानों पूराना संबंध रहा है। हाल ही में बॉल टेंपरिंग मामले में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की पूरी दुनिया में बदनामी हुई थी। हालांकि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने इस मामले पर एक्शन तो लिया, लेकिन अभी भी आए दिन इसे लेकर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया चर्चा का विषय बना रहता है। बॉल टेंपरिंग के दौरान सबसे बड़ा नाम किसी खिलाड़ी का आया था तो वह डेविड वॉर्नर थे। डेविड वॉर्नर पर लाइफ टाइम कप्तानी और एक साल के लिए क्रिकेट से बैन किया गया था। खेलने पर से तो साल 2019 में बैन हटा दिया गया था, मगर कप्तानी बैन को लेकर आज भी कई पूर्व क्रिकेट डेविड वॉर्नर के समर्थन में आवाज उठाते नजर आ जाते हैं। इस लिस्ट में अब एक और नाम इयान चैपल का भी जुड़ गया है।
वॉर्नर को लेकर क्या बोले चैपल
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयान चैपल का मानना है कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने कभी अपने खिलाड़ियों के हितों की रक्षा नहीं की और डेविड वॉर्नर ने उन पर लगे कप्तानी प्रतिबंध पर कड़ी प्रतिक्रिया करके अधिकारियों की अपना बचाव करने की प्रवृत्ति का खुलासा किया। वॉर्नर ने बुधवार को उनकी कप्तानी पर लगे आजीवन प्रतिबंध को हटाने की अपील वापस ले ली। उनका कहना था कि समीक्षा पैनल उन्हें सार्वजनिक शर्मिंदगी से गुजारना चाहता है और वह नहीं चाहते कि उनका परिवार ‘क्रिकेट की गंदी लॉन्ड्री के लिए वाशिंग मशीन’ बने।
युवा खिलाड़ियों को लेना जाहिए सीख
माइकल क्लार्क सहित कुछ पूर्व खिलाड़ियों ने वॉर्नर का समर्थन किया था और अब इस कड़ी में चैपल का नाम भी जुड़ गया है। चैपल ने ईएसपीएन क्रिकइंफो में अपने कॉलम में लिखा,‘‘ मुझे तब अच्छा नहीं लगा जब डेविड वॉर्नर ने अपने पर लगे कप्तानी प्रतिबंध की समीक्षा करने के आग्रह को वापस लेने का फैसला करते हुए क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को आड़े हाथों लिया था।’’ उन्होंने कहा,‘‘ इससे पता चलता है कि डेविड वॉर्नर का उनके हितों को लेकर अधिकारियों पर भरोसा नहीं था। वॉर्नर का यह बुद्धिमता पूर्ण फैसला था क्योंकि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया केवल अपने हितों की रक्षा करता है खिलाड़ियों के नहीं।’’ चैपल ने कहा,‘‘युवा खिलाड़ियों को वॉर्नर का आभार व्यक्त करना चाहिए क्योंकि उन्होंने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की केवल अपना बचाव करने के नेजर का खुलासा किया। उन्हें भविष्य में इसको ध्यान में रखना चाहिए।’’ चैपल ने आगे यह भी कहा,‘‘ सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वॉर्नर का समीक्षा वापस लेने से पता चलता है कि उन पर कप्तानी को लेकर लगाया गया आजीवन प्रतिबंध का फैसला कितना गलत था।’’