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टीम इंडिया के 1000वें वनडे से पहले तेंदुलकर ने याद किए अपने सुनहरे दिन, बताया कब से शुरु हुई वनडे क्रांति

भारत के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने पिछले 48 वर्षों में भारत के 999 वनडे में से 463 मैच खेले हैं।

Reported by: Bhasha
Published on: February 04, 2022 23:33 IST
सचिन तेंदुलकर (फाइल...- India TV Hindi
Image Source : GETTY सचिन तेंदुलकर (फाइल फोटो)

Highlights

  • तेंदुलकर भारत के 200वें, 300वें, 400वें, 500वें, 600वें, 700वें और 800वें वनडे में खेल चुके हैं।
  • सचिन तेंदुलकर के मुताबिक सेंचुरियन की पारी विश्व कप में उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में से एक।

नई दिल्ली। भारत के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने पिछले 48 वर्षों में भारत के 999 वनडे में से 463 मैच खेले हैं और उनका मानना है कि उपमहाद्वीप में ‘वनडे क्रांति’ 1996 विश्व कप के दौरान शुरू हुई। तेंदुलकर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत के 1000वें वनडे की पूर्व संध्या पर पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि मेरा सपना भारत के लिये टेस्ट क्रिकेट खेलना था। सिर्फ यही बात मेरे दिमाग में थी और इसी के साथ वनडे आये लेकिन उस युग में जब आप बच्चे थे तो आप वनडे का सपना नहीं देखते थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वनडे में हाइप 1996 विश्व कप में हुई थी और तभी सबसे बड़ा बदलाव हुआ था। इससे पहले 1983 हो गया था और वह अद्भुत था। हां, तब स्टेडियम पूरे भरे थे लेकिन 1996 विश्व कप के बाद चीजें बदलनी शुरू हो गयी और वो बदलाव दिखने लगे थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उन बदलावों का अनुभव किया और वनडे को नया आयाम मिला। ’’ तेंदुलकर भारत के 200वें, 300वें, 400वें, 500वें, 600वें, 700वें और 800वें वनडे में खेल चुके हैं। लेकिन वह अपना ज्यादातर क्रिकेट एक गेंद के साथ खेलने वाले 50 ओवर के मैच और मैदानी पाबंदियों (जिसमें 30 गज के सर्कल के बाद एक अतिरिक्त क्षेत्ररक्षक खड़ा होता है) में खेले। इसे देखते हुए लगता है कि अगर वह इस युग में खेले हो तो शायद उनके 18000 (18426) से ज्यादा वनडे रन अब 22,000 या फिर 25,000 रन तक पहुंच गये होते।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सब देखा था। अगर मुझे सही तरह याद है तो हम 2000-01 के अंत तक जिम्बाब्वे के खिलाफ सफेद जर्सी में खेले थे। मुझे याद है मेरा सफेद गेंद का अनुभव न्यूजीलैंड में 1990 में त्रिकोणीय सीरीज थी। ’’ तेंदुलकर ने कहा, ‘‘भारत में जो मैंने पहला दिन/रात्रि मैच खेला था, हमें दिल्ली के जेएलएन स्टेडियम में रंगीन टी-शर्ट और सफेद पैंट दी गयी थी। ’’ उन्हें लगता है कि पहली बार भारत दिन/रात्रि क्रिकेट के बारे में गंभीर 1993 हीरो कप में हुआ था जो ईडन गार्डन्स पर दूधिया रोशनी में खेला गया था।

तेंदुलकर ने कहा, ‘‘लेकिन यहां तक कि उस युग में सफेद गेंद के मैच देश के पूर्वोत्तर हिस्से में सुबह 8:45 या सुबह नौ बजे शुरू होते थे। एक ही सफेद गेंद हुआ करती थी और जब यह गंदी हो जाती तो इसे देखना मुश्किल होता और यह रिवर्स भी होती। अब आपके पास दो सफेद गेंद होती है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब हमारे पास अलग नियम हैं। अब दो नयी गेंद का नियम है और क्षेत्ररक्षण पाबंदियां भी बहुत अलग हैं। लेकिन वनडे बुखार 1990 के दशक में शुरू हुआ। लेकिन तेजी से बदलाव 1996 से हुआ। ’’ तेंदुलकर से जब उनकी पांच सर्वश्रेष्ठ वनडे पारियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘पांच यादगार वनडे पारियां चुनना बहुत मुश्किल है। मैं विश्व कप फाइनल को इस सूची से बाहर रखूंगा क्योंकि यह अहसास शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। आप इसे अन्य मैचों के साथ शामिल नहीं कर सकते क्योंकि यह मेरी जिंदगी का सर्वश्रेष्ठ दिन था। ’’

शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के मजबूत आक्रमण के खिलाफ दो शतक के अलावा ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 200 रन इसमें शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह यादगार पारी है क्योंकि वह भी दक्षिण अफ्रीका का अच्छा गेंदबाजी आक्रमण था और पहली बार था जब वनडे में किसी ने दोहरा शतक जमाया था। ’’ वहीं सेंचुरियन में 2003 विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ शोएब अख्तर के खिलाफ छक्का और वो विस्फोटक 98 रन शीर्ष पांच में शामिल हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह दबाव वाला मैच था और मैं अपने तरीके से बल्लेबाजी कर सकता था। सेंचुरियन की पारी विश्व कप में मेरे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में से एक होगी। ’’ अंत में ब्रिस्टल में कीनिया के खिलाफ शतक जो उन्होंने अपने पिता प्रोफेसर रमेश तेंदुलकर के निधन के तुरंत बाद बनाया था। तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मैं घर आया था और अपनी मां को देखकर मैं बहुत भावुक हो गया था। मेरे पिता के निधन के बाद वह टूट गयी थीं। लेकिन उस दुख की घड़ी में भी वह मुझे घर पर रूकने देना नहीं चाहती थी और वह चाहती थीं कि मैं राष्ट्रीय टीम के लिये खेलूं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने यह पारी खेली थी तो मैं बहुत ही भावुक अवस्था में था इसलिये यह मेरी पांच वनडे पारियों में शामिल होगी। ’’  

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