Thursday, November 21, 2024
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IND vs AUS: जब टीम इंडिया ने गाबा में ऑस्ट्रेलिया का घमंड किया था चकनाचूर, इस जीत के पीछे की जानें अनसुनी कहानी

IND vs AUS: भारतीय टीम साल 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी जिसमें ब्रिस्बेन के गाबा मैदान पर खेले गए टेस्ट मैच में टीम इंडिया ने चौथी पारी में 328 रनों के टारगेट का पीछा किया और जीत हासिल की थी। गाबा के मैदान पर भारतीय टीम की इस जीत ने ऑस्ट्रेलियाई टीम के घमंड को चकनाचूर कर दिया था।

Written By: Abhishek Pandey @anupandey29
Updated on: November 21, 2024 22:10 IST
Indian Team Victory At Gabba Against Australia- India TV Hindi
Image Source : GETTY भारतीय टीम ने जब गाबा में तोड़ा था ऑस्ट्रेलियाई टीम का घमंड।

भारतीय टीम अभी ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर है जिसमें वह मेजबान टीम के खिलाफ 5 मैचों की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी खेलने पहुंची है। टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया के पिछले 2 दौरों पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए टेस्ट सीरीज में जीत हासिल की थी। किसी भी टीम के लिए ऑस्ट्रेलिया को उसके घर पर टेस्ट मैच में मात देना जहां सबसे कठिन काम है तो वहीं भारतीय टीम टेस्ट सीरीज जीतने में कामयाब हुई वह भी एक बार नहीं बल्कि 2 बार लगातार। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया जिसके लिए एशेज सीरीज जो काफी महत्वपूर्ण है वह अब बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को भी फिर अपने पास वापस पाने के लिए टीम इंडिया को किसी तरह का मौका नहीं देना चाहेगी।

ऐसा ही कुछ उन्होंने टीम इंडिया के पिछले ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर भी कंगारू टीम ने सोचा था जब सीरीज 1-1 से बराबर थी और आखिरी मुकाबला ब्रिस्बेन के गाबा मैदान पर खेला जाना था, जिसे ऑस्ट्रेलियाई टीम का अभेद्य किला बताया जाता था। यहां पर किसी भी टीम के लिए ऑस्ट्रेलिया का सामना करना सबसे मुश्किल चुनौतियों में से एक था। ऐसे में टीम इंडिया के लिए टेस्ट मैच बचाना और उसके बाद जीत हासिल करना किसी ऐतिहासिक पल से कम नहीं था। इसी कड़ी में हम आपको आज गाबा टेस्ट मैच में टीम इंडिया की इस जीत की अनुसनी कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें Cricket Talks With Samip Rajguru के पहले ऐपिसोड में इस जीत के पीछे की कहानी और कहां से भारतीय टीम को इसकी प्रेरणा मिली इसके बारे में हम आपको बताएंगे।

साल 2008 मंकीगेट कांड से ऑस्ट्रेलिया को टीम इंडिया ने दी थी बड़ी सीख

साल 2008 में जब भारतीय टीम ने अनिल कुंबले की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था तो इस सीरीज में सिडनी के मैदान पर खेला गया टेस्ट मैच काफी विवादों से घिरा रहा था, जिसमें अंपायर्स के फैसले से लेकर क्रिकेट जगत का सबसे बड़ा विवाद मंकीगेट कांड भी हुआ था। दरअसल टीम इंडिया के ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह को लेकर उस समय ऑस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा एंड्रयू साइमंड्स ने शिकायत की थी कि उन्होंने उन्हें मंकी कहा है, जिसके बाद इस मैच में रेफरी माइक प्रॉक्टर ने लगभग 4 घंटे तक चली सुनवाई के बाद हरभजन पर नस्लीय टिप्पणी करने का आरोप लगाने के साथ तीन टेस्ट मैच के लिए बैन कर दिया था।

इस घटना को लेकर भारतीय क्रिकेट फैंस ने काफी नाराजगी जताई थी, जिसके बाद बीसीसीआई ने दौरे के बीच टीम को वापस बुलाने का फैसला कर लिया था। वहीं घटना की गंभीरता को समझते हुए न्यूजीलैंड के एक पूर्व जज जॉन हेंसन को बुलाया गया और इसके बाद एडिलेड के कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। इसमें भारत की तरफ से हरभजन के साथ सचिन तेंदुलकर थे वहीं ऑस्ट्रेलियाई टीम की तरफ से रिकी पोंटिंग, माइकल क्लार्क और एंड्रयू साइमंड्स थे। इस मामले की सुनवाई के दौरान सचिन ने अपने बयान में कहा कि हरभजन ने अपशब्द जरूर कहे थे लेकिन उन्होंने किसी तरह की कोई नस्लीय टिप्पणी नहीं की थी। वहीं इस मामले में सुनवाई के बाद पूर्व जज ने तीन टेस्ट मैच के फैसले को पलटने के साथ किसी भी तरह का कोई ठोस सबूत नहीं मिलने पर हरभजन पर सिर्फ उनकी मैच फीस का 50 फीसदी जुर्माना लगाने का आदेश दिया था।

ये भारतीय टीम की एक बड़ी जीत थी जिसने ऑस्ट्रेलिया को एक करारा जवाब दिया था, वहीं इसके बाद टीम इंडिया के अंदर एक अलग तरह का आत्मविश्वास भी देखने को मिला था, जिसके बाद उन्होंने पर्थ में खेले गए अगले टेस्ट मैच में जीत हासिल की थी। यहां से भारतीय टीम का एक अलग ही रूप मैदान पर देखने को मिला जो ऑस्ट्रेलिया को उसी की भाषा में जवाब देना सीख गई थी और इससे मैदान पर भी बिल्कुल एक अलग ही माहौल देखने को मिला।

गाबा में ऑस्ट्रेलिया के किले को भारतीय टीम ने भेदा

ब्रिस्बेन का गाबा मैदान जहां पर ऑस्ट्रेलिया टीम साल 1988 के बाद से हारी ही नहीं थी, वहां पर टीम इंडिया को उन्हें मात देना वो भी ऐसी टीम के साथ जिसमें से कई बड़े नाम उस समय नदारद थे बिल्कुल भी मुमकिन नहीं दिख रहा था। इस सीरीज में रोहित शर्मा भी कुछ खास फॉर्म में नहीं दिखाई दिए थे, वहीं गाबा टेस्ट में टीम इंडिया का तेज गेंदबाजी अटैक भी पूरी तरह अनुभवहीन था। हालांकि युवा प्लेयर्स का जोश और सिडनी टेस्ट मैच को जिस तरह से टीम इंडिया ड्रॉ कराने में सफल हुई थी उससे भी सभी प्लेयर्स को काफी आत्मविश्वास मिला था। इस मुकाबले में कंगारू टीम की कप्तानी कर रहे टिम पेन ने टॉस जीतने के बाद पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था।

ऑस्ट्रेलियाई टीम की पहली पारी 369 के स्कोर पर जाकर सिमटी जिसमें उनकी तरफ से मार्नश लाबुशेन ने 108 रनों की शतकीय पारी खेली थी। वहीं भारतीय टीम की तरफ से गेंदबाजी में नटराजन, शार्दुल और सुंदर ने 3-3 विकेट हासिल किए। टीम इंडिया जब अपनी पहली पारी में इस मुकाबले में बल्लेबाजी करने उतरी तो 186 के स्कोर तक 6 विकेट गंवा दिए थे। यहां से वाशिंगटन सुंदर और शार्दुल ठाकुर ने ना सिर्फ पारी को संभाला बल्कि आक्रामक बल्लेबाजी करने के साथ ऑस्ट्रेलियाई टीम के स्कोर के करीब भी लेकर गए। भारतीय टीम की पहली पारी इस मैच में 336 रनों के स्कोर पर जाकर सिमटी।

सिराज ने खोला पंजा, ऑस्ट्रेलिया की पारी 294 पर सिमटी

मोहम्मद सिराज जो इस समय भारतीय तेज गेंदबाजी विभाग एक अहम हिस्सा हैं उस समय टीम इंडिया में नए थे और उनके लिए ब्रिस्बेन टेस्ट करियर का अभी तक का सबसे ऐतिहासिक मैच रहा है, जिसमें उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई टीम की दूसरी पारी में 294 के स्कोर पर समेटने में अहम भूमिका अदा की। सिराज ने लाबुशेन और स्मिथ को भी अपना शिकार बनाया। सिराज ने 19.5 ओवर्स की अपनी गेंदबाजी में 73 रन देने के साथ 5 विकेट हासिल किए। इसके अलावा शार्दुल ठाकुर भी 4 विकेट लेने में कामयाब रहे।

गिल ने दिखाई जीत की राह तो पंत ने अंजाम तक पहुंचाया

टेस्ट मैच की चौथी पारी में टारगेट का पीछा करना किसी भी टीम के लिए आसान काम नहीं होता है। ब्रिस्बेन के गाबा मैदान पर भारतीय टीम को चौथी पारी में जीत के लिए 328 रनों का टारगेट मिला था। खेल के आखिरी दिन टीम इंडिया को 324 रन और बनाने थे, जिसमें रोहित शर्मा का विकेट 18 के स्कोर पर ही गिर गया था। यहां से इस पूरी टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के नाक में दम करने वाले चेतेश्वर पुजारा ने जहां एक छोर से पारी को संभाला तो वहीं दूसरे छोर से युवा बल्लेबाज शुभमन गिल ने रनों की गति को बरकरार रखने का काम किया, जिससे भारतीय टीम लगातार जीत की तरफ बढ़ती गई।

गिल 91 जबकि पुजारा 211 गेंदों में 56 रनों की पारी खेलकर जब पवेलियन लौटे तो वहां से मैच किसी भी तरफ जा सकता था, लेकिन यहां से एंट्री होती है ऋषभ पंत की जो अपने बेखौफ अंदाज के लिए पहचाने जाते हैं और उन्होंने ना सिर्फ 89 रनों की पारी खेली बल्कि टीम इंडिया को जीत दिलाकर भी वापस लौटे जो भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक ऐसी ऐतिहासिक जीत के तौर पर थी जिसने ऑस्ट्रेलिया के घमंड को ना सिर्फ पूरी तरह से चकनाचूर किया बल्कि पूरे क्रिकेट जगत में इस जीत की चर्चा भी देखने को मिली।

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