आज की तारीख में भारतीय क्रिकेट में हनुमा विहारी का नाम किसी हीरो की तरह लिया जा रहा है। नहीं, उन्होंने भारतीय टीम को कोई मुश्किल मैच नहीं जिताया है, न ही उन्होंने टीम इंडिया को किसी परेशानी से निकाला है। दरअसल, विहारी ने एक ऐसा ज्जबा दिखाया है जिससे उनकी छवि एक नायक जैसी हो गई है। उन्होंने आंध्र प्रदेश की कप्तानी करते हुए पहली पारी की तरह दूसरी पारी में भी शानदार जज्बा दिखाया। हनुमा अपनी कलाई के टूटने के बावजूद बल्लेबाजी करने के लिए 11वें नंबर पर उतरे। दाएं हाथ के बल्लेबाज ने अपनी टूटी हुई कलाई को और चोटों से बचाने के लिए न सिर्फ बाएं हाथ से खेले बल्कि ज्यादातर मौकों पर एक हाथ से बल्लेबाजी की। विहारी ने जीवट प्रदर्शन करते हुए 15 रन का योगदान देकर टीम के स्कोर को 90 के पार पहुंचाया। उन्होंने 16 गेंद की अपनी पारी में तीन चौके भी जड़े।
हनुमा की बहादुरी के बावजूद मजबूत स्थिति में मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश ने तेज गेंदबाज आवेश खान के शानदार प्रदर्शन के दम पर आंध्र प्रदेश के खिलाफ मुकाबले पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। आवेश ने 24 रन देकर 4 विकेट चटकाए जिससे मध्य प्रदेश को रणजी ट्रॉफी क्वार्टर फाइनल मुकाबले में गुरुवार को आंध्र के खिलाफ वापसी का मौका मिला। इंदौर में जारी मैच के तीसरे दिन आंध्र की दूसरी पारी को एमपी ने महज 93 रन पर समेट दिया। पहली पारी में 151 रन से पिछडने वाली मध्य प्रदेश को जीत के लिए 245 रन का लक्ष्य मिला और दिन का खेल खत्म होने तक टीम ने बिना किसी नुकसान के 58 रन बना लिए।
मैच के पहले दिन टूटी हनुमा की कलाई
हनुमा विहारी को इस मुकाबले में खेल के पहले दिन बाईं कलाई के टूटने के कारण मैदान से बाहर जाना पड़ा था। उन्हें यह चोट आवेश खान की एक बाउंसर पर लगी। खेल के दूसरे दिन वह मैदान पर वापस लौटे और बाईं कलाई को बचाने के लिए लेफ्ट हैंड से बैटिंग की।
पहली पारी में भी बाएं हाथ से की बल्लेबाजी
हनुमा विहारी को जब चोट लगी तब वह 37 गेंदों में 16 रन बना चुके थे। चोट लगने के बाद एक्स-रे रिपोर्ट से उनकी कलाई के टूटने का पता चला। उन्हें पांच से छह हफ्ते तक खेल से दूर रहने की सलाह दी गई लेकिन वह नहीं माने। दूसरी पारी की तरह पहली पारी में भी उन्होंने टूटी हुई कलाई के साथ बाएं हाथ के बल्लेबाज के रूप में 11वें नंबर पर वापसी की। विहारी ने अपनी इस साहसिक पारी में 57 गेंदों पर 5 चौकों की मदद से 27 रन बनाए।