Highlights
- आईसीसी के एलीट पैनल का रहे हिस्सा
- 13 सालों तक 200 से अधिक मैचों में की अंपायरिंग
- घरेलू क्रिकेट में भी शानदार रहा था करियर
Asad Rauf dies: पूर्व अंपायर और आईसीसी की एलीट पैनल का हिस्सा रहे असद रऊफ का दिल का दौरा पड़ने की वजह से निधन हो गया है। वह 66 साल के थे और पाकिस्तान के बेहतरीन अंपायरों में से एक रहे। पाकिस्तान के रहने वाले असद ने 13 सालों तक 231 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग की। उन्होंने साल 2000 में अंपायरिंग में अपना अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू किया था और फिर 2006 में आईसीसी के एलीट पैनल का हिस्सा बने।
पाकिस्तान के सफल अंपायर रहे
पाकिस्तान के प्रथम श्रेणी क्रिकेटर रह चुके रऊफ ने वर्ल्ड कप समेत आईसीसी के कई बड़े टूर्नामेंट में अंपायरिंग की थी। उन्हें भारत की चर्चित टी20 लीग ‘आईपीएल’ में भी अंपायरिंग का अनुभव था। वह पाकिस्तान 2000 के दशक के पाकिस्तान के सबसे सफल अंपायर रहे।
जूते बेचते हुए तस्वीर हुई थी वायरल
रऊफ की हाल ही में एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें वह एक दुकान में जूते बेचते नजर आए थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि वह 2013 से ही क्रिकेट देखना छोड़ चुके हैं और इसमें उनकी अब कोई दिलचस्पी नहीं है।
साल 2000 में पहली बार वनडे में की थी अंपायरिंग
अलीम दर के मशहूर होने से पहले ही असद रऊफ ने पाकिस्तान के अंपायरिंग पैनल को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया था। रऊफ ने 1998 में प्रथम श्रेणी मैच से अपना अंपायरिंग डेब्यू किया था। इसके बाद उन्होंने दो साल बाद पहली बार वनडे में अंपायरिंग का जिम्मा संभाला। 2004 में वह आईसीसी की वनडे पैनल में शामिल हुए और इसके एक साल बाद 2005 में उन्हें पहली बार टेस्ट में अंपायरिंग का मौका मिला।
आईपीएल में भ्रष्टाचार के आरोप में लगा बैन
रऊफ हालांकि 2013 में आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के आरोंपों में घिरे और इसके बाद उनका करियर समाप्त हो गया। वह उस वक्त मुंबई पुलिस की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल थे और इसके तीन साल बाद यानी 2016 में बीसीसीआई ने उन्हें भ्रष्टाचार का दोषी मानते हुए पांच साल के लिए बैन कर दिया। उनपर सटेट्बाजों से गिफ्ट लेने और 2013 की आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के आरोप लगे थे। यही नहीं एक साल बाद मुंबई की एक मॉडल ने उनके ऊपर यौन शोषण के भी आरोप लगाए।
घरेलू क्रिकेट में सफल बल्लेबाज रहे
असद ने अंपायरिंग करियर शुरू करने से पहले घरेलू क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई थी। 1980 के दशक में वह बाएं हाथ के बल्लेबाज थे और 71 प्रथम श्रेणी मैचों में उन्होंने 3423 रन बनाए। 1986-87 का सीजन उनके लिए शानदार रहा था और इस दौरान उन्होंने 35.36 की औसत से 673 रन बनाए, जिसमें पांच अर्धशतक और एक शतक भी शामिल था।