रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ अपने होम ग्राउंड एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में 7 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। आरसीबी का इस सीजन ये तीसरा मुकाबला था और उन्हें अपनी दूसरी हार का सामना करना पड़ा। इस मैच में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु टीम को पहले बल्लेबाजी करने का मौका मिला जिसमें उन्होंने विराट कोहली शानदार अर्धशतकीय पारी के दम पर 20 ओवरों में 182 रनों का स्कोर बना दिया। वहीं कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम ने इस टारगेट को काफी आसानी से सिर्फ 16.5 ओवरों में 3 विकेट के नुकसान पर हासिल कर लिया, जिसमें सुनील नारायण और फिल सॉल्ट की ओपनिंग जोड़ी ने अहम भूमिका अदा की जिन्होंने पहले 6 ओवरों में ही टीम का स्कोर 85 रनों तक पहुंचा दिया था।
डू प्लेसिस ने पिच को बताया हार का बड़ा कारण
आरसीबी को मिली इस मुकाबले में हार के बाद उनके कप्तान फाफ डू प्लेसिस ने पिच को इसका बड़ा कारण बताया, जिसमें उन्होंने कहा कि पहली पारी के दौरान गेंद पिच से थोड़ा रुक कर आ रही थी लेकिन दूसरी पारी के दौरान यह काफी बेहतर हो गई जिससे रन बनाना भी आसान हो गया था। हमारी बल्लेबाजी के दौरान पिच के इस बर्ताव की वजह से रन बनाना आसान नहीं था जिसमें विराट कोहली को भी थोड़ा संघर्ष करना पड़ा। केकेआर के गेंदबाजों ने कटर्स और बैक ऑफ द लेंथ गेंद जब-जब फेंकी तो हमारे बल्लेबाजों को उसपर रन बनाने के लिए थोड़ा संघर्ष करना पड़ा। वहीं दूसरी पारी के दौरान ओस आने की वजह से हमारे गेंदबाजों को थोड़ा अधिक दिक्कत का सामना करना पड़ा। वहीं रसेल ने अपनी अधिकतर गेंदें कटर्स डालीं जिनसे हमें थोड़ा सीखने को भी मिला और वह आज इस मैच के सबसे बेस्ट बॉलर भी हैं।
सॉल्ट और नारायण की साझेदारी ने हमारे लिए वापसी काफी मुश्किल कर दी
कोलकाता नाइट राइडर्स टीम की ओपनिंग जोड़ी ने पहले 6 ओवरों में ही इस मैच को पूरी तरह से अपनी टीम के नाम करने में अहम भूमिका अदा की। इसी को लेकर फाफ डू प्लेसिस ने कहा कि सॉल्ट और नारायण ने जिस तरह की शुरुआत दी उससे हमारे गेंदबाजों पर भी काफी दबाव बन गया था और हमारे लिए वापसी करना भी काफी मुश्किल हो गया। आप कह सकते हैं कि हम एक या दो चीजें ट्राई कर सकते थे लेकिन वह दोनों ही गेंद को जिस तरह से हिट कर रहे थे उससे उन्हें रोकना आसान नहीं था। हमने मैक्सवेल को स्पिन के विकल्प के तौर पर रखा था लेकिन यहां पर दूसरी पारी के दौरान गेंद अधिक स्पिन नहीं होती है। वहीं स्पिनर को छोटी बाउंड्री की तरफ मारना थोड़ा आसान होता है जो वेंकटेश अय्यर कर रहे थे।
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