इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच एशेज सीरीज का दूसरा टेस्ट मैच खेला जा रहा है। इस सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई टीम 1-0 से आगे चल रही। सीरीज के दूसरे मुकाबले में भी ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। लेकिन अंपायर के एक खराब फैसले के कारण ऑस्ट्रेलियाई टीम ये टेस्ट मैच हार सकती है। ऑस्ट्रेलिया ने इस मैच में इंग्लैंड को जीत के लिए 371 रनों का लक्ष्य दिया है। इस लक्ष्य का पीछा करते हुए इंग्लैंड की टीम काफी दिक्कतों में नजर आ रही है। लेकिन अंपायर ने मैच के चौथे दिन एक ऐसा फैसला सुना दिया, जिसके कारण इंग्लैंड की टीम को एक बड़ा जीवनदान मिल गया।
अंपायर ने पलट दिया मैच
दूसरे टेस्ट मैच के चौथे दिन ऑस्ट्रेलियाई टीम 279 रन पर ऑलआउट हो गई। इसके साथ ही उनकी पारी 370 रनों के लीड पर खत्म हो गई। अब इंग्लैंड के सामने 371 रनों का बड़ी लक्ष्य था। इस लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लिश टीम को उनके बल्लेबाजों ने खराब शुरुआत दिलवाई। इंग्लैंड ने देखते ही देखते 45 रन पर अपने 4 विकेट गंवा दिए। ऐसा लगा कि अब यहां से इंग्लैंड की टीम इस मैच में बैकफुट पर चली जाएगी। लेकिन टीम के कप्तान बेन स्टोक्स और सलामी बल्लेबाज बेन डकेट के बीच 68 रनों की साझेदारी ने इस मैच में इंग्लैंड की वापसी करा दी।
अब ऐसा लगने लगा था कि इंग्लैंड की टीम इस टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया पर भारी पड़ सकती है। लेकिन इंग्लिश पारी के 29वें ओवर में कुछ ऐसा हुआ जिससे ऑस्ट्रेलिया ने एक बार फिर से मैच को अपनी ओर मोड़ दिया। दरअसल ऑस्ट्रेलिया की ओर से कैमरन ग्रीन ये ओवर करने के लिए आए। इस ओवर की 5वीं गेंद पर बेन डकेट ने गेंद को हवा में मारा और मिचेल स्टार्क ने उस गेंद को कैच कर लिया। ग्राउंड अंपायर ने उन्हें आउट दे दिया। डकेट मैदान से बाहर जा ही रहे थे कि उन्हें रोक दिया गया और थर्ड अंपायर ने इस कैच को अमान्य घोषित कर दिया।
हर कोई हो गया हैरान
अंपायर के इस फैसले से हर कोई हैरान था कि भला स्टार्क के कैच को अमान्य कैसे घोषित कर दिया गया। स्टार्क ने भी इस कैच को बड़ी सफाई से पकड़ा था। लेकिन एमसीसी ने अपनी सफाई में कहा कि स्टार्क इस कैच को पकड़ने के दौरान पूरी तरह से कंट्रोल में नहीं थे। हालांकि इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर लोग अंपायर के इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं। डकेट को जब नॉटआउट दिया गया था तब वह 50 रन पर खेल रहे थे। अब अगर वह मैच के पांचवें दिन कुछ कमाल करते हुए अपनी टीम को यह मैच जिता देते हैं तो इस फैसले की काफी निंदा की जाएगी।