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बॉम्बे हाईकोर्ट ने BCCI, MCA और BMC को दिए आदेश, कहा- युवा क्रिकेटरों को दी जाएं यह सुविधाएं

बॉम्बे हाईकोईट में दाखिल याचिका में कई मैदानों पर युवा क्रिकेटरों के लिए पीने के पानी तक की व्यवस्थाएं नहीं होने के आरोप लगाए गए थे।

Written By: Priyam Sinha @@PriyamSinha4
Published on: July 04, 2022 15:29 IST
BCCI को बॉम्बे हाईकोर्ट...- India TV Hindi
Image Source : TWITTER BCCI को बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिए आदेश (File Photo)

Highlights

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने BCCI, MCA और BMC को दिए कड़े आदेश
  • युवा क्रिकेटरों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने की दी हिदायत
  • जवाब दाखिल करने के लिए दिया गया दो हफ्तों का समय

बॉम्बे हाई कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई), महाराष्ट्र क्रिकेट संघ (MCA) और बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) को सोमवार को अहम आदेश जारी किए हैं। उच्च न्यायालय ने कहा है कि, सार्वजनिक मैदानों पर शौचालय, पीने के पानी और चिकित्सा सहायता जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। कोर्ट का मानना है कि क्रिकेट संघों या नागरिक निकायों के अंतर्गत आने वाले इन मैदानों में से अधिकांश में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। कोर्ट ने इन सभी को दो हफ्ते का समय दिया है और विस्तृत जवाब मांगा है।

आपको बता दें कि बीसीसीआई और एमसीए दोनों के आंतरिक मेमोरेंडम में ट्रेनिंग शिविर या क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए ऐसे स्थलों पर मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का नियम है जहां क्रिकेट का खेल खेला जा रहा हो। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘‘आपका अगला बड़ा सितारा इन सार्वजनिक मैदानों’’ से आ सकता है। न्यायमूर्ति अनिल मेनन और एमएस कार्णिक की पीठ ने कहा कि, कई बच्चे और युवा राज्य भर में सार्वजनिक मैदानों पर क्रिकेट खेलते हैं। हाईकोर्ट की बेंच वकील राहुल तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। 

क्रिकेटरों को नहीं मिलता था पीने का पानी

इस मामले में पक्ष (मामले में अपना ही प्रतिनिधित्व कर रहे) के रूप में निजी तौर पर मौजूद तिवारी ने अदालत से कहा कि वह स्वयं भी पेशेवर क्रिकेट खिलाड़ी थे और उन्होंने विभिन्न राज्य और जिला स्तर के क्रिकेट टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। तिवारी ने कहा, ‘‘जब कोई अभ्यास के लिए एक सार्वजनिक मैदान बुक करता है तो उसे नागरिक निकाय या उस खेल संघ को शुल्क देना पड़ता है जिसके अधिकार क्षेत्र में मैदान आता है। लेकिन इनमें से अधिकतर मैदान, यहां तक कि जहां पेशेवर क्रिकेट शिविर आयोजित किए जाते हैं, वहां पीने का साफ पानी या खिलाड़ियों द्वारा इस्तेमाल किए जा सकने योग्य शौचालय तक नहीं हैं।’’ 

निकायों पर लगे ये आरोप!

हालांकि एमसीए और बीसीसीआई के वकीलों ने उच्च न्यायालय को बताया कि राज्य के अधिकांश सार्वजनिक मैदान नगर निकायों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे मामलों में भी जहां उन्होंने शिविर या अभ्यास मैच आयोजित किए, बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने की अनुमति अक्सर संबंधित नागरिक निकाय या राज्य के अधिकारियों द्वारा अस्वीकार कर दी गई थी। लेकिन इस पर पीठ ने कहा कि ऐसा बयान स्वीकार्य नहीं है। 

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अदालत ने एमसीए और बीसीसीआई से कहा, ‘‘क्या आपने कभी आवेदन किया है और फिर अनुमति देने से इनकार किया गया है? एक हलफनामा दायर करें। यह कोई विरोधात्मक मुकदमा नहीं है क्योंकि आपको अपना अगला सितारा सार्वजनिक मैदान से मिल सकता है। इतने होनहार बच्चे सार्वजनिक मैदान पर खेल रहे हैं। क्रिकेट संघ और बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराने के कारण के रूप में धन की कमी का हवाला नहीं दे सकते। महाराष्ट्र सरकार, बीएमसी, एमसीए और बीसीसीआई को दो सप्ताह के भीतर अपने-अपने हलफनामे दाखिल करने चाहिए जिसमें यह बताया गया हो कि उनके अधिकार क्षेत्र में कितने मैदान हैं और वहां क्या सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

(Inputs From Bhasha/PTI)

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