Highlights
- कपिल देव के बाद एमएस धोनी बने वन डे विश्व कप जीतने वाले कप्तान
- भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में पाकिस्तान को दी करारी शिकस्त
- मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर खेला गया भारत बनाम श्रीलंका फाइनल
Azadi Ka Amrit Mahotsav : भारत की आजादी के 75 साल पूरे हो गए हैं। 15 अगस्त 2022 को पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जाएगा। इन 75 सालों में भारत ने खेल की दुनिया में कई बड़े रिकॉर्ड बनाए और तोड़े भी। क्रिकेट की बात की जाए तो भारत ने अब तक आईसीसी के तीन विश्व कप अपने नाम किए हैं। दो विश्व कप वन डे फॉर्मेट में भारत ने जीते, वहीं एक टी20 विश्व कप भी अपने नाम किया। भारत ने पहली बार साल 1983 में कपिल देव की कप्तानी में वन डे विश्व कप अपने नाम किया था। इसके बाद लगातार विश्व कप होते रहे, लेकिन भारतीय टीम इसे जीतने में कामयाब नहीं हुई, लेकिन साल 2011 का विश्व कप भारतीय टीम ने फिर से अपने नाम किया। 1983 के बाद करीब 28 साल बाद एमएस धोनी ने विश्व कप की ट्रॉफी अपने हाथों में उठाई। पहली बार विश्व कप जीतने वाली टीम के कप्तान कपिल देव थे। एमएस धोनी इससे पहले साल 2007 में पहला टी20 विश्व कप भी जीत चुके थे। साल 2011 के विश्व कप में टीम इंडिया ने शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल में जाकर श्रीलंका को छह विकेट से मात दी थी।
टीम इंडिया ने पहली बार अपने घर पर जीता विश्व कप
जब वन डे विश्व कप 2011 शुरू हुआ तो किसी ने भी नहीं सोचा था कि टीम इंडिया अपने घर पर शानदार प्रदर्शन करेगी। इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था कि किसी घरेलू टीम ने विश्व कप जीता हो, ये भी एक कारण था कि किसी ने इंडिया को फेवरेट नहीं माना था। विश्व कप 2011 में टीम इंडिया की शुुरुआत ही शानदा ढंग से हुई थी। भारत ने अपने पहले ही मैच में बांग्लादेश को 87 रनों से हराकर की थी। इसके बाद दूसरे मैच में भारत का सामना इंग्लैंड से हुआ। ये मैच टाई पर खत्म हुआ। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 338 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया था, इसके जवाब में इंग्लैंड ने भी इतने ही रन बना लिए और मैच टाई हो गया। इसके बाद टीम इंडिया का मुकाबला आयरलैंड से हुआ, इस मैच को भी टीम इंडिया ने पांच विकेट से अपने नाम किया। इसके बाद नीदरलैंड्स को भी टीम इंडिया ने 5 विकेट से पराजित किया। लेकिन टीम इंडिया के इस विजयी अभियान को दक्षिण अफ्रीका ने रोकने का काम किया। दक्षिण अफ्रीका ने टीम इंडिया को तीन विकेट से हरा दिया था। लेकिन भारतीय टीम जीत की पटरी पर फिर लौटी। भारत ने पहले वेस्टइंडीज जैसी शक्तिशाली टीम को 80 रन से पटकनी दी और फिर ऑस्ट्रेलिया को दूसरे क्वार्टर फाइनल में पांच विकेट से हराकर सेमीफाइनल में एंट्री कर ली।
भारत और पाकिस्तान के बीच सेमीफाइनल में मुकाबला
अब टीम इंडिया के लिए बहुत बड़ा मैच होना था। एक तो सेमीफाइनल में पाकिस्तानी टीम सामने थी और टीम इंडिया को फाइनल में भी एंट्री करनी थी। भारत और पाकिस्तान के बीच पंजाब के मोहाली में सेमीफाइनल मैच था। टीम इंडिया ने पहले बल्लेबाजी की और नौ विकेट पर 260 रनों का स्कोर खड़ा किया। इस मैच में सचिन तेंदुलकर ने 85 रनों की शानदार पारी खेली। वहीं वीरेंद्र सहवाग ने भी 38 रनों की धुआंधार पारी खेली। लोअर आर्डर में आकर सुरेश रैना ने भी 36 बहुमूल्य रन जुटाए। इस मैच में कप्तान एमएस धोनी केवल 25 रन ही बना सके। वैसे तो ये स्कोर कोई खास नहीं था, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने कमाल का प्रदर्शन किया और इस स्कोर को ही बड़ा बना दिया। पाकिस्तानी टीम जब रनों का पीछा करने के लिए उतरी तो 49.1 ओवर में सभी विकेट खोकर केवल 231 रन ही बना सकी। पाकिस्तान की ओर से केवल मिस्बाह उल हक 56 रन की पारी खेल पाए। वहीं भारतीय गेंदबाजों में से जहीर खान, आशीष नेहरा, मुनाफ पटेल, हरभजन सिंह और युवराज सिंह यानी सभी गेंदबाजों ने दो दो विकेट अपने नाम किए। इस तरह से भारत ने पाकिस्तान को 29 रनों से हराकर फाइनल में एंट्री की।
श्रीलंका के साथ हुई टीम इंडिया की फाइनल टक्कर
अब टीम इंडिया फाइनल में पहुंच चुकी थी और उसका मुकाबला श्रीलंका से था। श्रीलंका की टीम भी पूरे विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन कर यहां तक पहुंची थी। भारतीय टीम तीसरी बार विश्व कप के फाइनल में थी। इससे पहले साल 1983 और उसके बाद साल 2003 में भी फाइनल तक पहुंची थी। 1983 में तो टीम इंडिया विजेता भी बनी, लेकिन 2003 में सौरव गांगुली की कप्तानी वाली टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल में हरा दिया था। यानी जीत का प्रतिशत 50 था। लेकिन इस बार एमएस धोनी की कप्तानी वाली टीम इंडिया इतिहास रचने जा रही थी। भारत और श्रीलंका के बीच दो अप्रैल 2011 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडिय में फाइनल मुकाबला खेला गया। इस मैच में श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी की और छह विकेट पर 274 रनों का अच्छा स्कोर खड़ा किया। इसके बाद टीम इंडिया को जीत के लिए 275 रनों का टारगेट मिला। टीम इंडिया ने 48.2 ओवर में ही चार विकेट खोकर इस लक्ष्य को हासिल कर लिया और मैच अपने नाम कर लिया।
एमएस धोनी का विजयी छक्का
ये विश्व कप एमएस धोनी के नाम से भी जाना जाता है। जब टीम इंडिया 274 के टारगेट का पीछा करने के लिए मैदान में उतरी तो जल्द ही पहला झटका लगा गया। वीरेंद्र सहवाग बिना खाता खोले ही शून्य पर आउट हो गए। इसके बाद सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर के बीच छोटी लेकिन अहम साझेदारी हुई। लेकिन सचिन तेंदुलकर जब 18 रन बनाकर आउट हो गए तो टीम इंडिया को बड़ा झटका लगा। लेकिन गौतम गंभीर एक छोर पर टिके हुए थे। विराट कोहली और गौतम गंभीर के बीच बड़ी साझेदारी हुई। विराट कोहली 35 रन बनाकर आउट हो गए। भारत के लिए ये झटका था। इसके बाद मैदान पर आए कप्तान एमएस धोनी। धोनी और गंभीर के बीच साझेदारी हुई। गौतम गंभीर अपने शतक की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन इससे पहले ही 97 के स्कोर पर उन्हें आउट होकर बाहर जाना पड़ा। अब एमएस धोनी और युवराज सिंह की जोड़ी मैदान पर आई। इन दोनों ने मिलकर टीम को जीत के दरवाजे तक पहुंचा दिया। भारतीय पारी के 49वें ओवर की दूसरी गेंद पर कप्तान एमएस धोनी ने दनदनाता हुआ छक्का मारा और टीम इंडिया को दूसरी बार वन डे विश्व कप दिला दिया। इस छक्के को हमेशा के लिए याद किया जाएगा। एमएस धोनी ने इस मैच में 79 गेंदों पर 91 रनों की नाबाद पारी खेली। भारतीय टीम ने अपने घर पर विश्व कप के फाइनल में पहुंच कर इस ट्रॉफी को अपने कब्जे में कर लिया और इतिहास रचने का काम किया।