क्रिकेट मैदान पर फैंस काफी बेसब्री से भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले मुकाबले का काफी बेसब्री से इंतजार करते हैं, वहीं यदि दोनों ही टीमों के प्लेयर्स को एक ही टीम से खेलते हुए देखने का मौका मिले तो इस पल को वर्ल्ड क्रिकेट कोई भी फैन गवाना नहीं चाहेगा। ऐसा ही साल 2007 में आखिरी बार देखने को मिला था जब भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ी एफ्रो-एशिया कप में एक साथ खेलते हुए देखने को मिले थे। वहीं अब 17 साल के बाद इस टूर्नामेंट को फिर से आयोजित कराने की तैयारी की जा रही है, जिसको लेकर अफ्रीका क्रिकेट एसोसिएशन यानी एसीए के अंतरिम अध्यक्ष तवेंग्वा मुकुहलानी ने इस टूर्नामेंट को फिर से शुरू कराने के लिए बड़ा अपडेट दिया है।
एसीए ने 6 सदस्यों की कमेटी का किया गठन
अफ्रीका क्रिकेट एसोसिएशन ने एफ्रो-एशिया कप को फिर से शुरू करने के लिए 6 सदस्यों की अंतरिम कमेटी का भी गठन किया है ताकि इसे टूर्नामेंट कराने की आगे की प्रक्रिया को बढ़ाया जा सके। इसमें उनका पहला लक्ष्य एशियन क्रिकेट काउंसिल के साथ बात करने का होगा ताकि एफ्रो-एशिया कप को आयोजित करने के अवसरों को तलाशा जा रहे। ये टूर्नामेंट अब तक सिर्फ 2 बार खेला गया है, जिसमें पहली बार साल 2005 में इसकी मेजबानी साउथ अफ्रीका ने की थी, जबकि दूसरी बार साल 2007 में भारत ने इसकी मेजबानी की थी। वहीं टूर्नामेंट का तीसरा संस्करण साल 2009 में केन्या में आयोजित होना था लेकिन अब तक 2 दशक बीतने के बाद भी इसे आयोजित नहीं कराया जा सका। इसकी सबसे बड़ी वजह भारत और पाकिस्तान के बीच खराब आपसी रिश्ते हैं, जिसमें दोनों ही देशों के बीच द्विपक्षीय सीरीज भी नहीं होती।
एफ्रो-एशिया कप से आर्थिक हालात को सुधारने का भी मिलेगा मौका
एफ्रो-एशिया कप एक इंटर कॉन्टिनेंटल कप है जो एशिया और अफ्रीकी टीमों के प्लेयर्स को मिलाकर बनाई गई 2 टीमों के बीच होता है, जिसमें दोनों के बीच 3-3 मैचों की सीरीज खेली जाती है। वहीं एसीए के अंतरिम अध्यक्ष तवेंग्वा मुकुहलानी, जो जिम्बाब्वे क्रिकेट के अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि क्रिकेट के अलावा एफ्रो-एशिया कप संगठन के लिए बहुत ज़रूरी वित्तीय इनपुट लाता है जो सभी के लिए काफी फायदेमंद भी है।
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