मुंबई। भारत के 2011 विश्व कप में नायक रहे युवराज सिंह ने सोमवार को इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया है। संन्यास का ऐलान करते हुए युवराज काफी भावुक हो गए।
इस दौरान युवराज सिंह ने कहा, "मेरे जीवन में काफी उतार चढ़ाव रहे। 2011 वर्ल्ड कप जीतना सबसे यादगार पल था और मेंने अपने पिता का सपना पूरा किया कैंसर के दौरान सभी ने मेरा साथ दिया। उन्होंने आगे कहा कि वह काफी समय से रिटायरमेंट के बारे में सोच रहे थे और अब उनका प्लान आईसीसी द्वारा मान्यता प्राप्त टी-20 टूर्नामेंट्स में खेलने का है।
भारतीय टीम के साथ दो विश्व कप (2007 टी-20 और 2011 वनडे) युवराज ने कहा, "मैं बता नहीं सकता कि क्रिकेट ने मुझे क्या और कितना दिया है। मैं यहां बताना चाहता हूं कि मेरे पास आज जो कुछ है, क्रिकेट ने दिया है। क्रिकेट ही वह वजह है, जिसके कारण मैं आज यहां बैठा हूं।"
युवराज ने कहा, "2011 विश्व कप जीता, चार बार मैन आफ द मैच और मैन आफ द टूर्नामेंट बनना मेरे लिए किसी सपने के सच जैसा होना था। इसके बाद मुझे पता चला कि मैं कैंसर से पीड़ित हूं। उस सच को मैंने आत्मसात किया। जब मैं अपने करियर के सर्वोच्च मुकाम पर था, तभी यह सब हुआ।"
युवराज ने कहा, "इस दौरान मेरे परिवार और दोस्तों ने मेरा खूब साथ दिया। मैं उनके सहयोग को बयां नहीं कर सकता। बीसीसीआई और उसके अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन ने मेरे इलाज के दौरान काफी साथ दिया था।"
युवराज के संन्यास के कयास तभी से लगाए जाने लगे थे जब उन्हें 30 मई से खेले जाने वाले विश्वकप 2019 की भारतीय टीम में नहीं चुना गया था। भारतीय क्रिकेट में युवराज सिंह ( युवी ) के योगदान को हमेशा इतिहास के सुनहरे पन्ने में लिखा जायेगा। जिसमें सबसे पहले 2002 इंग्लैंड में मोहम्मद कैफ के साथ साझेदारी कर युवी ने इंग्लैंड कि सरजमीं पर भारत को नेटवेस्ट सीरीज जिताई थी।
पहले टी20 वर्ल्ड कप 2007 में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड के छह गेंद में छह छक्कों को भी कोई नहीं भुला सकता है। अंतराष्ट्रीय टी20 में 12 गेंदों पर सबसे तेज अर्धशतक जड़ने का रिकॉर्ड अभी युवी के नाम कायम है। भारत की 2007 टी20 विश्व कप जीत में 'मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट' बनने के बाद युवी को 2011 विश्व कप खिताबी जीत के बाद भी 'मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट' का खिताब उनके दमदार प्रदर्शन के कारण उन्हें दिया गया था।
युवी के अंतराष्ट्रीय करियर की बात करें तो उन्होंने 304 वनडे मैचों में 36.55 की औसत से 8701 रन बनाए। जिसमें कैंसर से लड़ने के बाद मैदान में वापसी करते हुए युवराज ने सर्वोच्च 150 रनों की पारी इंग्लैंड के खिलाफ खेली थी। वहीं, टेस्ट क्रिकेट में खेले 40 मैचों में युवी ने 33.92 कि औसत से 1900 रन बनाए, जिसमें 169 रनों कि सर्वोच्च पारी शामिल है। बात अगर फटाफट टी-20 क्रिकेट की करे तो 58 मैच में 28 के औसत से युवी ने 1177 रन जड़े।
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इस तरह लम्बे करियर के दौरान भारत को दो विश्व कप जिताने में युवराज सिंह की बल्लेबाजी ही नहीं बल्कि गेंदबाजी का भी काफी अहम योगदान रहा। वनडे क्रिकेट में उनके नाम 111 विकेट, टेस्ट में 9 तो टी20 में उनके नाम 28 विकेट दर्ज हैं। इस तरह के प्रदर्शन के बाद जब युवी अपनी बल्लेबाजी में पिछले कुछ सालों से बदरंग नजर आ रहे थे। सभी फैंस उन्हें एक बार फिर वर्ल्ड कप 2019 में खेलते देखना चाहते थे। लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में पकने वाली खिचड़ी में अपने लिए कुछ भी ना बनता देख थक हार कर टीम इंडिया के केसरी बल्लेबाज युवराज सिंह ने आखिरकार संन्यास ले ही लिया।
(आईएएनएस इनपुट के साथ)