5. कभी-कभ दुश्मन को चौंका देना अच्छी रणनीति मानी जाती है। धोनी कोहली को लाए, अच्छा मूव था, एक विकेट भी मिला लेकिन अश्विन की जगह कोहली से आख़िरी ओवर फिकवाना कहां की तुक थी...? क्या धोनी को 1993 हीरो कप की याद आ गई जब ईडन गार्डंस पर अज़हर ने आख़िरी ओवर तेंदुलकर को थमा दिया था...? तेंदुलकर ने वो कर दिखाया जिसकी अज़हर को उम्मीद थी लेकिन हमें ये नहीं बूलना चाहिये कि सचिन उस समय नियमित रुप से वनडे में ओवर डाल दिया करते थे। जबकि कोहली ने कभी ऐसा नहीं किया है।
कोहली एक्सप्रेस से सेफीफाइनल तक का सफर, लेकिन क्या माही के पास था प्लान बी? जानें अगली स्लाइड में