मिशन विश्व कप में फतह हासिल करने के लिए टीम इंडिया इन दिनों इंग्लैंड दौरे पर है। जहां हाल ही में भारतीय टीम साउथ अफ्रीका पर पहली जीत की ख़ुशी मना रही थी। वहीं अब टीम के पूर्व कैप्टन कूल व विकेट कीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी पर एक आफत आन पड़ी है।
दरअसल धोनी के विकेटकीपिंग ग्लव्स पर इंडियन पैरा स्पेशल फोर्सेज के ‘बलिदान बैज’ का इस्तेमाल होने पर आईसीसी ने आपत्ति जताई। इतना ही नहीं पाकिस्तान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी को भी ये बात हजम नहीं हो रही है। जिसके चलते उन्होंने अपने शब्द आखिरकार ट्विटर के जरिये उगल ही दिए। उन्होंने धोनी पर निशाना साधते हुए लिखा, "धोनी इंग्लैंड में क्रिकेट खेलने गए हैं न कि महाभारत के लिए, भारतीय मीडिया में एक मूर्खतापूर्ण बहस है? भारतीय मीडिया का एक वर्ग युद्ध से इतना प्रभावित है कि उन्हें सीरिया, अफगानिस्तान या रावंडा में भाड़े के सैनिकों के रूप में भेजा जाना चाहिए।’
बता दें कि 37 साल के महेंद्र सिंह धोनी के ग्लव्स पर 'बलिदान बैज' या सेना का प्रतीक चिह्न उस समय देखा गया था जब वह बुधवार को साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेले जा रहे मैच के 40वें ओवर के दौरान युजवेंद्र चहल की गेंद पर बल्लेबाज एंडिले फेहलुकवायो को स्टंप्स आउट किया था। इसके बाद उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं।
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के नियम साफ कहते हैं, ‘उपकरण और कपड़ा नियामक इस बात की अनुमित नहीं देता कि किसी चीजों का अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान राजनीतिक, धार्मिक या नस्लीय संदेश देने के लिए हो।’
क्या है बलिदान बैज?
धोनी के ग्लव्स पर दिखे इस अनोखे निशान बैज को सिर्फ पैरा-कमांडो लगाते हैं। इस बैज को 'बलिदान बैज' के नाम से जाना जाता है। इस बैज में 'बलिदान' शब्द को देवनागरी लिपि में लिखा गया है। यह बैज चांदी की धातु से बना होता है, जिसमें ऊपर की तरफ लाल प्लास्टिक का आयत होता है। यह बैज केवल पैरा-कमांडो द्वारा पहना जाता है।
गौरतलब है कि भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को क्रिकेट में उनकी अपार उपलब्धियों के कारण 2011 में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई थी। इतना ही नहीं धोनी अगस्त 2015 में प्रशिक्षित पैराट्रूपर बन गए थे। आगरा के पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल में भारतीय वायु सेना के एएन-32 विमान से पांचवीं छलांग पूरी करने के बाद उन्होंने प्रतिष्ठित पैरा विंग्स प्रतीक चिह्न लगाने की अर्हता प्राप्त कर ली थी। जिसके बाद उन्हें इस बैज को लगन का गौरव प्राप्त हुआ था। हालाँकि इस पर आईसीसी ने तो अपनी आपत्ति साफ़ जता दी है। अब अंतरिम फैसला क्या होता है ये देखना दिलचस्प होगा।