लंदन। खिताब की प्रबल दावेदार और मेजबान इंग्लैंड की टीम आईसीसी विश्व कप के अपने पहले मैच में गुरुवार को द ओवल मैदान पर दक्षिण अफ्रीका से भिड़ेगी। इंग्लैंड जानती है कि यह उसका विश्व कप जीतने का सुनहरा मौका है और इसलिए वह किसी भी लापरवाही से बचते हुए अपने अभियान की शुरुआत जीत के साथ करना चाहेगी। टीम ने आज तक एक बार भी क्रिकेट विश्वकप नहीं जीता है।
इंग्लैंड का अगर पिछला विश्व कप देखा जाए तो वह बेहद निराशाजनक रहा था। टीम ग्रुप दौर से ही बाहर हो गई थी, लेकिन इयोन मोर्गन की कप्तानी वाली इस टीम ने उसके बाद जबरदस्त सुधार किया है।
इंग्लैंड को अब वह टीम माना जाता है जिसके लिए किसी भी लक्ष्य को हासिल करना मुमकिन है। बीते दो साल में इस टीम ने जितने हाई स्कोरिंग मैच खेले हैं, उतने शायद किसी और टीम ने नहीं खेले होंगे। टीम की गेंदबाजी भी दमदार है।
इंग्लैंड ने बीते ढाई साल में कोई भी दो से ज्यादा मैचों वाली सीरीज नहीं गंवाई है।
विश्व कप के अपने पहले अभ्यास मैच में बेशक उसे आस्ट्रेलिया से हार मिली थी लेकिन यह मैच काफी करीबी रहा था। इसके बाद उसने अपने दूसरे अभ्यास मैच में अफगानिस्तान को मात दी थी।
बाकी टीमें इस बात को बखूबी जानती हैं कि अभ्यास मैच इंग्लैंड की सही सीरत नहीं बताते हैं क्योंकि जब टूर्नामेंट शुरू होगा तब इंग्लैंड की बल्लेबाजी में गहराई अलग होगी। टीम के पास जॉनी बेयरस्टो, जेसन रॉय जैसे सलामी बल्लेबाज हैं।
इन दोनों के अलावा मौजूदा समय के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में गिने जाने वाले जोए रूट टीम को स्थिरता देते हैं। कप्तान मोर्गन, फॉर्म में चल रहे जोस बटलर और हरफनमौला खिलाड़ी बेन स्टोक्स तथा मोइन अली मध्य और निचले क्रम में तेजी से रन बनाने के लिए विख्यात हैं।
एक खासियत इंग्लिश बल्लेबाजों की यह है कि यह सभी तेजी से रन बटोरने के अलावा विकेट पर जमने का दम रखते हैं। यह सभी जानते हैं कि स्थिति के हिसाब से कैसे खेलना है। अमूमन देखा जाता है कि जो आक्रामक बल्लेबाज होते हैं, उनके साथ इस बात का जोखिम होता है कि वह कभी भी अपना विकेट खो सकते हैं लेकिन इंग्लैंड के बल्लेबाजों के साथ ऐसा नहीं है। यह सभी इतने परिपक्व बल्लेबाज हैं कि विकेट पर टिक कर तेजी से रन बना सकते हैं।
इंग्लैंड की गेंदबाजी उतनी मजबूत नहीं है जितनी उसकी बल्लेबाजी है लेकिन जोफ्रा आर्चर के आने से उसे बल मिला है। आर्चर की प्रतिभा की दुनिया कायल है। उनके अलावा टीम में लियाम प्लंकट, मार्क वुड, क्रिस वोक्स, टॉम कुरैन पर तेज गेंदबाजी की जिम्मा होगा।
अगर दक्षिण अफ्रीका की बात की जाए तो उसके लिए टूर्नामेंट से पहले बुरी खबर आई है। टीम के अनुभवी तेज गेंदबाज डेल स्टेन कंधे में चोट के कारण पहले मैच से बाहर हो गए हैं।
स्टेन के अलावा टीम के पास कागिसो रबादा और लुंगी नगिदी जैसे गेंदबाज हैं जिन्होंने अभ्यास मैच में अच्छा किया है। यह दोनों भी चोटों से परेशान रहे हैं। टीम प्रबंधन उम्मीद करेगा कि इस विश्व कप में यह तीनों फिट रहें।
खिताब के पास जाकर भी हार जाने के कारण चोकर्स के नाम से मशहूर इस टीम के पास बेहतरीन गेंदबाजी आक्रमण है, लेकिन बल्लेबाजी में गहराई नहीं है।
कप्तान फाफ डु प्लेसिस के अलावा युवा क्विंटन डी कॉक टीम के मुख्य बल्लेबाज हैं। हाशिम अमला खराब फॉर्म से जूझ रहे हैं।
टीम के पास एडिन मार्कराम, डेविड मिलर, ज्यां पॉल ड्यूमिनी, आंदिले फेहुलक्वायो, रैसी वान डेर डुसैन हैं लेकिन निरंतरता की कमी इन सभी के साथ चलती आई है।
मिलर और ड्यूमिनी के पास अनुभव है लेकिन यह दोनों उस तरह का प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं जिसकी उम्मीद की जाती है।
टीम : फाफ डु प्लेसिस (कप्तान), डेविड मिलर, एडिन मार्कराम, हाशिम अमला, रासी वैन डेर डुसैन, क्विंटन डी कॉक (विकेटकीपर), कागिसो रबाडा, लुंगी नगिदी, इमरान ताहिर, डेल स्टेन, तबरेज शम्सी, ज्यां पॉल ड्यूमिनी, आंदिले फेहुलक्वायो, ड्वयान प्रीटोरियस, क्रिस मौरिस।
टीम : इयोन मोर्गन (कप्तान), मोइन अली, जोफ्रा आर्चर, जॉनी बेयरस्टो (विकेटकीपर), जोस बटलर, टॉम कुरैन, लियाम डॉसन, लियाम प्लंकट, आदिल राशिद, जोए रूट, जेसन रॉय, बेन स्टोक्स, जेम्स विंसे, क्रिस वोक्स, मार्क वुड।