मलेशिया में खेले गए महिला एशिया कप के फाइनल मुकाबले में बांग्लादेश की महिला टीम ने भारत को 3 विकेट से हारकर इतिहास रच दिया। भारत को हराने के साथ ही बांग्लादेश की टीम ने पहली बार महिला एशिया कप में कब्जा जमा लिया। ये दूसरा मौका है जब बांग्लादेश की टीम ने भारत को हराया है। खास बात ये है कि बांग्लादेश ने इसी टूर्नामेंट में दोनों बार भारत को हराने में कामयाबी पाई है। भारत ने इस टूर्नामेंट में दो मैच हारे हैं और दोनों ही बार उसे बांग्लादेश से हार झेलनी पड़ी है। इस हार के साथ ही भारत के एशिया कप 2018 जीतने के सपने पर पानी फेर दिया।
113 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी बांग्लादेश की शुरुआत सधी हुई रही और शमीमा सुल्ताना, अयाशा रहमान ने पहले विकेट के लिए 35 रन जोड़े। जब ये जोड़ी भारत के लिए खतरनाक दिख रही थी तभी अयाशा (17) को पूनम यादव ने आउट कर भारत को पहली सफलता दिला दी। इसके बाद इसी स्कोर पर पूनम ने शमीमा (16) को भी पवेलियन का रास्ता दिखा दिया। जल्दी-जल्दी दो विकेट गिरने के बाद बांग्लादेश की टीम बैकफुट पर पहुंच गई। भारत ने इसी बीच फरनगा हक (11) को आउट कर मैच में अपनी पकड़ बना ली।
हालांकि बांग्लादेश की बल्लेबाज इस बीच रन भी बना रही थीं लेकिन टीम टीम इंडिया की गेंदबाज लगातार विकेट गिराकर उन्हें बैकफुट पर बनाए हुए थे। बांग्लादेश की टीम को आखिरी ओवर में 9 रन की जरूरत थी। ओवर की दूसरी गेंद पर रुमाना अहमद ने चौका लगाकर मैच में अपनी टीम को हावी कर दिया। लेकिन हरमनप्रीत ने चौथी गेंद पर संजीदा को आउट कर मैच को बेहद रोमांचक बना दिया। अगली गेंद पर बांग्लादेश ने एक और विकेट खो दिया और टीम को आखिरी गेंद पर 2 रनों की जरूरत थी और जहानारा ने दो रन लेकर अपनी टीम को ऐतिहासिक जीत दिला दी। बांग्लादेश ने आखिरी ओवर की आखिरी गेंद पर मैच जीतने में कामयाबी पाई।
इससे पहले भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवरों में 9 विकेट खोकर 112 रन बनाए थे। भारत की तरफ से कप्तान हरमनप्रीत कौर ने सबसे ज्यादा 42 गेंदों में 56 रनों की पारी खेली थी। हरमनप्रीत के अलावा भारत की कोई और बल्लेबाज अपनी छाप नहीं छोड़ सकी और टीम इंडिया 20 ओवरों में महज 112 रन ही बना सकी। बांग्लादेश के गेंदबाजों ने ज्यादातर समय भारतीय बल्लेबाजों को बांधे रखा और हाथ खोलने का मौका नहीं दिया। बांग्लादेश की कसी हुई गेंदबाजी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टीम की पांच बल्लेबाद दोहरे अंक को भी नहीं छू सकीं।