इन दिनों वनडे क्रिकेट में कलाई से बॉल घुमाने वाले स्पिनरों का बोलबाला है। वे अपनी दम पर मज़बूत से मज़बूत विरोधी टीम को ढेर कर सकते हैं। टीम इंडिया में इस समय दो रिस्ट स्पिनर हैं-युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव। इन दोनों ने रविवार को ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ पहले वनडे में पांच विकेट बांटे। ये मैच भारत ने 26 रन से जीता।
ये इत्तफ़ाक ही है कि 43 सालों में पहली बार दो रिस्ट स्पिनर भारत के लिए एक साथ खेले। इसके पहले दोनों श्रीलंका में पांचवे वनडे में एक साथ खेले थे। अमूमन 11 खिलाड़ियों की सूची में दो रिस्ट स्पिनर कम ही देखने को मिलते हैं। बहुत पहले पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इमरान ख़ान ने कहा था कि अगर उनकी टीम में विकेट लेने वाले दो एक ही तरह के स्पिनर हैं तो वो दोनों को खिलाएंगे।
क्यों हैं रिस्ट स्पिनर्स घातक
वनडे क्रिकेट मूलत: बल्लेबाज़ों का गैम माना जाता है लेकिन वे भी सारा वक़्त दबाव में रहते हैं क्योंकि उन्हें रन की गति बरक़रार रखनी होती है। बॉल छूटते ही उनका बल्ला घूम जाता है। ऐसे में रिस्ट स्पिनर्स ही वो बॉलर्स हैं जो विकेट निकाल सकते हैं क्योंकि बल्लेबाज़ गेंदबाज़ का हाथ नहीं देखता और रिस्ट स्पिनर यहां उसे लेग या ऑफ़ ब्रेक से चकमा दे सकता है।
वनडे में मिडिल ओवर्स बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। सेट बल्लेबाज़ को अब बॉल फुटबॉल की तरह दिखने लगती है, वह जोख़िम भरे शॉट खेलने लगता है। और अगर बल्लेबाज़ नया हो तो उस पर रन बनाने का दबाव होता है। ऐसे में रिस्ट स्पिनर स्थिति का बहुत अच्छा फ़ायदा उठा सकते हैं।
इसे देखते हुए चहल और कुलदीप के रुप में टीम इंडिया को घातक आक्रमण मिल गया है। लेकिन ये सोचना कि चहल और कुलदीप जीत की गारंटी हैं, ग़लत होगा, ठीक वैसा ही जैसा कि बल्लेबाज़ सोचे कि वनडे के बादशाह वो ही हैं।