फातुल्लाह (बांग्लादेश): भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली ने कहा है कि वह अपनी टीम के खिलाड़ियों के साथ डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) के उपयोग को लेकर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) शुरू से ही इसे लागू करने का विरोध करता रहा है। वेबसाइट क्रिकइंफो के अनुसार कोहली ने कहा, "इसके लिए आपको बैठ कर इस विषय पर विचार करना होगा। साथ ही गेंदबाजों और बल्लेबाजों से पूछने की जरूरत है कि वह इस बारे में क्या सोचते हैं।"
गौरतलब है कि भारत ही एक मात्र ऐसी टीम है जो लगातार डीआरएस का मजबूती से विरोध करती रही है।
कोहली ने बांग्लादेश के साथ खत्म हुए टेस्ट मैच का जिक्र करते हुए कहा, "हमें इस मैच के लिए आने से पूर्व बहुत कम समय मिला। अब हमारे पास समय है और मुझे विश्वास है कि इस विषय पर चर्चा होगी।"
पिछले साल भारतीय टेस्ट टीम के तात्कालिक कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने भी डीआएस पर भारत की सोच में बदलाव के संकेत दिए थे। धौनी ने तब कहा था कि फील्ड अंपायर द्वारा पहल किए जाने के मुकाबले स्वतंत्र तरीके से अंपायर के फैसले को डीआरएस तकनीक द्वारा आंका जाना चाहिए।
माना जा रहा है कि एन. श्रीनिवासन के बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटने के बाद से भी डीआरएस को लेकर स्थितियों में बदलाव हुआ है। बीसीसीआई ने अक्टूबर-2013 में इस गलत तकनीक करार दिया था।
इसी महीने की शुरुआत में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डेविड रिचर्डसन ने यह कहा कि बीसीसीआई डीआरएस का विरोध इसलिए करता आया है क्योंकि वह इसे क्रिकेट की भावना के खिलाफ मानता है।
रिचर्डसन ने कहा, "हमने हमेशा कहा है कि हम डीआरएस को लेकर एक ही नियम सभी के लिए लागू करना चाहते हैं।"
रिचर्डसन के अनुसार, "हमारा एक सदस्य डीआरएस के पक्ष में नहीं है और कई कारणों से वे चिंतित हैं। डीआरएस के विरोध के बारे में एक अहम कारण खिलाड़ियों द्वारा अंपायर के फैसले को रिव्यू कराने की मांग का है और उन्हें लगता है कि यह क्रिकेट की भावना के खिलाफ है।"
रिचर्डसन ने साथ ही कहा कि आईसीसी इस तकनीक को और सटीक तथा भरोसेमंद बनाने का प्रयास कर रहा है। रिचर्डसन के अनुसार इन प्रक्रियाओं से भविष्य में बीसीसीआई का भरोसा डीआरएस में और बढ़ेगा।