गावस्कर भी थे अब्बास के दिवाने-
महान बाल्लेबाज़ सुनील गावस्कर भी उनकी बल्लेबाज़ी के कायल थे और उन्होंने एक बार बताया कि जिस तरह से वह रन बनाते थे भारतीय खिलाड़ियों को कहना पड़ता था, "ज़हीर अब बस करो।"
दूसरे बल्लेबाज़ों की तरह ज़हीर की भी कमज़ोरी थी। वह इन स्विंगर ठीक से नहीं खेल पाते थे और तेज़ गेंदबाज़ उन्हें इसी बॉल पर आउट करने की कोशिश किया करते थे। आउट स्विंगर खेलने में उन्हें कितनी महारत हासिल थी इसका पता आउट स्विंगर के विशेषज्ञ कपिल देव के इस बयान से पता चलता है जब उन्होंने कहा था कि ज़हीर आउट स्विंगर खेलने वाले सबसे अच्छे बल्लेबाज़ हैं।
ज़हीर अब्बास को तेज़ विकेट बहुत भाते थे और यही वजह है कि वह आस्ट्रेलिया के उछाल वाले विकटों पर कट और पुल शॉट बहुत आसानी से लगाते थे।
अब्बास पाकिस्तान के दो बार कप्तान बने, 1981 और 1984 में। 1985 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास ले लिया।