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टेस्ट क्रिकेट में क्यों ज्यादा सफल नहीं हो पाए युवराज सिंह, अब किया खुलासा

सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया में कदम रखने वाले युवराज सिंह आज भी उन्हें अपने करियर के पीछे काफी महत्व देते हैं और उनका सम्मान भी करते हैं।   

Written by: India TV Sports Desk
Published : August 07, 2020 11:49 IST
Yuvraj Singh
Image Source : GETTY Yuvraj Singh

भारत के पूर्व स्टार बल्लेबाज युवराज सिंह के फैन्स की कमी नहीं है। उन्हों अपनी बल्लेबाजी से ना सिर्फ देश बल्कि विदेश में भी लोगों का दिल जीता है। इतना ही नहीं टी20 अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में उनके द्वारा लगाये गए 6 गेंदों में 6 छक्कों ने एक रात में उन्हें क्रिकेट जगत का सितारा बना दिया था। इस तरह सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया में कदम रखने वाले युवराज सिंह आज भी उन्हें अपने करियर के पीछे काफी महत्व देते हैं और उनका सम्मान भी करते हैं। 

युवराज ने गांगुली की कप्तानी में साल 2000 आईसीसी नाकआउट टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने करियर के दूसरे वनडे मैच में 84 रनों की तेज तर्रार पारी से साबित कर दिया था कि वो टीम इंडिया के लिए मध्यक्रम में काफी लम्बे समय तक खेलने वाले हैं। इसके बाद युवराज ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्होंने साल 2002 इंग्लैंड में खेली जाने वाली नेटवेस्ट ट्रॉफी, उसके बाद आईसीसी 2007 टी20 विश्वकप में भी शानदार खेल दिखाया था। इसके बाद रही सही कसर युवराज सिंह ने आईसीसी 2011 विश्वकप में बल्ले और गेंद के साथ दमदार प्रदर्शन करके दिखा दी थी। जिसके चलते उन्हें 'मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट' चुना गया था। जबकि भारत ने 28 साल बाद विश्वकप भी जीता था।  

इस तरह उनके शानदार करियर में जब युवराज सिंह से कोई मलाल पूछा गया तो उन्होंने टाइम्स नाउ से बातचीत में कहा, "अच्छे या बुरे अनुभव, आपके सीखने और विकास का एक हिस्सा हैं और मैं उन्हें संजोता हूं। 2011 के विश्व कप के शुरुआती दिनों से लेकर कैंसर से जूझने और मैदान पर वापस आने तक, मेरे करियर और निजी जीवन में कई मील के पत्थर देखे गए हैं और इन अनुभवों ने मुझे उस व्यक्ति के रूप में बनाया है जो मैं आज हूं। इस तरह मैं काफी परिवार, दोस्त और उन सभी सहपाठियों का काफी आभारी हूँ जिन्होंने इस यात्रा में हमेशा मेरा साथ दिया।"

युवराज सिंह अपने करियर में टेस्ट क्रिकेट में एक सफल बल्लेबाज नहीं बन पाए। इस तरह अपने करियर में बहुत ही कम टेस्ट क्रिकेट खेल पाने को लेकर उन्होंने कहा, "जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे लगता है कि मुझे टेस्ट क्रिकेट खेलने के ज्यादा मौके चाहिए थे। उन दिनों में, सचिन, राहुल, वीरेंद्र, वीवीएस लक्ष्मण, सौरव जैसे स्टार खिलाड़ियों के बीच जगह पाना मुश्किल था - जो शुरुआत करते थे।"

युवराज ने आगे कहा, "मध्यक्रम में जगह बनाना काफी मुश्किल था। जो की वर्तमान की स्थिति से काफी कठिन था। आज कल खिलाड़ियों को 10 या उससे अधिक मौके मिल रहे हैं। लेकिन हमारे सामने सिर्फ एक या दो मौके मिलते थे। मेरा मौका तब आया जब सौरव गांगुली ने संन्यास लिया। लेकिन दुर्भाग्यवश मैं उस समय कैंसर से जूझ रहा था और मेरे जीवन ने एक नया मोड़ ले लिया।"

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युवराज ने अंत में कहा, "हलांकि मैं अपने क्रिकेट करियर से खुश हूँ और काफी गर्व है कि मैंड एश के लिए इतने सालों तक क्रिकेट खेला।"

बता दें कि युवराज सिंह ने भारत के लिए 40 टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें उनके नाम 33.92 की औसत से 1,900 रन हैं। जबकि इसमें 3 शतक व 11 अर्धशतक भी शामिल हैं। 

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