क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने अपनी बल्लेबाजी से तो खूब सुर्खियां बटोरी, लेकिन कप्तानी के मामले में वो फेल नजर आए। सचिन ने टीम इंडिया के लिए 73 वनडे मैचों में कप्तानी की जिसमें उन्होंने 23 मैच जीते वहीं 43 मैच में हार का सामना करना पड़ा। टेस्ट क्रिकेट में तो सचिन का रिकॉर्ड और भी खराब है। सचिन ने भारत के लिए 25 टेस्ट मैच में कप्तानी की जिसमें 4 ही मैच वह जीतने में सफल रहे।
1999/00 ऑस्ट्रेलिया दौरे से लौटने के बाद सचिन तेंदुलकर ने अचानक कप्तानी छोड़ने का फैसला किया था जिसके बाद गांगुली को नया कप्तान न्युक्त किया गाय। सचिन के कप्तानी छोड़ने की वजह अब उस समय के चयनकर्ता ने बताई है।
पूर्व चयनकर्ता चंदु बोर्डे ने स्पोर्ट्सकीड़ा से बात करते हुए कहा "देखिए, अगर आप याद करें तो सचिन को हमने ऑस्ट्रेलिया बतौर कप्तान भेजा था और उन्होंने वहां टीम की कमान संभाली थी लेकिन जब वह वापस लौटे तो उनको कप्तान नहीं बने रहना था। उन्होंने कहा, नहीं मैं बल्लेबाजी पर ध्यान लगाना चाहता हूं। मैंने उनको इस बारे में समझाया कि आप लंबे वक्त तक टीम की कप्तानी करें क्योंकि हमें एक नए कप्तान की तलाश करनी होगी इस नई पीढ़ी से।"
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उन्होंने आगे कहा "अब जबकि उन्होंने कहा था वो बल्लेबाजी पर ध्यान लगाना चाहते हैं तो मैं उनसे उस प्रदर्शन की उम्मीद नहीं कर सकता था जिसके लिए उनको कप्तान बनाया जा रहा था। तो तब कुछ ऐसा ही हुआ था बल्कि मेरे कुछ साथी को काफी नाराज भी हो गए थे। उन्होंने कहा था आप हर बार इनको ऐसे समझाने की कोशिश क्यों करते हैं। मैंने बताया था कि हम भविष्य की तरफ देख रहे हैं लेकिन फिर हमने आखिर में गांगुली का चयन किया।"
गांगुली ने इसके बाद टीम की कमान संभाली और युवा टीम खड़ी कर विदेशों में भी टीम इंडिया को जीतना सिखाया। गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया 2003 वर्ल्ड कप का फाइनल मैच खेला था।
हाल ही में भारतीय पूर्व क्रिकेटर श्रीकांत ने भी गांगुली की कप्तानी की तारीफ की थी। स्टार स्पोर्ट्स के एक शो पर उन्होंने गांगुली की तुलना क्लाइव लायड से करते हुए कहा था ‘‘गांगुली काफी सक्रिय थे। वह ऐसे खिलाड़ी थे जो टीम संयोजन बनाने की काबिलियित रखते थे। जैसे 1976 में क्लाइव लायड ने विजेता वेस्टइंडीज टीम का संयोजन बनाया था। सौरव ने सही टीम को एक साथ रखा और फिर उन्हें प्रेरित किया।’’ श्रीकांत ने कहा, ‘‘इसलिये गांगुली बहुत सफल कप्तान थे, विदेशी सरजमीं पर भी। उन्होंने विदेशों में जीतना शुरू किया। गांगुली में यह काबिलियत जन्म से ही थी।’’