विश्व क्रिकेट में पाकिस्तान के वसीम अकरम का नाम बाएं हाथ के महान तेज गेंदबाजों में शूमार है। अकरम ने टेस्ट और वनडे मिलाकर कुल 916 इंटरनेशनल विकेट हासिल किए हैं। क्रिकेट में अक्सर देखा जाता है कि खिलाड़ी को नहीं पता चलता है कि उन्हें कब संन्यास लेना है लेकिन पाकिस्तान के इस दिग्गज तेज गेंदबाज को साल 2003 विश्व कप के बाद ही यह एहसास हो गया था कि अब क्रिकेट से अलविदा कहने का उनका समय हो चला है।
भारत के पूर्व क्रिकेटर आकश चोपड़ा के साथ बातचीत में अकरम ने कहा, ''संन्यास लेने का फैसला काफी मुश्किल होता है। खास तौर से जब टीम का बेहतरीन खिलाड़ी संन्यास की योजना बनाता है तो यह काफी कठीन होता है लेकिन सबकुछ का एक निश्चित समय तक ही होता है।''
आकाश चोपड़ा के साथ यूट्यूब चैट के दौरान अकरम ने कहा, ''पीसीबी ने मेरे लिए संन्यास के फैसले को कुछ हद तक आसान कर दिया था जब उन्होंने मुझे टीम से बाहर किया। उस समय मरे लिए हर दिन तकलीफदेह होता था। इसके बाद मैंने अपनी पत्नी से बात की। उसने मुझसे कहा वसीम अगर अब क्रिकेट में तुम्हारा दिल नहीं लगता है तो हर दिन के घुटन से अच्छा है अब समय आ गया है कि आप इसे अलविदा कह दें और मुझे उस दौरान ही समझ आ गया था मुझे यह फैसला करना है।''
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इसके अलावा अकरम ने पाकिस्तान क्रिकेट की भारत से तुलना करते हुए भी अपना पक्ष रखा। पाकिस्तान के लिए दो आईसीसी चैंपियनशिप जीतने वाले अकरम के संन्यास के बाद टीम का स्तर निरंतर गिरता ही चला गया था।
अकरम का मानना है कि पिछले कुछ सालों में मैच फिक्सिंग जैसी घटनाएं और खिलाड़ियों का गैर जिम्मेदाराना प्रदर्शन कहीं ना कहीं पाकिस्तान क्रिकेट टीम की छवि को धूमिल किया है। वहीं पाकिस्तान का चीरप्रतिद्वंदी भारत अपने खेल में लगातार सुधार कर आगे बढ़ता गया। इसके अलावा भारत ने अपने घरेलू क्रिकेट के प्रारूप में काफी सुधार किया जिसका परिणाम हमारे सामने है कि भारत विश्व क्रिकेट में सबसे मजबूत टीमों में से एक है।
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पाकिस्तान क्रिकेट को लेकर अकरम ने कहा, ''पिछले कुछ समय में जो भी आया वह बहुत कम समय से लिए रहा। उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सुधार करने के लिए किसी तरह का कोई ठोक कदम नहीं उठाया। पिछले 30 सालों में मुझे कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। पाकिस्तान में बहुत सारी प्रतिभाएं हैं जिसे हमें निखारने की जरूरत हैं। अब जाकर फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सुधार के लिए जरूर कुछ काम किया जा रहा है हालांकि इसके परिणाम के लिए हमें 3-4 सालों का इंतजार करना पड़ा सकता है।''
वहीं भारतीय क्रिकेट अपना पक्ष रखते हुए अकरम ने कहा, ''भारत ने आईपीएल की शुरुआत की, ढेर सारा पैसा बनाया और उस पैसे का इस्तेमाल उन्होंने घरेलू क्रिकेट को मजबूत करने में लगाया।''
उन्होंने कहा, ''भारत ने घरेलू क्रिकेट में प्रारूप को मजबूत किया है। उन्होंने खिलाड़ियों के ट्रेनिंग पर पैसा लगाया, टीमों के लिए विश्व स्तर के फिजियो को नियुक्त किया, ट्रेनर मंगाए। वहीं कई भारतीय पूर्व क्रिकेटरों ने भी अपना अहम योगदान किया। इससे रिटायर क्रिकेटरों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा हुए। यही सारी चीजें पाकिस्तान क्रिकेट नहीं की और दोनों में मूल अंतर भी है।